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    Diwali 2024: आम पटाखों से किस तरह अलग हैं Green Crackers, कैसे करें असली और नकली की पहचान?

    Updated: Sat, 26 Oct 2024 07:40 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सिंथेटिक पटाखों (Synthetic Crackers) की बिक्री पर पूरी तरह से पाबंदी है लेकिन क्या आप जानते हैं कि बाजार में कुछ लोग अभी भी चोरी-छिपे इन पटाखों को बेच रहे हैं? जी हां ऐसे में अगर आप भी इस दीवाली (Diwali 2024) ग्रीन पटाखे (Green Crackers) खरीदना चाहते हैं तो आपको असली और नकली पटाखों में अंतर करना मालूम होना चाहिए।

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    इस दीवाली खरीदने जा रहे हैं Green Crackers, तो जान लें असली और नकली की पहचान का तरीका (Image: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के बाद सिंथेटिक पटाखों का उत्पादन और बिक्री पूरी तरह से प्रतिबंधित है। बता दें, इस आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है। ऐसे में हर साल त्योहारों के मौसम में, खासतौर से दीवाली (Diwali 2024) को देखते हुए कई कंपनियां ग्रीन पटाखे (Green Crackers) लेकर आती हैं क्योंकि इन्हें बनाने और बेचने पर कोई पाबंदी नहीं है।

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    पर्यावरण के प्रति जागरूक लोगों के लिए ग्रीन पटाखे (Eco-Friendly Fireworks) एक बेहतर विकल्प हैं। ये आम पटाखों की तुलना में कम प्रदूषण फैलाते हैं और सेहत के लिए भी कम हानिकारक होते हैं, लेकिन बाजार में कई तरह के ग्रीन पटाखे उपलब्ध हैं, जिनमें से कुछ असली और कुछ नकली हो सकते हैं। नकली ग्रीन पटाखे सिंथेटिक पदार्थों से बने होते हैं और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं, साथ ही आपकी सेहत के लिए भी बड़ा खतरा पैदा करते हैं। इसलिए, ग्रीन पटाखे खरीदते समय आपको असली और नकली में अंतर करना आना चाहिए। आइए विस्तार से समझते हैं इसके बारे में।

    क्या होते हैं ग्रीन पटाखे?

    ग्रीन पटाखे पारंपरिक पटाखों का एक मॉडर्न और ईको-फ्रेंडली ऑप्शन है। ये पटाखे वातावरण में कम प्रदूषण फैलाते हैं और इन्हें जलाने पर शोर भी कम होता है। काउंसिल फॉर साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) द्वारा विकसित इन पटाखों में पारंपरिक पटाखों की तुलना में 30% कम प्रदूषक होते हैं। जब इन्हें जलाया जाता है तो हवा में कम काला धुआं निकलता है। बता दें, भारत में इस तरह के तीन कैटेगरी में मिलते हैं जिनके नाम हैं स्वास, स्टार और सफल।

    सिंथेटिक और ग्रीन पटाखों में अंतर

    ग्रीन पटाखे सेहत और पर्यावरण, दोनों के लिए एक सुरक्षित विकल्प माने जाते हैं। ये सिंथेटिक पटाखों की तुलना में कम प्रदूषण फैलाते हैं। ग्रीन पटाखे में इस्तेमाल होने वाले पदार्थ हवा को कम प्रदूषित करते हैं और आसपास की धूल को सोख लेते हैं। इसके अलावा, ग्रीन पटाखे कम शोर करते हैं जिससे कान की समस्याओं का खतरा कम होता है। दूसरी ओर, सिंथेटिक पटाखे हवा में जहरीले तत्व छोड़ते हैं, धूल उड़ाते हैं और कान के पर्दे को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं।

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    कैटेगरी को समझें

    SWAS कैटेगरी के पटाखे

    ये पटाखे धूल को सोख लेते हैं और उसे भाप में बदल देते हैं, जिससे प्रदूषण कम होता है।

    SAFAL कैटेगरी के पटाखे

    इनमें एल्युमिनियम की सुरक्षित मात्रा होती है जो कम आवाज पैदा करती है और सिंथेटिक पटाखों से बेहतर होती है।

    STAR कैटेगरी के पटाखे

    इनमें पोटैशियम नाइट्रेट और सल्फर नहीं होता, जिससे धुआं और अन्य हानिकारक कण निकलने की संभावना बहुत कम होती है।

    क्यूआर कोड पर ध्यान दें

    ग्रीन पटाखों की पहचान करना आज काफी आसान है! हर ग्रीन पटाखे पर सीएसआईआर नीरी का लोगो लगा होता है। इस लोगो को स्कैन करने के लिए आपको बस Google Play Store से CSIR NEERI का ग्रीन क्यूआर कोड ऐप डाउनलोड करना है। इस ऐप से आप आसानी से पता लगा सकते हैं कि कौन-सा पटाखा वाकई में ग्रीन पटाखा है और कौन-सा प्रदूषण फैलाता है

    लाइसेंस विक्रेता से खरीदें ग्रीन पटाखे

    असली ग्रीन पटाखे खरीदते समय आपको थोड़ा सावधान रहने की जरूरत होती है। ऐसे में, हमेशा लाइसेंस प्राप्त दुकान से ही पटाखे खरीदें। ये दुकानें सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त होती हैं और इनमें बेचे जाने वाले ग्रीन पटाखे सरकार द्वारा निर्धारित मानकों पर खरे उतरते हैं। इन दुकानों में आपको नकली या घटिया किस्म के पटाखे नहीं मिलेंगे।

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