महाराष्ट्र के अलावा, देश के इन राज्यों में भी धूमधाम से मनाया जाता है Ganesh Chaturthi का त्योहार
जब भी गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2025) का नाम आता है तो सबसे पहले लोगों के जहन में महाराष्ट्र का ख्याल आता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह त्योहार सिर्फ महाराष्ट्र तक ही सीमित नहीं है? भारत के और भी कई राज्य हैं जहां लोग गणपति बप्पा का पूरे उत्साह और भक्ति के साथ स्वागत करते हैं। चलिए जानते हैं उन राज्यों के बारे में।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। भारत त्योहारों की भूमि है और इन्हीं में से एक है गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2025), जिसे गणेशोत्सव और कहीं-कहीं विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता माने जाने वाले गणपति को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य का देवता माना जाता है।
कब और कैसे मनाया जाता है गणेशोत्सव?
गणेश चतुर्थी भाद्रपद माह की शुक्ल चतुर्थी से शुरू होकर दस दिनों तक चलता है। इन दिनों भक्तजन घरों और सार्वजनिक पंडालों में गणेश प्रतिमाएं स्थापित करते हैं। रोजाना पूजा, आरती और भजन होते हैं और अंतिम दिन यानी अनंत चतुर्दशी पर बड़े धूमधाम से प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है।
इस वर्ष गणेशोत्सव 27 अगस्त से 6 सितंबर 2025 तक मनाया जाएगा। आइए जानते हैं, भारत के अलग-अलग राज्यों में गणेशोत्सव की कैसी झलक देखने को मिलती है।
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मुंबई
मुंबई का नाम आते ही सबसे पहले ध्यान आता है- लालबागचा राजा। यहां विशाल पंडाल, भव्य मूर्तियां और लाखों की भीड़ देखने लायक होती है। सड़कों पर गूंजते “गणपति बप्पा मोरया” के जयकारे शहर को त्योहारमय बना देते हैं। समुंदर किनारे भव्य विसर्जन शोभायात्रा इसकी सबसे खास पहचान है।
दिल्ली
दिल्ली में गणेशोत्सव एक बहुरंगी रूप लिए होता है। यहां अलग-अलग राज्यों से आए लोग अपनी-अपनी परंपराओं के साथ गणपति का स्वागत करते हैं। कुछ जगह विशाल पंडाल सजते हैं तो कहीं वैदिक मंत्रों और भजनों के बीच पूजा होती है। यह राजधानी की बहुसांस्कृतिक पहचान को और मजबूत करता है।
गोवा
गोवा में इस पर्व को चावथ कहा जाता है। यहां घर-घर में मिट्टी की प्रतिमाएं स्थापित होती हैं। रिश्तेदारों से मिलने की परंपरा है और मिठाइयों में खासतौर पर नेवरी और पटोलेओ बनते हैं। साथ ही, गोवा की लोक-कलाएं और नृत्य इस पर्व में खास रंग भरते हैं।
तमिलनाडु
तमिलनाडु में यह पर्व विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। यहां गणेश पूजा से पहले माता गौरी की आराधना होती है। घरों में गणपति की प्रतिमा स्थापित कर भक्ति गीत गाए जाते हैं। खास मिठाई कोझुकट्टई (मोदक जैसा व्यंजन) हर घर की रसोई में बनता है।
हैदराबाद
हैदराबाद का खैरताबाद गणपति देशभर में मशहूर है। यहां कई बार 60 फीट तक की मूर्तियां बनाई जाती हैं। भगवान को विशाल लड्डू अर्पित किया जाता है, जो बाद में भक्तों में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। यहां के उत्सव में श्रद्धा और भव्यता दोनों साथ चलते हैं।
पुणे
पुणे के गणेशोत्सव की अपनी अलग ही धूम है। यहां घर-घर में सजावट, पारंपरिक नृत्य और लोकसंगीत का माहौल होता है। मिठाइयों में मोदक और लड्डू का विशेष महत्व है। पुणे का गणेशोत्सव अपनी गरिमा और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है।
कर्नाटक
कर्नाटक में गणेशोत्सव पहले गौरी पूजा से आरंभ होता है। इसके बाद घरों और पंडालों में गणेशजी की प्रतिमाएं रखी जाती हैं। लोग मोदकम, पायसम और गोज्जु जैसे व्यंजन बनाते हैं। बेंगलुरु और मैसूर जैसे शहरों में सामूहिक भजन, नृत्य और सांस्कृतिक आयोजन होते हैं।
कोलकाता
हालांकि कोलकाता में दुर्गा पूजा सबसे बड़ा पर्व है, लेकिन गणेशोत्सव भी यहां लोकप्रिय होता जा रहा है। परिवार और समाज मिलकर प्रतिमाएं स्थापित करते हैं, पूजा और भक्ति गीतों के साथ त्योहार मनाते हैं। स्थानीय कला और सजावट यहां की खासियत होती है।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना
इन राज्यों में इसे विनायक चविति कहा जाता है। गांव-गांव और शहरों में प्रतिमाएं स्थापित कर भक्ति गीत गाए जाते हैं। आंध्र प्रदेश के कनीपाकम गांव का 21 दिन चलने वाला ब्रह्मोत्सव विशेष आकर्षण होता है।
गुजरात, ओडिशा और पश्चिम बंगाल
गुजरात में गणेशोत्सव घरों और मंदिरों में बड़े सादे लेकिन भक्ति भाव से मनाया जाता है। अहमदाबाद और सूरत जैसे शहरों में भव्य शोभायात्राएं निकलती हैं। ओडिशा और बंगाल में भी पूजा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ यह पर्व धीरे-धीरे लोकप्रियता पा रहा है।
गणेशोत्सव पूरे भारत को एक सूत्र में बांधता है। कहीं इसे परंपरा से, कहीं भव्यता से और कहीं मिठाइयों व सांस्कृतिक आयोजनों से मनाया जाता है, लेकिन सब जगह एक ही भाव है- “गणपति बप्पा मोरया, मंगल मूर्ति मोरया!”
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