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अप्रैल फूल्स डे (April Fool's Day)

हर साल अप्रैल महीने की पहली तारीख को दुनिया भर में अप्रैल फूल्स डे मनाया जाता है। इस दिन लोग एक दूसरे को बेवकूफ बनाते हैं और इसमें अपने दोस्तों भाई-बहन रिश्तेदारों और यहां तक कि मां-बाप को भी शामिल करते हैं।

By Ruhee ParvezEdited By: Ruhee ParvezPublished: Fri, 31 Mar 2023 04:24 PM (IST)Updated: Fri, 31 Mar 2023 04:24 PM (IST)
अप्रैल फूल्स डे (April Fool's Day) के बारे में जानें सबकुछ

अप्रैल फूल्स डे को ऑल फूल्स डे के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन को ज्यादातर देशों में अप्रैल महीने की पहली तारीख को मनाया जाता है। इस दिन, लोग पारंपरिक रूप से एक-दूसरे के साथ मजाक करते हैं और लोगों को उन चीजों पर विश्वास दिलाने की कोशिश करते हैं जो सच नहीं हैं।

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ऐसे पड़ा नाम

इसका नाम भी इस दिन पर एक दूसरे पर करने वाले मजाक के बाद रखा गया। मजाक जैसे, दोस्तों को यह बताना कि उनके जूते के फीते खुले हुए हैं या फिर उन्हें बेवकूफ बनाकर कहीं काम पर भेज देना। इस दिन को सदियों से मनाया जा रहा है, लेकिन इसकी शुरुआत कहां से हुई इसके ठोस सबूत नहीं हैं। यह पुराने रोम के हिलारिया जैसे त्योहार की तरह का है, जिसे हर साल 25 मार्च को मनाया जाता है। इसमें लोग भेष बदलते हैं और एक-दूसरे का और मजिस्ट्रेट तक का मजाक उड़ा देते हैं।

अप्रैल फूल्स डे की शुरुआत

  • अप्रैल फूल्स की शुरुआत कैसे हुई यह तो कोई नहीं जानता, लेकिन इससे जुड़ी कई थीअरी जरूर हैं।
  • 1392 में आई जेफ्री चौसर की 'द कैंटरबरी टेल्स' में पहली अप्रैल और बेवकूफी का रिश्ता दिखाया गया। कहानी में एक लोमड़ी एक मूर्गे को बेवकूफ बनाती है। हालांकि, इसमें साफ तौर पर अप्रैल फूल्स का जिक्र नहीं है।
  • कुछ इतिहासकारों के अनुसार, अप्रैल फूल की शुरुआत 1582 में फ्रांस से हुई। इस दौरान यहां जूलियन कैलेंडर की जगह ग्रेगोरियन कैलेंडर का इस्तेमाल किया जाता था। जूलियन कैलेंडर में मार्च के अंत या अप्रैल की शुरुआत में साल शुरू होता था यानी 1 अप्रैल के आसपास। वहीं, ग्रेगोरियन कैलेंडर में जनवरी से दिसंबर तक साल चलता था। जिन लोगों को कैलेंडर बदलने की जानकारी देर से पहुंची, वे मार्च के आखिरी हफ्ते से 1 अप्रैल तक नए साल का जश्न मनाते रहे और इस वजह से उन पर खूब चुटकुले बने। उनका मजाक भी उड़ाया गया। उन्हें 'अप्रैल फूल' कहा गया। कागज से बनी मछलियों को उनके पीछे लगा दिया जाता। इसे पॉइसन डेवरिल (अप्रैल फिश) कहा जाता था। यह एक ऐसी मछली थी, जो आसानी से शिकार बन जाती थी। ऐसे में उन लोगों का खूब मजाक बनता, जो आसानी से शरारत का शिकार हो जाते।
  • नीदरलैंड्स में, अप्रैल फूल्स डे की शुरुआत को अक्सर 1572 में ब्रिएल के कब्जे से डच देश को मिली जीत से जोड़ा जाता है। जहां स्पेनिश ड्यूक अल्वारेज़ डी टोलेडो को हराया गया था। हालांकि, इस थियेरी से अंतरराष्ट्रीय अप्रैल फूल दिवस का स्पष्टीकरण नहीं मिलता।
  • ब्रिटेन में अप्रैल फूल 18वीं सदी में पहुंचा और स्कॉटलैंड में यह दो दिन की परंपरा बना। ‘हंटिंग द गौक’ (मूर्ख व्यक्ति का शिकार) से शुरुआत होती थी, जिसमें लोगों को मूर्ख का प्रतीक समझे जाने वाले पक्षी का चित्र भेजना होता था। दूसरे दिन टेली डे होता था, जब लोगों के पीछे पूंछ या ‘किक मी’ जैसे संकेत चिपकाकर उनका खूब मजाक बनाया जाता था।
  • कुछ लोगों का यह भी कहना है कि अप्रैल फूल का संबंध वर्नल इक्विनॉक्स यानी वसंत के आगमन से है। प्रकृति मौसम को बदलकर लोगों को बेवकूफ बनाती है।

मीडिया में भी पहुंचा अप्रैल फूल

समय के साथ, अप्रैल फूल मीडिया में भी मशहूर हो गया। 1957 में बीबीसी ने रिपोर्ट देकर बताया कि स्विस किसानों ने खेतों में नूडल्स उगाए हैं। इस पर हजारों लोगों ने बीबीसी को फोन कर किसानों और फसल के बारे में जानकारी लेना चाहा।

1996 में फास्ट-फूड रेस्टॉरेंट चेन 'टाको बेल' ने यह कहकर लोगों को बेवकूफ बनाया कि उसने फिलाडेल्फिया की लिबर्टी बेल खरीद ली है और उसका नाम टाको लिबर्टी बेल रख दिया है।

ऐसे में गूगल कैसे पीछे रहता। गूगल ने भी टेलीपैथिक सर्च से लेकर गूगल मैप्स पर पैकमैन खेलने के ऑप्शन की घोषणा कर लोगों को खूब बेवकूफ बनाया।

हर देश में मनता है अप्रैल फूल्स डे

हर देश इस दिन को अपनी तरह से सेलीब्रेट करता है। हालांकि, इन सभी सेलीब्रेशन में एक चीज सामान्य है, वह यह है कि इस दिन हम सभी को दूसरों के साथ मजाक करने का लाइसेंस मिल जाता है। जैसे फ्रांस में जो व्यक्ति बेवकूफ बन जाता है, उसे अप्रैल फिश कहा जाता है। फ्रांस में इस तरह के नजारे दिखना बेहद आम है, जहां बच्चे अपने दोस्तों की पीठ पर कागज की मछली छिपका देते हैं, और उन्हें इसकी भनक तक नहीं लगती।

कई देशों में अखबार और मीडिया भी लोगों को गलत खबर देकर इस तरह इस दिन को मजेदार बनाते हैं।


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