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    76th Republic Day : झिझिया नृत्य जिसमें महिलाएं बच्चों को चुड़ैलों से बचाने के लिए करती हैं प्रार्थना

    Updated: Sun, 26 Jan 2025 01:27 PM (IST)

    दिल्ली के कर्तव्य पथ पर बिहार की झांकी के दौरान कलाकारों ने झिझिया नृत्य पेश किया। बता दें कि झिया नृत्य में नर्तकी पारंपरिक परिधान पहनती हैं जिसमें घाघरा चोली और ओढ़नी शामिल होते हैं। यह एक पारंपरिक परिधान है। जिसे झिझिया नृत्य के मौके पर पहना जाता है। इस नृत्य में महिलाएं अपनी सहेलियों के साथ गोल घेरा बनाकर गीत गाते हुए नृत्य करती हैं।

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    झिझिया नृत्य बिहार का पारंपरिक नृत्य है। ( Pic Courtesy : jagran news)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस परेड के दौरान 45 से अधिक नृत्य शैलियों का प्रतिनिधित्व करने वाले 5,000 से अधिक कलाकारों ने डांस प्रस्तुत किया। देश के अलग-अलग राज्यों के सांस्कृतिक नृत्य कलाकारों ने पेश किए। इन नृत्य शैलियों में झिझिया (बिहार), मयूर रास (उत्तर प्रदेश), डांगी (गुजरात), लम्बाडी (तेलंगाना), और पुरुलिया चाऊ (पश्चिम बंगाल) शामिल हैं।

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    आज हम आपको बिहार के झिझिया नृत्य के बारे में बताएंगे। बता दें कि यह डांस बिहार का एक पारंपरिक नृत्य है, जो मुख्य रूप से झिझिया समुदाय द्वारा किया जाता है। यह नृत्य अपनी अनोखी शैली और महत्व के लिए जाना जाता है। झिझिया नृत्य की कुछ खासियतें इस प्रकार हैं।

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    1. पारंपरिक परिधान: झिझिया नृत्य में नर्तकी पारंपरिक परिधान पहनती हैं, जिसमें घाघरा, चोली, और ओढ़नी शामिल होते हैं। यह एक पारंपरिक परिधान है। जिसे झिझिया नृत्य के मौके पर पहना जाता है।

    इस नृत्य में, महिलाएं अपनी सहेलियों के साथ गोल घेरा बनाकर गीत गाते हुए नृत्य करती हैं। इस नृत्य में, महिलाएं अपने परिवार, बच्चों और समाज को चुड़ैलों और काले जादू से बचाने के लिए भी प्रार्थना करती हैं।

    2. संगीत और वाद्य: झिझिया नृत्य में संगीत और वाद्य यंत्रों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इसमें ढोलक, मंजीरा, और बांसुरी जैसे वाद्य यंत्रों का उपयोग किया जाता है। बता दें कि यह नृत्य, हिन्दू महीने अश्विन (सितंबर/अक्टूबर) में दशहरा त्योहार के दौरान किया जाता है। 26 जनवरी के मौके पर कर्तव्य पथ पर बिहार की झांकी के दौरान भी इस नृत्य को कलाकारों ने प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया।

    3. नृत्य शैली: झिझिया नृत्य की शैली बहुत ही अनोखी और आकर्षक होती है। इसमें नर्तकी अपने हाथों और पैरों के साथ-साथ अपने शरीर के अन्य अंगों का भी उपयोग करती हैं।

    झिझिया, मिथिला क्षेत्र का एक प्रमुख लोक नृत्य है. यह नृत्य, दुर्गा पूजा के मौके पर किया जाता है. यह नृत्य, देवी दुर्गा के प्रति भक्ति व्यक्त करने के लिए किया जाता है. झिझिया नृत्य, बिहार का 'देसी गरबा' भी कहा जाता है.

    4. कथा और भावनाएं: झिझिया नृत्य में कथा और भावनाओं का महत्वपूर्ण स्थान होता है। इसमें नर्तकी अपने नृत्य के माध्यम से विभिन्न कथाओं और भावनाओं को व्यक्त करती हैं। झिझिया मिथिला का एक प्रमुख लोक नृत्य है। दुर्गा पूजा के मौके पर इस नृत्य में लड़कियां बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेती है। इस नृत्य में कुवारीं लड़कियां अपने सिर पर जलते दिए एवं छिद्र वाली घड़ा को लेकर नाचती हैं।

    5. सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व: झिझिया नृत्य बिहार की सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों को प्रदर्शित किया जाता है।

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