Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    माथे पर बिंदी क्यों लगाती हैं भारतीय महिलाएं? एक-दो नहीं, इसके पीछे छिपी हैं कई खास वजहें

    Updated: Sun, 27 Jul 2025 02:53 PM (IST)

    क्या आपने कभी सोचा है कि माथे पर बिंदी क्यों लगाई जाती है? अगर नहीं तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है। विवाहित महिलाएं इसे अपने पति की लंबी उम्र के लिए लगा ...और पढ़ें

    सिर्फ सुहाग की निशानी नहीं है माथे की बिंदी! (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। जब हम किसी भारतीय महिला के माथे पर बिंदी देखते हैं, तो अक्सर सोचते हैं कि यह सिर्फ सुंदरता के लिए है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह रंगीन बिंदु सिर्फ एक फैशन स्टेटमेंट नहीं है, बल्कि इसके पीछे सांस्कृतिक और वैज्ञानिक कारण भी छिपे हैं?

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कहां से आया यह शब्द?

    ‘बिंदी’ शब्द संस्कृत के ‘बिंदु’ से आया है, जिसका मतलब होता है ‘एक बिंदु’। यह सिर्फ एक साधारण बिंदु नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति में इसका बहुत महत्व है (Significance Of Bindi)। भारतीय दर्शन में यह स्थान दोनों भौंहों के बीच का भाग होता है, जिसे 'आज्ञा चक्र' भी कहते है।

    इसे अक्सर 'तीसरी आंख' से जोड़ा जाता है, जो ज्ञान और अंतर्ज्ञान का केंद्र मानी जाती है। यह एक ऐसा निशान है जो देवी-देवताओं से जुड़ाव और आंतरिक शक्ति का प्रतीक है। समय के साथ इसके मायने भी बदलते गए हैं, लेकिन इसका महत्व आज भी बरकरार है।

    यह तीसरी आंख किसी जादुई शक्ति की बात नहीं करती, बल्कि यह हमारे विवेक, ध्यान और आत्म-जागरूकता का केंद्र मानी जाती है। जब महिलाएं इस स्थान पर बिंदी लगाती हैं, तो वे न सिर्फ अपनी परंपरा को निभा रही होती हैं, बल्कि एक आंतरिक ऊर्जा बिंदु को भी सक्रिय कर रही होती हैं।

    यह भी पढ़ें- पहले पुरुष पहना करते थे High Heels, फिर कैसे बन गई महिलाओं के फैशन का हिस्सा? पढ़ें इसकी मजेदार कहानी

    परंपरा, पहचान और शक्ति का प्रतीक

    भारतीय समाज में बिंदी सिर्फ सौंदर्य का प्रतीक नहीं रही है, यह नारी की सामाजिक और आध्यात्मिक स्थिति को भी दर्शाती है। विवाहित स्त्रियों के लिए विशेषकर लाल बिंदी शुभता, प्रेम, सौभाग्य और सुरक्षा का प्रतीक मानी जाती है। यह देवी शक्ति से जुड़ी होती है और स्त्री के भीतर मौजूद ऊर्जा को दर्शाती है।

    वहीं अविवाहित लड़कियां या छोटी बच्चियां भी बिंदी लगाती हैं, लेकिन उनके लिए यह ज्यादा एक साज-सज्जा और उत्सव का हिस्सा होता है। रंग-बिरंगी, डिजाइनर या चमकती बिंदियां उनके उत्साह और मासूमियत का प्रतिबिंब होती हैं।

    फैशन और परंपरा का संगम

    भले ही बिंदी की जड़ें पुरानी परंपराओं में हों, आज यह एक ट्रेंडी फैशन एक्सेसरी भी बन गई है। आपको बाजार में विभिन्न रंगों, आकारों और डिजाइनों की बिंदियां मिल जाएंगी, जिन्हें अक्सर कपड़ों से मैच करके पहना जाता है ताकि स्टाइल में चार चांद लग सकें। डिजाइनरों ने भी बिंदी को अपनाया है और अब यह न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में भी लोकप्रिय हो रही है। कई लोगों के लिए यह अपनी संस्कृति से जुड़े रहते हुए अपने व्यक्तित्व को दिखाने का एक तरीका भी है।

    आधुनिकता में बिंदी का नया स्थान

    आज के दौर में, जब पूरी दुनिया एक-दूसरे की संस्कृति से जुड़ रही है, बिंदी भी एक ग्लोबल पहचान बन चुकी है। कई अंतरराष्ट्रीय कलाकार और फैशन आइकन भी अब बिंदी को एक स्टाइल स्टेटमेंट के रूप में अपना रहे हैं। बॉलीवुड की लोकप्रियता ने भी इसे एक ग्लैमरस पहचान दी है।

    पश्चिमी दुनिया में इसे कभी-कभी ‘बोहेमियन’ लुक के तौर पर भी अपनाया जाता है। भले ही वजहें अलग हों, लेकिन यह बात तय है कि बिंदी आज भी आकर्षण और अर्थ दोनों की वाहक बनी हुई है।

    यह भी पढ़ें- एक नहीं, 5 तरह की होती हैं Banarasi Saree; सबकी है खास पहचान, आपके ल‍िए कौन-सी रहेगी परफेक्‍ट?