साड़ी सिर्फ एक लिबास नहीं, पहचान है; मिलिए परंपरा और फिटनेस को धागों में पिरोने वालीं नायिकाओं से
साड़ी को परंपरा, पहचान और संस्कृति का प्रतीक है। चंडीगढ़ में कई महिलाएं साड़ी को बढ़ावा दे रही हैं। कुछ महिलाएं इसे फिटनेस और चैरिटी से भी जोड़ रही है ...और पढ़ें

(Picture Courtey: Instagram)
एकता श्रेष्ठ, चंडीगढ़। साड़ी सिर्फ एक पहनावा नहीं बल्कि परंपरा, पहचान, विरासत और संस्कृति का भी प्रतीक है। इस बात को साबित करने में उनका फिटनेस और एनवायरमेंट के लिए राइड इन साड़ी चेतना ड्रेप ग्रुप और सेशन
योगदान तो है जिन्होंने इस परंपरा को कायम रखा है साथ ही उन बुनकरों को भी नहीं भूला जा सकता जो दिन-रात मेहनत करके साड़ी तैयार करते हैं। इन सभी बातों को ध्यान में रखकर व महत्व बताने के लिए हर साल 21 दिसंबर को वर्ल्ड साड़ी डे मनाया जाता है।
अपने शहर की बात करें तो बहुत महिलाएं हैं जो साड़ी को प्रमोट कर रही हैं। ताकि पश्चिमी सभ्यता हावी न हो और लोग अपने कल्चर को न भूलें। इसके लिए कोई रूटीन में साड़ी पहनकर दूसरों को अवेयर कर रहे हैं।
कोई ग्रुप बनाकर ऐसे आयोजन कर रहे हैं जिसके माध्यम से इसके महत्व की बात की जा रही है। वहीं कुछ महिलाएं ऐसी हैं जिन्होंने इस सब के साथ जोड़ा है फिटनेस और चैरिटी को इस खास मौके पर हम शहर की कुछ ऐसी ही महिलाओं की कहानी सामने लेकर आए हैं। जानते हैं कैसे यह योगदान दे रही हैं।

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फिटनेस और एंवायरनमेंट के लिए राइड इन साड़ी
साइकिल गीरी ग्रुप की फाउंडर डॉ. सुनैना बंसल ने बताया कि ग्रुप वर्ष 2016 में बना। लेकिन साड़ी राइड के बारे में बहुत बाद में सोचा। खुशी है कि ट्राईसिटी की कई महिलाएं इस पहल से जुड़ी हुई और साड़ी फिटनेस के महत्व को समझ रही हैं।
- योगदान- तीन साल से ग्रुप की ओर से राइड इन साड़ी का आयोजन हो रहा है। साड़ी राइड साल में एक बार होती है।
- संदेश- फिट रहने के लिए खुद के लिए समय निकालना जरूरी है और चाहें तो साड़ी पहनकर भी साइक्लिंग की जा सकती है। साथ ही एक तरह से साइक्लिंग करके एनवायरमेंट को साफ-सुथरा रखने में योगदान दे सकते हैं।
चेतना ड्रेप ग्रुप और सेशन
एक्टर-डायरेक्टर, राइटर निशा लूथरा ने बताया कि कुछ समय पहले चेतना ड्रेप नाम से ग्रुप बनाया है। इन्होंने बताया कि इस ग्रुप के तहत ऐसे आयोजन होते हैं जिसमें महिलाओं को साड़ी पहनकर आने के लिए कहा जाता है। साथ ही उनकी फिटनेस पर भी बात होती है।
- योगदान- अब तक दो सेशन करवा चुके हैं। हमने तय किया है एक वर्ष में 45 सेशन हों। इससे बात हो साड़ी और मेंटल हेल्थ को ठीक रखने की।
- संदेश- महिलाओं को मेंटल हेल्थ पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। खुद ठीक रखेंगी तो परिवार और समाज में भी बेहतर योगदान दे सकती हैं और परंपरा को कायम रख सकती हैं।
बुनकरों को भी जोड़ा है
नारी इन ए साड़ी। यह बना वर्ष 2015 में इसकी फाउंडर सीमा शर्मा ने बताया कि मेरा उद्देश्य यह तो है कि साड़ी पहनने के लिए प्रेरित किया जाए। लेकिन साथ ही उन बुनकरों को भी साथ लेकर चला जाए जो साड़ी तैयार करते हैं। इनकी मेहनत को भी सराहना चाहिए।
- योगदान- वर्ष 2015 से अब तक 100 से ज्यादा आयोजन। जिसमें साड़ी और बुनकरों के महत्व की बात होती है। अब तक देशभर के 70 से ज्यादा बुनकारों को साथ जोड़ा है।
- संदेश- साड़ी बनाना एक कला है जिन्हें बुनकरों जिंदा रखा है। हमारा फर्ज है इनकी आमदनी के लिए भी कुछ किया जाए। इसलिए कुछ न कुछ प्रयास करते रहते हैं।
रन क्लब की ओर से साड़ी रन
द रन क्लब वर्ष 2016 में बना। इसकी फाउंडर हैं पवीला बाली। क्लब की ओर से ऐसे आयोजन होते हैं जिसमें फिटनेस, एनवायरनमेंट की ओर ध्यान दिया जाता है। साथ ही साड़ी को भी प्रमोट किया जाता है। क्लब की ओर से हर साल द साड़ी रन नाम से आयोजन होता है।
इसमें सभी रेड साड़ी पहनकर रन करते हैं। यह रन चैरिटी के लिए होती है। बहुत महिलाओं को लगता है कि। साड़ी पहनकर काम करना मुश्किल है। लेकिन ऐसा नहीं है। काम भी कर सकते हैं और खुद को फिट भी रख सकते हैं।

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