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    गर्मियों में क्यों बढ़ जाती है Hyperpigmentation की समस्या? इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए?

    Updated: Wed, 23 Apr 2025 10:48 AM (IST)

    गर्मी के मौसम में कुछ कारणों से हाइपरपिग्मेंटेशन की समस्या बढ़ सकती है। इसके कारण स्किन कहीं-कहीं से ज्यादा डार्क नजर आने लगती है। इसलिए अगर आपको पहले से ही हाइपरपिग्मेंटेशन की समस्या है तो आपको गर्मियों में ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है। आइए जानते हैं क्यों गर्मी के मौसम में हाइपरपिग्मेंटेशन की समस्या बढ़ सकती है और इससे बचने के लिए (Hyperpigmentation Remedies) क्या करना चाहिए।

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    Hyperpigmentation in Summer: गर्मियों में ऐसे करें हाइपरपिग्मेंटेशन से बचाव (Picture Courtesy: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। गर्मियों का मौसम अपने साथ त्वचा से जुड़ी कई समस्याएं लेकर आता है, जिनमें से एक है हाइपरपिग्मेंटेशन (Hyperpigmentation)। यह समस्या तब होती है जब त्वचा का कुछ हिस्सा सामान्य से ज्यादा डार्क दिखने लगता है। कुछ लोगों में हाइपरपिग्मेंटेशन की समस्या गर्मियों में और ज्यादा बढ़ जाती है (Hyperpigmentation Causes)। आइए जानें ऐसा क्यों होता है और इससे बचने के लिए क्या (Summer Skincare) कर सकते हैं।

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    हाइपरपिग्मेंटेशन क्या है?

    हाइपरपिग्मेंटेशन त्वचा में मेलेनिन के ज्यादा प्रोडक्शन के कारण होता है, जिससे स्किन पर काले, भूरे या धब्बेदार निशान पड़ जाते हैं। यह समस्या चेहरे, हाथों, गर्दन और अन्य खुले हिस्सों पर ज्यादा दिखाई देती है।

    गर्मियों में हाइपरपिग्मेंटेशन बढ़ने के कारण

    सूरज की हानिकारक किरणें (UV Rays)

    गर्मियों में सूरज की यूवीए (UVA) और यूवीबी (UVB) किरणें त्वचा को नुकसान पहुंचाती हैं। ये किरणें मेलानोसाइट्स (त्वचा में मेलेनिन बनाने वाली सेल्स) को एक्टिव कर देती हैं, जिससे त्वचा का रंग गहरा होने लगता है।

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    पसीना और गंदगी जमा होना

    गर्मियों में पसीना ज्यादा आता है, जिसके कारण त्वचा के पोर्स बंद हो जाते हैं। इससे त्वचा पर मैल और बैक्टीरिया जमा होने लगते हैं, जो पिग्मेंटेशन को बढ़ावा देते हैं।

    हार्मोनल बदलाव

    कुछ महिलाओं को गर्मियों में हार्मोनल असंतुलन के कारण मेलास्मा (चेहरे पर भूरे धब्बे) की समस्या हो जाती है। प्रेग्नेंसी, पीरियड्स या बर्थ कंट्रोल पिल्स भी इसका कारण बन सकते हैं।

    स्किन की नमी कम होना

    गर्मी और धूप के कारण त्वचा डिहाइड्रेट हो जाती है, जिससे डेड स्किन सेल्स जमा होने लगते हैं। इससे त्वचा का रंग असामान्य हो सकता है।

    गलत स्किन केयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल

    कुछ केमिकल वाले प्रोडक्ट्स, जैसे हार्ड एक्सफोलिएटर्स या अल्कोहल बेस्ड टोनर, त्वचा को नुकसान पहुंचाकर पिग्मेंटेशन बढ़ा सकते हैं।

    हाइपरपिग्मेंटेशन से बचने के उपाय

    • सनस्क्रीन का नियमित इस्तेमाल- सूरज की किरणों से बचने के लिए SPF 30+ या 50+ वाला सनस्क्रीन हर 3-4 घंटे में लगाएं। यहां तक कि घर के अंदर भी सनस्क्रीन लगाना जरूरी है
    • एंटीऑक्सीडेंट्स वाले फूड्स खाएं- विटामिन-सी (संतरा, आंवला, नींबू) और विटामिन-ई (बादाम, एवोकाडो) से भरपूर डाइट लें। ये हाइपरपिग्मेंटेशन को कम करते हैं।
    • रोज मॉइश्चराइजर लगाएं- त्वचा को हाइड्रेट रखने के लिए एलोवेरा जेल, कोकोनट ऑयल या हायलूरोनिक एसिड वाले मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करें।
    • केमिकल पील या लेजर ट्रीटमेंट- अगर पिग्मेंटेशन ज्यादा बढ़ गया है, तो डर्मेटोलॉजिस्ट से केमिकल पील, माइक्रोडर्माब्रेशन या लेजर थेरेपी ले सकते हैं।
    • प्राकृतिक उपचार- मुल्तानी मट्टी और गुलाबजल का फेस पैक लगाएं। हल्दी और दही का मास्क पिग्मेंटेशन कम करने में मदद करता है। पपीता और शहद का इस्तेमाल भी स्किन को ब्राइट करने में मददगार है।

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