शादी से पहले दुल्हन को क्यों लगाई जाती है मेहंदी? इसके पीछे की खूबसूरत वजह जानकर आप भी कहेंगे वाह!
Bridal Mehndi Significance भारतीय शादियों में मेहंदी का विशेष महत्व है। यह सदियों से चली आ रही एक पवित्र परंपरा है जो न केवल सौभाग्य का प्रतीक मानी जाती है बल्कि दूल्हा और दुल्हन के बीच प्यार का भी प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि मेहंदी का रंग जितना गहरा होता है नवविवाहित जोड़े के लिए उतना ही भाग्यशाली होता है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Mehndi Ceremony Meaning: शादी का दिन हमारी लाइफ के सबसे यादगार पलों में से एक होता है। हर कोई इस दिन को खास बनाना चाहता है। शादी की तैयारियां भी महीनों पहले से की जाने लगती हैं। वहीं शादी में निभाई जाने वाली हर रस्मों की अपनी खासियत होती है। शादी के बाद ही हमारे नए जीवन की शुरूआत होती है। इसमें दो लोगों की जिंदगी एक हो जाती है।
शादी से पहले घर में कई फंक्शंस रखे जाते हैं। अब तो Bachelor Party का ट्रेंड भी तेजी से बढ़ गया है। हालांकि ये अभी तक बड़े शहरों में ही सीमित है। शादी से कुछ ही दिन पहले घर की रौनक बढ़ जाती है। घरों को फूलों से सजाया जाता है। मेहमानों की भीड़ जुट जाती है। घर में हो रहे हंसी ठठ्ठा से माहाैल एकदम खुशनुमा बना रहता है। शादी के रस्मों की बात करें तो जहां हल्दी, लेडीज संगीत का जिक्र होता है, उन्हीं में से एक मेहंदी (bridal customs India) लगाने की भी परंपरा एक है।
सदियों से चली आ रही परंपरा
अब ज्यादातर घरों में मेहंदी का फंक्शन रखा जाता है। मेहंदी लगाने की परंपरा सिर्फ हिंदुओं में नहीं, बल्कि सभी धर्माें में निभाई जाती है। ये परंपरा सदियों से चली आ रही है। शादी से पहले तो दुल्हनों को खासतौर पर मेहंदी लगाई जाती है। मेहंदी को बेहद पवित्र माना जाता है। आपने लोगों को कहते भी सुना होगा कि अगर मेहंदी का रंग निखर कर आए तो समझ लो कि पति खूब प्यार करने वाला मिलेगा।
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कबसे शुरू हुई मेहंदी लगाने की परंपरा
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मेहंदी लगाने की परंपरा कबसे शुरू हुई? इसका इतिहास क्या है? क्यों मेहंदी के बिना शादी या फिर श्रृंगर अधूरा माना जाता है? अगर नहीं, तो आज का हमारा लेख भी इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में दुल्हनों को मेहंदी लगाए जाने का इतिहास बताने जा रहे हैं।
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सौभाग्य का प्रतीक होती है मेहंदी
शादियों में मेहंदी लगाए जाने की परंपरा धार्मिक और सामाजिक महत्व रखती है। ये सौभाग्य का प्रतीक होती है। मेहंदी को 16 श्रृंगार में गिना जाता है। ये प्यार की निशानी होती है। माना जाता है कि मेहंदी का इस्तेमाल लगभग पांच हजार सालों से किया जा रहा है। मेहंदी का इस्तेमाल धार्मिक ग्रंथों में भी किया गया है। वहीं इसे मुगलों की देन भी माना जाता है, जो 12वीं शताब्दी में भारत लेकर आए थे।
बॉडी आर्ट का सबसे पुराना रूप है मेहंदी
मेहंदी शब्द की उत्पत्ति के बारे में बात करें तो इसे संस्कृत शब्द ‘मेंढिका’ से लिया गया है। इसका हिंदी में मतलब मेहंदी का पौधा होता है। मेहंदी को बॉडी आर्ट का सबसे पुराना रूप माना जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि खूबसूरत राजकुमारी क्लियोपेट्रा ने अपने शरीर को रंगने के लिए मेंहदी का ही इस्तेमाल किया था।
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शादी में क्यों लगाई जाती है मेहंदी
ये तो हम सभी जानते हैं कि शादी से दो दिन पहले मेहंदी दूल्हा और दुल्हन को मेहंदी लगाई जाती है। इसे सौभाग्य की निशानी माना जाता है। यह दंपति और उनके परिवारों के बीच प्यार को दर्शाता है। ऐसा कहा जाता है कि मेहंदी का रंग जितना निखर कर आता है। यह नवविवाहित जोड़े के लिए उतना ही भाग्यशाली होता है।
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