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    कहानी गहनों की: 'रानी हार', जो सदियों से है शाही शान का प्रतीक; मुगल रानियों की था पहली पसंद

    Updated: Thu, 04 Dec 2025 09:45 AM (IST)

    रानी हार शाही शान और भव्यता का प्रतीक है। यह हार पहले सिर्फ रानियां और शाही महिलाएं ही पहना करती थीं। इसका लंबा इतिहास मुगल और राजपूत दरबारों से जुड़ा ...और पढ़ें

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    मुगल रानियों की शान था रानी हार

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। गहनें भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा रहे हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरह के गहने देखने को मिल जाते हैं, जिनकी खूबसूरती किसी का भी दिल जीतने के लिए काफी हैं। इन्हीं गहनों में रानी हार भी शामिल है। अपनी खूबसूरती और भव्यता के कारण रानी हार आज भी शादियों के लिए खूब पसंद किया जाता है।

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    रानी हार सदियों से शाही शान और भव्यता का प्रतीक रहा है। यह केवल एक गहना नहीं, बल्कि भारतीय कला और संस्कृति की एक चलती-फिरती विरासत है। आइए कहानी गहनों की सीरिज में आज हम इसी खूबसूरत हार के बारे में जानते हैं, जो भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा रही है। 

    Rani Haar (2)

    (Picture Courtesy: Instagram)

    इसे यह नाम कैसे मिला?

    इस हार को 'रानी हार' नाम इसलिए मिला, क्योंकि इसका शाब्दिक अर्थ ही "रानी का हार" होता है। यह हार खास तौर से रानियों और शाही परिवार की महिलाओं द्वारा पहना जाता था। इसका लंबा, भव्य डिजाइन और कीमती पत्थरों का इस्तेमाल इसे आम आभूषणों से अलग करता था, जिससे इसे देखते ही पता चल जाता था कि यह शाही परिवार की किसी महिला का हार है। 

    रानी हार का इतिहास

    रानी हार का इतिहास भारत के स्वर्णिम मुगल साम्राज्य और राजपूत दरबारों से जुड़ा हुआ है। इस युग के दौरान, रानी हार शाही महिलाओं के लिए आभूषण का एक अहम हिस्सा था, जिसका इस्तेमाल वे अपनी धन-संपत्ति और सामाजिक रुतबे को दिखाने के लिए करती थीं। बेहतरीन डिजाइन, बारीक कारीगरी और इसमें इस्तेमाल होने वाले कीमती मटेरियल ने इसे प्रतिष्ठा का एक अटूट प्रतीक बना दिया। ये हार अक्सर पारिवारिक विरासत के तौर पर पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ते थे, जिससे इनकी कीमत और भी बढ़ जाती थी।

    Rani Haar (1)

    (Picture Courtesy: Instagram)

    इसका महत्व और क्यों है यह इतना खास?

    रानी हार केवल आभूषण का एक टुकड़ा नहीं, बल्कि सदियों पुराने शाही वैभव और शिल्प कौशल की एक धरोहर है। इसका महत्व इसकी कारीगरी और ऐतिहासिक महत्व में छिपा है। कारीगर घंटों लगाकर इस हार को तैयार करते हैं। इसके बारीक डिजाइन और बेहतरीन हैंडिक्राफ्ट इसे बेहद खास बनाती है।

    यही कारण है कि आज भी, रानी हार भारतीय परंपरा और आधुनिक फैशन का एक अटूट अंग बना हुआ है। शादियों और बड़े त्योहारों पर दुल्हनें और महिलाएं इसे पहनना पसंद करती हैं। यह न सिर्फ उन्हें एक रॉयल और भव्य लुक देता है, बल्कि उन्हें भारत की सदियों पुरानी विरासत से भी जोड़ता है। रानी हार की भव्यता ऐसी होती है कि यह अकेला ही पूरे आउटफिट पर चार चांद लगा देता है।

    Rani Haar (3)

    (Picture Courtesy: Instagram)

    रानी हार के अलग-अलग मनमोहक अंदाज

    समय के साथ, रानी हार कई आकर्षक शैलियों में विकसित हुआ है, जो हर महिला की पसंद को पूरा करते हैं-

    • मोती वाला रानी हार- यह अपनी सादगी और भव्यता के मेल के लिए मशहूर है। इसमें अक्सर भारी मोतियों का इस्तेमाल किया जाता है, जिन्हें सोने या चांदी के बारीक डिजाइन के साथ जोड़कर बनाया जाता है।
    • लेयर्ड रानी हार- इस शैली में मोतियों, बीड्स या कीमती रत्नों की कई परतें होती हैं, जो एक शानदार और ध्यान खींचने वाला इफेक्ट पैदा करती हैं।
    • पोल्की और कुंदन रानी हार- यह भारतीय आभूषण कला का बेहतरीन नमूना है। इसमें सोने के डिजाइनों में पोल्की या कुंदन और रत्न जड़े जाते हैं, जो पारंपरिक चमक और संस्कृति का अनोखा मिश्रण पेश करते हैं।
    • टेंपल ज्वेलरी रानी हार- यह शैली दक्षिण भारतीय मंदिरों की कला और वास्तुकला से प्रेरित है। इसमें अक्सर देवी-देवताओं के मोटिफ और सोने के बारीक पैटर्न होते हैं, जो इसे एक रॉयल और पारंपरिक लुक देते हैं।
    Rani Haar (4)
     
    (Picture Courtesy: Instagram)
    • एंटीक रानी हार- इस पीस में पुराने जमाने की धातु की कारीगरी और प्राचीन भारतीय कला की सुंदरता को संजोया जाता है, जो एक क्लासिक और पारंपरिक लुक देता है।
    • मॉडर्न रानी हार- यह कंटेम्पररी डिजाइनों और नए रंगों के साथ पारंपरिक शैलियों का मिश्रण है, जिससे इस हार को क्लासिक या मॉडर्न दोनों तरह के पहनावे के साथ पहना जा सकता है।
    Rani Haar
     
    (Picture Courtesy: Instagram)