कोल्हान आदिवासी अधिकार मंच का जोरदार प्रदर्शन; कुड़मी को ST बनाने का विरोध, राष्ट्रपति को सौंपा ज्ञापन
जगन्नाथपुर में कोल्हान आदिवासी अधिकार मंच ने कुड़मी महतो को आदिवासी बनाने की मांग के खिलाफ रैली निकाली। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपकर कुड़मी महतो जाति को एसटी सूची में शामिल न करने की मांग की। उन्होंने कहा कि आदिवासी जन्म से होते हैं बनाए नहीं जाते। वक्ताओं ने चेतावनी दी कि अगर समाज के सांसद और विधायक चुप रहे तो उनके खिलाफ आंदोलन किया जाएगा।

संवाद सूत्र, जगन्नाथपुर। जिले के जगन्नाथपुर अनुमंडल मुख्यालय में शुक्रवार को कोल्हान आदिवासी अधिकार मंच के बैनर तले कुड़मी महतो द्वारा आदिवासी बनने के मांग के विरुद्ध एक विशाल रैली निकाल कर विरोध प्रदर्शन किया गया, जिसमें हजारो आदिवासी सामुदाय के लोग शामिल हुए।
विशाल रैली जगन्नाथपुर डिग्री कालेज समीप से निकल कर जगन्नाथपुर मुख्य बाजार, रहीमाबाद, मौलानगर होते हुए अनुमंडल कार्यालय तक पहुंची, जहां अनुमंडल कार्यालय के मुख्य द्वार पर अनुमंडल पदाधिकारी को महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया। उसके मौलानगर स्थित रस्सेल स्कूल के मैदान में सभा की गई।
ज्ञापन देकर राष्ट्रपति से मांग की गई कि झारखण्ड में निवासरत कुड़मी महतो जाति को एसटी सूची में शामिल न किया जाय। आदिवासी तो जन्म से होता है, बनाया नहीं जाता है। 1913 ई. में छोटानागपुर के कुड़मी महतो जाति को एबोर्जिनल ट्राईबल की सूची में शामिल था। 1929 ई. में मुझफफरपुर में संपन्न अखिल भारतीय कुड़मी क्षत्रिय महासभा में कुड़मी जनप्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर कर अपने को क्षत्रिय घोषित किया है।
सन 1950 ई. में महामहिम राष्ट्रपति भारत सरकार द्वारा कुड़मी महतो जाति को पिछड़ी जाति का दर्जा देकर एसटी की सूची से हटा दिया गया है। कुड़मी की भाषा कुड़माली है, जो बंगाली से मिलता जुलता है। ये आर्य की तरह आचरण करते है और हिन्दू धर्म पर आस्था रखते है।
सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक एवं राजनीतिक दृष्टिकोण से आदिवासी की अपेक्षाकृत काफी मजबूत है। आदिवासी से साथ छुआछुत जैसा सामाजिक कलंक वर्तमान में विद्यमान है। आदिवासी परम्परा से बिल्कुल बेमेल जाति को एसटी सूची में शामिल नहीं किया जाए मांग की गई।
साथ ही कोल्हान आदिवासी अधिकार मंच ने यह भी मांग रखी कि भारतीय संविधान से अनुच्छेद 342 को जम्मू कश्मीर में लागू 370(35ए) के तर्ज में 368 प्रदत्त प्रावधान के तहत संशोधन कर आदिवासी बनाने वाले कानून को हटाया जाए।
साथ ही भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343, कानून या जन विरोधी नीति है। इस कानून के रहने से सभी जाति के लोग एसटी का मांग करेंगे। ये कानून सिर्फ आदिवासी के लिये खतरा नही है बल्कि लोकतंत्र पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा। इधर वक्ताओं ने कहा कि किसी भी सूरत में कुड़मी महतो को शामिल होने नहीं दिया जायेगा।
इसके लिये जल्द ही आर्थिक नाकेबंदी की तिथि घोषित की जाएगी। वक्ताओं ने कहा हमारे समाज से 5 सांसद, 28 विधायक का चुप रहना मौन समर्थन के बराबर है। समाज के सांसद, विधायक अपनी चुप्पी नहीं तोड़ते हैं, तो समाज ये लोगों के खिलाफ भी आंदोलन करेगी।
रैली में पूर्व विधायक मंगल सिंह बोबोंगा, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डीएन चम्पिया, मंच के संयोजक लक्ष्मी नारायण गागराई, विपिन हेमब्रम, निर्मल सिंकु, मंजीत कोड़ा, समियल लागुरी, सोमा कोड़ा, भूषण लागुरी, सीताराम लागुरी, मंगल सोरेन, अभिषेक सिंकू, मुंडा बलराम बोबोंगा, सुरेंद्र सिंकु, गब्बर सिंह हेमब्रम, शेरसिंह बिरुआ, सुनील अंगरिया शामिल थे।
इसके अलावा, शंकर चतोम्बा, किशोर दोराइबुरु, पुत्कर लागुरी, कानूराम देवगम, जयप्रकाश लागुरी, गोपाल हेमब्रम, बुकुल सिंकु, जुंडिया सिंकु, गोपी लागुरी, रोया चम्पिया, वीरेंद्र बालमुचू, राजेंद्र बालमुचू, मुंडा सोमनाथ सिंकु, मानकी कामिल केराई, अजय सिंकु, चंद्रमोहन चतोम्बा, ललित बोबोंगा, शिवचरण बानरा सहित हजारों लोग शामिल थे।
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