Jharkhand News: वज्रपात से झुलसी महिला को रात भर गोबर भरे गड्ढे में रखा, हुई मौत
नोवामुंडी में वज्रपात से झुलसी महिला की देशी इलाज के चलते जान चली गई। परिवार वालों ने उसे रात भर गोबर के गड्ढे में दबाकर रखा। हालत बिगड़ने पर अस्पताल ले जाया गया जहाँ उसकी मौत हो गई। डॉक्टरों ने बताया कि सही समय पर इलाज मिलने से जान बचाई जा सकती थी और गोबर का लेप लगाना उपचार का माध्यम नहीं है।

संवाद सूत्र, नोवामुंडी। नोवामुंडी प्रखंड की कोटगढ़ पंचायत के बड़ा कातीकोड़ा के स्कूलसाई टोला में वज्रपात की चपेट में आकर झुलसी महिला की अजीबो-गरीब देशी इलाज के कारण जान चली गयी। झुलसी महिला को परिवार वालों ने रात भर गोबर के गड्ढे में गर्दन तक दबाकर रखा।
इसके बाद जब महिला की हालत बिगड़ने लगी तो अंत समय में उसे ले जाकर स्थानीय टाटा मुख्य अस्पताल में लाकर भर्ती कराया। यहां इलाज के क्रम में महिला की मौत हो गयी। मृत महिला की पहचान 35 वर्षीय संगीता कैरम के रूप में की गयी है।
अस्पताल में स्वजनों ने बताया कि संगीता कैरम गांव की महिलाओं के साथ गुरुवार को सुबह खेत में काम करने गई थी। दोपहर तीन बजे तेज बारिश होने पर सभी महिलाएं घर लौट रही थी। तेज बारिश से बचने के लिए संगीता कैरम अन्य महिलाओं को छोड़कर एक बड़े पेड़ के नीचे रुक गयी।
थोड़ी देर बाद उसी पेड़ पर वज्रपात हो गया। वज्रपात की चपेट में आकर संगीता भी बुरी तरह झुलस गयी और मूर्छित होकर नीचे गिर गयी। यह देख थोड़ी दूर पर मौजूद लोगों ने उसे उठाकर घर पहुंचाया। वज्रपात से झुलसी संगीता लोगों के कहने पर परिवार वाले गोबर से भरे गड्ढे में ले गये।
गोबर के गड्ढे में दर्द से तड़पती रही महिला
संगीता के शरीर को गर्दन तक गोबर के गड्ढे में रखकर रातभर छोड़ दिया गया। महिला रात भर दर्द से तड़पती रही। सुबह होने के बाद उसे गड्ढे से निकाला गया और पानी से गोबर साफ कर नोवामुंडी के टाटा मुख्य अस्पताल लाया गया।
यहां प्रारंभिक उपचार के उपरांत चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया। महिला ने अपने पीछे पति रोशन कैरम व दो वर्षीय बेटे को छोड़ गई है। चिकित्सक ने बताया कि वज्रपात से झुलसने के तुरंत बाद यदि उसे अस्पताल लाकर उपचार किया जाता तो जान बच सकती थी।
गोबर का लेप लगाना उपचार का माध्यम नहीं है। वज्रपात से झुलसे व्यक्ति को गोबर के गढ्ढे में रखना कहीं से भी उचित नहीं है। मामले को लेकर स्थानीय थाने में सूचना दे दी गई है। झारखंड आंदोलनकारी अशोक पान ने कहा कि प्राकृतिक आपदा प्रबंधन राहत कोष के तहत महिला की परिजनों को लाभ मिलना चाहिए।
जागरुकता ही वज्रपात से बचने का उपाय
सिविल सर्जन डॉ. सुशांतो कुमार माझी ने बताया कि वज्रपात एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जिससे बचने के लिए जागरूकता ही एक मात्र उपाय है। खुले मैदानों में गिरने वाला वज्रपात ज्यादा खतरनाक होता है।
दूसरे किसी ऊंचे ढांचे पर गिरने वाला वज्रपात भी पास में रहने वाले लोगों के लिए जानलेवा हो सकता है। ऐसा वज्रपात ज्यादातर ऊंचाई वाले स्थानों और लंबे वृक्ष पर होता है।
खेतों में रहने के दौरान किसान किसी भी स्थिति में पेड़ के नीचे अपने को सुरक्षित न मानें। बल्कि खेत में बने रहना उससे ज्यादा सुरक्षित होगा या तुरंत अपने घर चले जाएं।
कभी भी अंधविश्वास या देशी इलाज के चक्कर में न पड़ें। वज्रपात से झुलसने पर तत्काल प्राथमिक चिकित्सा और फिर चिकित्सा उपचार आवश्यक है। पीड़ित को सुरक्षित स्थान पर ले जाएं। सुनिश्चित करें कि वो सांस ले रहा हो और दिल की धड़कन चल रही है। यदि आवश्यक हो तो सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) दें और तुरंत आपातकालीन सेवाओं को बुलाएं। -डॉ. एसके मांझी, सिविल सर्जन, पश्चिमी सिंहभूम।
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