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    9 हजार से ज्यादा ऑपरेशन... फिर भी फरार है माओवादी 'मिसिर बेसरा', 1 करोड़ रुपये के 3 इनामी भी एक्टिव

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 08:59 PM (IST)

    चाईबासा में सारंडा और कोल्हान के जंगलों में माओवादी अब भी सुरक्षाबलों के लिए चुनौती हैं। झारखंड सरकार का लक्ष्य है कि दिसंबर 2025 तक पश्चिमी सिंहभूम को माओवाद से मुक्त कर दिया जाए। डीजीपी ने कहा कि राज्य से 95-99% माओवादी खत्म हो चुके हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि जो माओवादी समर्पण नहीं करेंगे।

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    माओवादी मिसिर बेसरा अब भी फरार, 1 करोड़ के तीन इनामी अभी भी सक्रिय। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, चाईबासा। सारंडा और कोल्हान के जंगलों में सक्रिय माओवादी अब भी सुरक्षाबलों के लिए चुनौती बने हुए हैं। झारखंड सरकार का दावा है कि दिसंबर 2025 तक पश्चिमी सिंहभूम जिले को माओवाद से मुक्त कर दिया जाएगा।

    लेकिन शीर्ष माओवादी मिसिर बेसरा उर्फ भाष्कर उर्फ सुनिर्मल उर्फ सागर सहित एक दर्जन से अधिक इनामी माओवादी अब भी पकड़ से बाहर हैं।

    सुरक्षाबलों ने 2022 से 2025 तक 9,631 से अधिक सर्च ऑपरेशन चलाए, लेकिन बड़े इनामी माओवादी अभी तक पकड़ में नहीं आए।

    इन माओवादियों में मिसिर बेसरा (इनाम 1 करोड़), असीम मंडल उर्फ आकाश (1 करोड़), अनल उर्फ तुफान/पतिराम मांझी (1 करोड़), अनमोल उर्फ लालचंद्र हेमब्रम (25 लाख), मोछू उर्फ मेहनत (15 लाख), सागेन अंगरिया (5 लाख) और अन्य शामिल हैं।

    हालांकि, डीजीपी झारखंड अनुराग गुप्ता ने गुरुवार को चाईबासा में 10 माओवादियों के आत्मसमर्पण के मौके पर दावा किया कि झारखंड में 2025 के अंत तक माओवादी समाप्त हो जाएंगे।

    सारंडा में भागे-भागे फिर रहे माओवादी

    डीजीपी ने कहा कि राज्य से 95-99 प्रतिशत माओवादी खत्म हो चुके हैं और सारंडा क्षेत्र के कुछ बचे हुए माओवादी अब सुरक्षाबलों से छुपते हुए भागे-भागे फिर रहे हैं।

    डीजीपी ने बताया कि पहले जंगलों में माओवादी आईईडी बम लगाकर सुरक्षाबलों पर हमला करते थे, निर्दोष ग्रामीणों को पुलिस का मुखबिर बता कर निशाना बनाते थे, लेकिन अब उनकी ताकत पूरी तरह खत्म हो गई है।

    बड़े माओवादी गुटों का सफाया कर दिया गया है, और बचे हुए भी मजबूरी में आत्मसमर्पण करेंगे। सुरक्षा बलों का दावा है कि उनका इंटेलिजेंस इतना मजबूत है कि माओवादी कहां सोते हैं, क्या खाते हैं और मोबाइल फोन का इस्तेमाल कैसे करते हैं, इसकी पूरी जानकारी उनके पास है।

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    डीजीपी ने स्पष्ट किया कि अब माओवादी न तो हमला कर सकते हैं और न ही जवाब देने में सक्षम हैं।

    चेतावनी: जो माओवादी समर्पण नहीं करेंगे, उन्हें सुरक्षाबल मार गिरायेंगे

    उन्होंने चेतावनी दी कि अगले तीन महीनों में अभियान और तेज होगा। जो माओवादी आत्मसमर्पण नहीं करेंगे, उन्हें सुरक्षा बल मार गिराएंगे। पिछले आठ महीनों में 33 माओवादी मारे गए और सैकड़ों ने आत्मसमर्पण किया है।

    डीजीपी ने कहा कि झारखंड के जंगलों में अब माओवादी की शक्ति सिर्फ 5 से 10 प्रतिशत तक रह गई है और 2026 का सूर्य माओवादियों को झारखंड में दिखाई नहीं देगा।