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    सरायकेला में स्वास्थ्य विभाग ने मारी रेड, झोलाछाप डॉक्टरों के बीच मचा हड़कंप; कई क्लीनिकों का नहीं था रजिस्ट्रेशन

    Updated: Sun, 23 Mar 2025 10:28 PM (IST)

    झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले में बिना रजिस्ट्रेशन और योग्य चिकित्सकों के संचालित हो रहे क्लीनिकों पर स्वास्थ्य विभाग ने छापेमारी की। छापेमारी के दौरान दर्जन भर क्लीनिक में अनियमितताएं पाई गईं। पिछले पांच वर्षों में जिले में 75 झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की गई है और 40 अवैध क्लीनिक को बंद कराया गया है। स्वास्थ्य विभाग की छापेमारी से क्षेत्र में हड़कंप मचा रहा।

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    छापेमारी करती उड़न दस्ता की टीम। (फोटो जागरण)

    जागरण संवाददाता, सरायकेला। स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग की जिला स्तरीय उड़न दस्ता छापेमारी दल ने चांडिल एवं नीमडीह प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में छापेमारी अभियान चलाया।

    छापेमारी दल का नेतृत्व जिला के अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. जुझार माझी कर रहे थे। छापेमारी के दौरान दर्जन भर क्लीनिक बिना निबंधन और योग्य चिकित्सक के संचालित होने की बात सामने आई।

    पिछले पांच वर्षों में इस जिले में 75 झोलाछाप चिकित्सकों के विरुद्ध कार्रवाई हुई है, 40 अवैध रूप से संचालित क्लीनिक को स्थाई रूप से बंद कराया गया है।

    छापेमारी अभियान की शुरुआत चांडिल के चीलगू क्षेत्र से की गई। चीलगू में ममता क्लीनिक, महतो पॉली क्लीनिक एवं शिव- दुर्गा क्लीनिक का निरीक्षण किया गया।

    ममता क्लीनिक एवं महतो पॉली क्लीनिक निबंधित पाई गई, जबकि शिव दुर्गा क्लीनिक में अनियमितताएं देखने को मिली है। क्लीनिक बिना निबंधन के संचालन करते पाया गया एवं बिना किसी फार्मासिस्ट के दवाइयां बिक्री करते पाया गया।

    जिसके बाद दल द्वारा चांडिल के घोड़ानेगी में स्थित जीवनदीप क्लीनिक का निरीक्षण किया गया। जीवनदीप क्लीनिक भी निबंधित एवं सामान्य पाई गई।

    बिना निबंधन और योग्य चिकित्सक के संचालित हो रहे क्लीनिक

    निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार नीमडीह प्रखंड के अंतर्गत गोपी मेडिकल स्टोर एंड क्लीनिक रघुनाथपुर, गांधी सेवा सदन क्लीनिक आदरडीह, सुधीर कुमार प्रसाद क्लीनिक समनपुर, गोविंद क्लीनिक चालियामा, लक्ष्मी मेडिकल स्टोर चालियामा तथा डॉक्टर अरुण चंद्र गोराई क्लीनिक, चालियामा में दल द्वारा निरीक्षण किया गया।

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    उक्त सभी क्लीनिक में कोई योग्य चिकित्सक नहीं पाए गए, बिना निबंधन के सभी क्लीनिक संचालित पाई गई। जिस पर क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत कार्रवाई करने की बात कही गई।

    झोलाछाप डॉक्टरों के गलत इलाज के कारण लोगों में कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं 

    डॉ. जुझार माझी ने बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों में खौफ का माहौल था। सामान्य बीमारियों का इलाज कराने में भी विभाग को काफी परेशानियां आई थी। परिणाम स्वरूप झोलाछाप चिकित्सक आपदा को अवसर बना कर पनपने लगे।

    क्षेत्र में मनमानी तरीके से झोलाछाप डॉक्टरों के गलत इलाज के कारण लोगों में कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं देखने को मिल रही है। एस्टेरॉइड एवं हायर एंटीबायोटिक मेडिसिन के अंधाधुंध उपयोग से इम्युन सिस्टम पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

    लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी देखी जा रही है, छोटी -छोटी बीमारियां जो सामान्य दवाईयों से ठीक हो जाती थी, अब गम्भीर बीमारियां बनती जा रही है। इसका प्रमुख कारण है अप्रशिक्षित झोलाछाप चिकित्सक के द्वारा बिना किसी मापदंड के दवाईयों का डोज निर्धारित कर रोगियों को उपलब्ध कराना।

    स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार लाना हमारा उद्देश्य

    इस अभियान का मुख्य उद्देश्य समय रहते हमें स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार लाना है। आर.एम.पी. चिकित्सकों को दायरे में रहकर चिकित्सा सेवा प्रदान करना होगा, उन्हें किसी निबंधित डिग्रीधारी चिकित्सक के परामर्श से ही सहयोगी बन कर चिकित्सा सेवा प्रदान करना है न कि मनमानी ढंग से।

    किसी भी हालत में अवैध और मनमानी चिकित्सा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। चिकित्सा सेवा गाइडलाइन को फॉलो करते हुए देना होगा। उन्होंने बताया कि क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट राज्य में लागू होने से काफी हद तक इस मामले में सुधार हुआ है।

    अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ.माझी ने बातचीत के क्रम में लोगों से अपील करते हुए कहा कि किसी भी परिस्थिति में झोलाछाप चिकित्सकों के झांसे में नहीं आएं।

    छोटी-बड़ी जैसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हों, आप अपने निकट के सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में जरूर जाएं ‌। सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पहले की अपेक्षा अब काफी ज्यादा दुरूस्त है।

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