12 फीसद किशोरियां बन रहीं मां
रांची : झारखंड में 12 फीसद किशोरियां कम उम्र में मां बन जाती हैं। 19 वर्ष से पहले गर्भधारण मां और शिशु दोनों के लिए खतरनाक माना जाता है। लेकिन राज्य में गर्भधारण करनेवाली 12 फीसद किशोरियां 15 से 19 आयु वर्ग की हैं, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी किशोरियों की संख्या महज 7.9 फीसद है। स्वास्थ्य विभाग की प्रधान सचिव निधि खरे ने महिला एवं शिशु स्वास्थ्य की अधिसंख्य समस्याओं के लिए इसे जिम्मेदार ठहराया है।
रांची : झारखंड में 12 फीसद किशोरियां कम उम्र में मां बन जाती हैं। 19 वर्ष से पहले गर्भधारण मां और शिशु दोनों के लिए खतरनाक माना जाता है। लेकिन राज्य में गर्भधारण करनेवाली 12 फीसद किशोरियां 15 से 19 आयु वर्ग की हैं, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी किशोरियों की संख्या महज 7.9 फीसद है। स्वास्थ्य विभाग की प्रधान सचिव निधि खरे ने महिला एवं शिशु स्वास्थ्य की अधिसंख्य समस्याओं के लिए इसे जिम्मेदार ठहराया है।
उनके अनुसार, कम उम्र में शादी के कारण बच्चे भी कम उम्र में हो जाते हैं जिससे मातृ मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर बढ़ने, कम वजन के बच्चे पैदा होने, एनीमिया व कुपोषण की समस्या उत्पन्न होती है। प्रधान सचिव सोमवार को नामकुम स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ के सभागार में कम उम्र में शादी तथा गर्भधारण की समस्या पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं।
गौरतलब है कि झारखंड में बाल विवाह की दर 38 फीसद है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह दर 26.8 फीसद है। राज्य में 15 से 19 वर्ष की 65 फीसद किशोरियां एनीमिया से पीड़ित हैं। कार्यशाला में विभिन्न विभागों से इस समस्या के निदान का निर्णय लिया गया। पंचायती राज विभाग के प्रतिनिधि ने बाल विवाह की रोकथाम व सही समय पर पहला बच्चा संबंधित जानकारी लोगों को बताने के लिए अपने नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल करने की बात कही। शिक्षा विभाग ने एनएसएस के 1,250 स्वयंसेवकों के माध्यम से इसके रोकथाम की बात कही। इस संबंध में 50 हजार सखी मंडल को भी जागरूक किया जाएगा। यूनिसेफ के प्रतिनिधि ने बताया कि पिछले एक साल में पूर्वी सिंहभूम में विलेज लेवल चाइल्ड प्रोटेक्शन कमेटी द्वारा 18 साल से कम उम्र में होनेवाली 60 शादियों को रोका गया। कार्यशाला को निदेशक प्रमुख डा. सुमंत मिश्रा, उपनिदेशक डा. पुष्पा मारिया बेक, डा. जया प्रसाद आदि ने भी संबोधित किया।
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पुरस्कृत होंगे नो चाइल्ड मैरेज वाले गांव :
प्रधान सचिव ने बाल विवाह रोकने के लिए मुखबिर योजना, नो चाइल्ड मैरेज वाले गांवों, पंचायतों और प्रखंडों को पुरस्कृत करने, बाल विवाह नहीं करनेवाली बालिकाओं को आर्थिक सहायता देने की योजना शुरू करने का निर्देश दिया।
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सहिया करेगी जोड़ों की ट्रैकिंग :
प्रधान सचिव ने कम उम्र में शादी करनेवाले जोड़ों की ट्रैकिंग सहिया द्वारा कराने का निर्देश दिया। सहिया उनकी पहचान कर उन्हें सही समय पर पहला बच्चा पैदा करने की सलाह देगी। इसके लिए राज्य भर की 40 हजार सहिया को 25 जुलाई तक प्रशिक्षण दिया जाएगा।
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