Jharkhand News: राज्य का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल RIMS की बदहाली पर निदेशक ने हाई कोर्ट में क्या कहा - आप भी जानिए
रिम्स की व्यवस्ता देख अदालत ने संस्थान के निदेशक से पूछा है कि रिम्स की किस नियमावली के तहत उनके पास अस्पताल की स्थिति में सुधार लाने का कोई अधिकार नहीं है। किस नियम के तहत सारे अधिकार कैबिनेट के पास हैं और निदेशक को रखरखाव के लिए भी कैबिनेट के फैसले का इंतजार करना पड़ रहा है।

राज्य ब्यूरो, रांची । हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ में रिम्स की लचर व्यवस्था को सुधारने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।
सुनवाई के बाद अदालत ने संस्थान के निदेशक से पूछा है कि रिम्स की किस नियमावली के तहत उनके पास अस्पताल की स्थिति में सुधार लाने का भी अधिकार नहीं है।
किस नियम के तहत सारे अधिकार कैबिनेट के पास हैं और किस नियम के तहत निदेशक को रखरखाव के लिए भी कैबिनेट का इंतजार करना पड़ रहा है।
अदालत ने निदेशक को 11 अगस्त तक शपथपत्र दाखिल करने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी।
इसके पूर्व रिम्स का निरीक्षण कर प्रार्थी के अधिवक्ता दीपक कुमार दुबे सहित तीन वकीलों की टीम ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की। रिपोर्ट के साथ कुछ तस्वीरें और वीडियो भी कोर्ट को सौंपे गए।
रिपोर्ट देखने के बाद अदालत ने कहा रिम्स काफी दयनीय हालत में है। राज्य के सबसे बड़े अस्पताल की ऐसी स्थिति क्यों है। न तो पर्याप्त कर्मचारी हैं, न ही चिकित्सक।
कई जरूरी मशीनें नहीं हैं और कई मशीनें खराब हैं। मरीजों को सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। भवन भी जर्जर हैं। अदालत ने कोर्ट में मौजूद रिम्स निदेशक से पूछा कि रिम्स की ऐसी दयनीय हालत क्यों हैं।
इसके लिए जिम्मेदार कौन है। योगदान देने के बाद से आपने अस्पताल में सुधार के लिए क्या-क्या काम किया है। निदेशक की ओर से अदालत को बताया गया कि उन्होंने सुधार के लिए कई बार प्रयास किए।
इसके लिए योजना बनाई हैं, लेकिन किसी भी प्रकार के काम कराने और सुविधा उपलब्ध कराने का उनके पास कोई अधिकार नहीं है। सारे अधिकार कैबिनेट के पास है।
कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद ही काम होता है। इस पर अदालत ने कहा हो सकता है कि बड़े मामलों में कैबिनेट के पास प्रस्ताव भेजा जाता होगा, लेकिन रखरखाव का काम तो निदेशक कर ही सकते हैं। इस पर निदेशक ने कहा कि सारे अधिकार कैबिनेट के पास हैं।
कोर्ट ने निदेशक को शपथपत्र के माध्यम से यह बताने को कहा कि रिम्स की किस नियमावली में अस्पताल में सुधार और रखरखाव और सुविधाएं उपलब्ध कराने का अधिकार निदेशक के पास नहीं है।
अदालत ने निदेशक से पूछा है कि उन्होंने रिम्स में कब योगदान दिया है। रिम्स में योगदान देने के बाद उन्होंने क्या-क्या काम किया है। रिम्स की व्यवस्था में क्या-क्या बदलाव लाया है।
निदेशक की ओर से अदालत को बताया गया कि भवनों के मरम्मत के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। इस पर अदालत ने भवन निर्माण विभाग को यह बताने को कहा रिम्स के किन-किन भवनों की मरम्मत की टेंडर प्रक्रिया पूरी हुई है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।