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    UGC रेगुलेशन लागू हुआ तो JPSC से नहीं होगी कॉलेज शिक्षकों की नियुक्ति, केंद्र-राज्य में होगा टकराव!

    यूजीसी के प्रस्तावित रेगुलेशन से झारखंड में कॉलेज शिक्षकों की नियुक्ति पर बड़ा असर पड़ेगा। अब तक जेपीएससी के माध्यम से होने वाली नियुक्तियां अब विश्वविद्यालयों द्वारा की जाएंगी। इस बदलाव से राज्य सरकार और शिक्षकों के बीच विवाद की स्थिति बन गई है। बता दें कि राज्य में झारखंड निजी विश्वविद्यालय अधिनियम 2024 हाल ही में लागू हुआ है।

    By Neeraj Ambastha Edited By: Rajat Mourya Updated: Thu, 06 Feb 2025 08:26 PM (IST)
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    UGC रेगुलेशन लागू हुआ तो JPSC से नहीं होगी कॉलेज शिक्षकों की नियुक्ति

    नीरज अम्बष्ठ, रांची। विश्वविद्यालयों में कुलपतियों एवं शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर यूजीसी द्वारा प्रस्तावित रेगुलेशन लागू हुआ तो झारखंड में भी सहायक प्राध्यापकों, सह प्राध्यापकों एवं प्राध्यापकों की नियुक्ति झारखंड लोक सेवा आयोग से नहीं हो सकेगी।

    नियुक्ति का अधिकार विश्वविद्यालयों को मिल जाएगा, जो सर्च कमेटी की अनुशंसा पर नियुक्ति करेगा। वर्तमान में विश्वविद्यालय एवं कालेजों में शिक्षकों की नियुक्ति विश्वविद्यालयों की अधियाचना पर झारखंड लोक सेवा आयोग के माध्यम से होती है।

    क्या है प्रस्तावित रेगुलेशन?

    यूजीसी द्वारा प्रस्तावित रेगुलेशन के अनुसार, विश्वविद्यालयों में सहायक प्राध्यापकों, सह प्राध्यापकों, प्राध्यापकों, शारीरिक शिक्षा के सहायक निदेशकों, उप निदेशकों, पुस्तकालयाध्यक्षों, सहायक पुस्तकालयाध्यक्षों आदि की नियुक्ति सर्च कमेटी की अनुशंसा पर संबंधित विश्वविद्यालय द्वारा की जाएगी।

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    कैसे होगी नियुक्ति?

    • विश्वविद्यालय स्तर पर होने वाली नियुक्ति में सर्च कमेटी कुलपति की अध्यक्षता में गठित की जाएगी, जिसमें कुलपति द्वारा नामित प्राध्यापक स्तर का एक शिक्षक, संबंधित विषय के तीन बाह्य विशेषज्ञ, विभागाध्यक्ष तथा एससी, एसटी एवं ओबीसी के एक प्रतिनिधि सम्मिलित होंगे।
    • कॉलेज स्तर पर होने वाली नियुक्ति में सर्च कमेटी में संबंधित कालेज की शासी निकाय के चेयरमैन, प्राचार्य, विभागाध्यक्ष, तीन बाह्य विशेषज्ञ तथा एससी, एसटी एवं ओबीसी के एक प्रतिनिधि सम्मिलित होंगे। बताते चलें कि यूजीसी ने हाल ही में उक्त रेगुलेशन का ड्राफ्ट जारी किया है।

    कई राज्यों ने किया विरोध

    झारखंड सहित कई राज्य यह कहते हुए इसका विरोध कर रहे हैं कि इसमें कुलपतियों की नियुक्ति में राज्य सरकारों की भूमिका खत्म कर दी गई है। नियुक्ति का पूरा अधिकार सिर्फ राज्यपाल सह कुलाधिपति को दे दिया गया है। झारखंड सरकार शिक्षकों की नियुक्ति विश्वविद्यालयों द्वारा किए जाने के नियम का भी विरोध कर रही है।

    पांच फरवरी को बेंगलूरू में आयोजित छह राज्यों के उच्च शिक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में इस प्रस्तावित रेगुलेशन के विरुद्ध प्रस्ताव पारित कर उसे लागू नहीं करने की मांग की गई। इनमें झारखंड, केरल, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु तथा तेलंगाना सम्मिलित हैं।

    सर्च कमेटी के कोरम में दो बाह्य विशेषज्ञ का होना अनिवार्य

    प्रस्तावित रेगुलेशन के अनुसार, सहायक प्राध्यापक एवं अन्य शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर गठित होनेवाली सर्च कमेटी की बैठक के लिए पांच सदस्यों का कोरम होना अनिवार्य किया गया है। इनमें तीन बाह्य विशेषज्ञों में दो विशेषज्ञ अनिवार्य रूप से होंगे।

    करना होगा दो अधिनियमों में संशोधन

    यूजीसी द्वारा उक्त रेगुलेशन लागू किए जाने से झारखंड में दो अधिनियमों में संशोधन करना होगा। इनमें झारखंड विश्वविद्यालय अधिनियम तथा झारखंड निजी विश्वविद्यालय अधिनियम सम्मिलित हैं। बताते चलें कि राज्य में झारखंड निजी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2024 हाल ही में लागू हुआ है।

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