Jharkhand News: देश के 61.6 फीसदी स्कूलों में 3 भाषाएं पढ़ रहे बच्चे, झारखंड में केवल 39 प्रतिशत
देश के 61.6 प्रतिशत स्कूलों में तीन भाषाओं की पढ़ाई होती है जबकि झारखंड में यह संख्या केवल 39 प्रतिशत है। झारखंड में 59 प्रतिशत बच्चे ऐसे स्कूलों में पढ़ते हैं जहां तीन भाषाएं पढ़ाई जाती हैं। 19 प्रतिशत स्कूलों में एक भाषा और 42.1 प्रतिशत स्कूलों में बच्चे दो भाषाएं सीखते हैं। तीन भाषाओं में शिक्षा देने में गुजरात देश में सबसे आगे है।
नीरज अम्बष्ठ, रांची। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में बच्चों के तीन भाषाएं सीखने पर जोर दिया गया है, जिनमें दो भाषाएं अनिवार्य रूप से भारतीय होंगी। देश के अधिसंख्य स्कूलों में बच्चों को तीन भाषाएं सिखाई भी जाती हैं। देश के 61.6 प्रतिशत स्कूलों में बच्चों को तीन भाषाओं की पढ़ाई होती है।
हालांकि, झारखंड में ऐसे स्कूलों की संख्या 39 प्रतिशत ही है। इनमें सरकारी एवं गैर सरकारी द्वारा श्रेणी के स्कूल सम्मिलित हैं। लोकसभा में कनिमोझी करुणानिधि के एक सवाल पर केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने यह जानकारी दी है।
42 प्रतिशत स्कूलों में सिखाई जाती है दो भाषा
केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री ने यूडायस प्लस-2023-24 की रिपोर्ट के आधार पर बताया कि झारखंड के 19 प्रतिशत स्कूलों में एक भाषा तथा 42 प्रतिशत स्कूलों में बच्चों को दो भाषा सिखाई जाती है। पूरे देश में ऐसे स्कूलों की संख्या क्रमश: 10.1 तथा 28.3 प्रतिशत ही है।
हालांकि, केंद्रीय राज्य मंत्री द्वारा यह जानकारी नहीं दी गई है कि तीन भाषाओं में कहां किन-किन भाषाओं की पढ़ाई होती है। यूडायस प्लस की रिपोर्ट में भी इसका उल्लेख नहीं है। वैसे माना जा रहा है कि झारखंड में हिन्दी, अंग्रेजी के अलावा क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं की पढ़ाई होती है।
कुछ निजी स्कूलों में अंग्रेजी के अलावा अन्य विदेशी भाषाएं भी सिखाई जाती हैं। बताते चलें कि दक्षिणी राज्य इस आधार पर तीन भाषाओं के फार्मूले का विरोध करते हैं कि उ नपर हिंदी भाषा थोपी जा रही है।
हालांकि, दक्षिणी राज्यों में तीन भाषाओं के फार्मूले को लागू करने में भिन्नता है। जैसे, तमिलनाडु में महज 3.2 प्रतिशत स्कूलों में तीन भाषाओं की पढ़ाई होती है, वहीं कर्नाटक में ऐसे स्कूलों की संख्या 76.4 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधान
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में कहा गया है कि संवैधानिक प्रावधानों, लोगों, क्षेत्रों और संघ की आकांक्षाओं और बहुभाषावाद और राष्ट्रीय एकता को बढावा देने के लिए त्रिस्तरीय भाषा फार्मूले को लागू किया जारी रहेगा। हालांकि, तीन भाषा के इस फार्मूले में काफी लचीलापन रखा जाएगा और किसी भी राज्य पर कोई भाषा थोपी नहीं जाएगी।
- बच्चों द्वारा सीखी जाने वाली तीन भाषाओं के विकल्प राज्यों, क्षेत्रों और निश्चित रूप से छात्रों के स्वयं के होंगे, जिनमें से कम से कम तीन में दो भाषाएं भारतीय भाषाएं होंगी।
- विशेष रूप से जो छात्र अपनी पढ़ाई की तीन भाषाओं में से एक या अधिक को बदलना चाहते हैं, वे ग्रेड छह या सात में ऐसा कर सकते हैं।
- जब तक कि वे माध्यमिक विद्यालय के अंत तक तीन भाषाओं (साहित्य स्तर पर भारत की एक भाषा सहित) में बुनियादी दक्षता प्रदर्शित करने में सक्षम हों।
झारखंड के कितने स्कूलों में कितनी भाषाओं की पढ़ाई
भाषाओं की संख्या | स्कूलों की संख्या | नामांकित बच्चे | नामांकित प्रतिशत |
एक भाषा | 8,432 | 10,73,728 | 15.00 |
दो भाषा | 18,715 | 18,55,203 | 26.00 |
तीन भाषा | 17,328 | 42,14,324 | 59.00 |
तीन भाषाओं की पढ़ाई कराने में अग्रणी राज्य
राज्य | प्रतिशत |
गुजरात | 97.6 |
पंजाब | 96.2 |
सिक्किम | 89.2 |
उत्तर प्रदेश | 82.8 |
उत्तराखंड | 87.4 |
तीन भाषाओं की पढ़ाई कराने में फिसड्डी राज्य
राज्य | प्रतिशत |
अरुणाचल प्रदेश | 0.3 |
नागालैंड | 2.5 |
तमिलनाडु | 3.2 |
मेघालय | 18.9 |
असम | 33.6 |
ये भी पढ़ें
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।