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    कहीं खदान की भेंट न चढ़ जाए टंडवा-चतरा मार्ग, विभाग की असफलता या कुछ और? मुश्‍किलों में जिंदगी

    Updated: Wed, 10 Apr 2024 01:33 PM (IST)

    टंडवा-चतरा मार्ग के आने वाले समय में कोयला खदान के भेंट चढ़ने की संभावना है क्‍योंकि डकरा से टंडवा की ओर जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते जाते हैं वैसे-वैसे आपक ...और पढ़ें

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    खदान के पास कच्ची सड़क पर सड़क पर धूल ही धूल।

    संजय कृष्ण, रांची। डकरा से जब आप टंडवा की ओर बढ़ते हैं तो हरी-भरी वादियां आपका स्वागत करती हैं। चमचमाती सड़कें और विशाल वृक्ष झूमते मिलेंगे। यह अलग बात है कि टंडवा नदी विकास की भेंट चढ़ गई, लेकिन नाम तो है। फिर आपका सामना होता है कोल क्षेत्र से।

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    पेड़-पौधे पर चढ़ी कोयले की पतली राख

    सड़कों के किनारे पेड़-पौधों पर कोयले की पतली राख से पता चल जाता है कि अब आप कोलियरी क्षेत्र में पहुंच गए हैं। हालांकि, आगे बढ़ने पर एक टैंकर सड़क पर पानी का छिड़काव करते जा रहा था, लेकिन ऐसा कुछ दूर तक ही था।

    जैसे-जैसे आप आम्रपाली परियोजना की ओर बढ़ते जाएंगे तो सारा आकाश ही धुआं-धुआं नजर आएगा। चारों तरफ कोयले की मोटी राख की परतें। हवा में राख के कण। इस सड़क पर कोयला ढोते हाइवा कभी भी आपको अपनी चपेट में ले सकते हैं।

    धूल से भरी सड़क पर गुजरता वाहन

    हर साल यहां जान गंवा रहे लोग

    डकरा काॅलेज में पढ़ाने वाले पीके पाठक कहते हैं कि यहां हर साल कम से कम पचास लोग अपनी जान गंवा देते हैं। दो पहिया वाहन, आटो या यात्री बस इसी टंडवा-चतरा मुख्य सड़क से गुजरते हैं। निजी वाहन भी। कोयला ढोने के लिए अलग से कोई सड़क यहां नहीं।

    निर्देश का बोर्ड

    आगे कोल वाहन का रास्ता है...

    कोल परियोजना के जब नजदीक पहुंचेंगे तो डायवर्सन का बोर्ड दिखेगा। एक बोर्ड पर यह भी लिखा था - आम्रपाली परियोजना प्रतिबंधित क्षेत्र-आगे कोल वाहन का रास्ता। पर, रास्ता तो एक ही है। चाहे कोल वाहन चले या सवारी गाड़ी।

    डायवर्सन का बोर्ड भी है, लिखा है आम रास्ता। पर आप रास्ता खोजते रह जाइएगा। इस क्षेत्र में पूरे वातारण में इतनी राख उड़ती है कि आप बीस मीटर से आगे देख नहीं सकते।

    कोयला ढोने वाले वाहनों की स्पीड लिमिट नहीं है। अभी यह परियोजना चल रही है। चंद्रगुप्त की भी तैयारी है। यह भी इसके पास ही है। इसलिए, यहां जगह-जगह बोर्ड भी लग गया है, आम्रपाली-चंद्रगुप्त परियोजना।

    सड़क पर लगा बोर्ड

    हादसे का हाे रहा इंतजार, नियम तार-तार

    यहां सड़क से चार-पांच मीटर पर ओपेन कास्ट देख सकते हैं। कोयला खदान विनियम 2017 की 119 (1) निर्देशित करता है कि सड़क या रेलवे ट्रैक से इसकी दूरी 45 मीटर होना चाहिए।

    टंडवा से चतरा के इस राज्य मार्ग पर बाएं यह परियोजना चल रही है। सड़क के किनारे माइंस तक मिट्टी का ढेर है और कंटीले तारों से बस घेर दिया गया है। सुरक्षा के नाम पर यही व्यवस्था है। यदि किसी का ब्रेक फेल हो जाए, कोई हाइवा बेकाबू हो जाए तो वह सैकड़ों फीट नीचे जा सकता है।

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