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    Jharkhand News: बदल गई संस्कृत महाविद्यालयों की व्यवस्था, झारखंड देवभाषा पढ़ने वाले विद्यार्थियों पर ये पड़ेगा असर

    Updated: Thu, 24 Jul 2025 12:57 PM (IST)

    सरकार ने Sanskrit महाविद्यालयों में उप-शास्त्री यानी इंटर स्तरीय पढ़ाई को बंद करने की घोषणा कर दी है। इससे यहां पढ़ाई करने वाले छात्र छात्राओं में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। विशेषकर वैसे छात्र जो सामान्य संस्कृत की जगह इसमें वर्णित अन्य शोधपरक पढ़ाई यानी ज्योतिष वेद व्याकरण साहित्य के साथ साथ हिंदी संस्कृत अंग्रेजी और इतिहास का अध्ययन करना चाहते हैं।

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    राज्य के डिग्री संस्कृत महाविद्यालयों मेंअब नहीं होगी उप शास्त्री की पढ़ाई।

    जागरण संवाददाता, रांची । एक ओर जहां पूरे राज्य के संस्कृत महाविद्यालय अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं वहीं दूसरी ओर सरकार ने इन महाविद्यालयों में उप-शास्त्री यानी इंटर स्तरीय पढ़ाई को बंद करने की घोषणा कर दी है। इससे यहां पढ़ाई करने वाले छात्र छात्राओं में असमंजस की स्थिति बनी है।

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    उप शास्त्री इंटर शिक्षा को अलग किए जाने के बाद उपशास्त्री इंटर की व्यवस्था पूरी तरह से प्रभावित होने की संभावना जताई जा रही है।

    विशेषकर वैसे  छात्र जो सामान्य संस्कृत की जगह इसमें वर्णित अन्य शोधपरक पढ़ाई यानी ज्योतिष, वेद, व्याकरण, साहित्य के साथ साथ हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी और इतिहास का अध्ययन करना चाहते हैं।

    आमतौर यूनिवर्सिटी व विभिन्न कालेजों में होने वाली संस्कृत विषय की पढ़ाई में इन विशेष भागों की पढ़ाई नहीं हाेती है। ऐसे में चाहकर भी विद्यार्थी इन विषयों में विशेषज्ञता हासिल नहीं कर पाएंगे।

    बता दें कि पूरे राज्य में उप-शास्त्री की पढ़ाई बंद करने के बाद करीब 4000 छात्र छात्राएं प्रभावित होंगे। फिलवक्त वर्तमान सत्र में जितने नामांकित छात्र छात्राएं हैं उन्हें तो राहत मिल जाएगी।

    लेकिन आगामी सत्रों से उप-शास्त्री में नामांकन नहीं होगा। इसका सीधा असर उन महाविद्यालयों पर भी पड़ेगा जहां स्नातक स्तरीय शास्त्री और आचार्य जैसी उपाधियों के लिए पढ़ाई होती हैं।

    इन महाविद्यालयों में विद्यार्थियों का अनुपात घट जाएगा। उपशास्त्री इंटर की पढ़ाई की व्यवस्था छात्रों के अनुपात में महाविद्यालय बहुत कम हैं, ऊपर से उप-शास्त्री की पढ़ाई बंद होने से इस वर्ष मध्यमा की परीक्षा में पास होने वाले विद्यार्थियों के लिए यह असुविधाजनक स्थिति बन सकती है।

    ऐसे भी संस्कृत शिक्षा के प्रति उदासीनता होने के कारण इस राज्य में स्थित संस्कृत विद्यालयों और महाविद्यालयों की स्थिति बेहद दयनीय है।

    20 विद्यार्थी कर रहे उप-शास्त्री की पढ़ाई 

    वर्तमान में रांची स्थित संस्कृत महाविद्यालय में 20 विद्यार्थी उप-शास्त्री में नामांकित हैं। इस वर्ष नया फरमान आ जाने से कई छात्र छात्राओं को बैरंग लौटाना पड़ा है।

    इन्होंने ये कहा 

    सरकार को अपने निर्णय पर दोबारा विचार करना चाहिए ताकि देवभाषा को उचित स्थान प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि सरकारी उदासीनता के कारण पूर्व से ही संस्कृत विद्यालय और महाविद्यालयों की स्थिति खराब है और अब उप-शास्त्री की पढ़ाई बंद कर देने से स्थिति और विषम हो जाएगी।

    -डा. रामनारायण पंडित, प्राचार्य, राजकीय संस्कृत महाविद्यालय, रांची।

    पूर्व से ही पूरे राज्य में संस्कृत महाविद्यालयों की स्थिति खराब है ऊपर से उप-शास्त्री की पढ़ाई बंद करने से राज्य में संस्कृत की पढ़ाई और भी प्रभावित होगी। कर्मियों और प्राध्यापकों की नियुक्ति करने की जगह उप-शास्त्री की पढ़ाई बंद करने का निर्णय छात्रहित में नहीं है।

    -डा. शैलेश मिश्रा, प्राध्यापक, राजकीय संस्कृत महाविद्यालय, रांची।

    सरकार का यह निर्णय संस्कृत की पढ़ाई को प्रभावित करेगा। यह जानना बेहद आवश्यक है कि संस्कृत कोई सामान्य विषय नहीं बल्कि पूरी तरह से वैज्ञानिकता के आधार पर रचित काव्य की तरह ही है। इसलिए इस भाषा का विस्तार होना आवश्यक है।

    - मुकुल मिश्रा, छात्र।

    सरकार के इस निर्णय से बेशक संस्कृत विषय में रूचि रखने वालों का झटका लगा है। विशेषकर जिन्होंने मध्यमा पास किया है। अब वे या तो दूसरा विकल्प चुनेंगे या फिर अन्य राज्य को पलायन करेंगे।

    -शिवम, छात्र।