निलंबित IAS Vinay Kumar Choubey की और बढ़ीं मुश्किलें, खास महाल जमीन घोटाला में भी आरोपित
हजारीबाग में करीब 2.75 एकड़ खास महाल की जमीन की अवैध तरीके से खरीद-बिक्री मामले में दर्ज प्राथमिकी में एसीबी ने निलंबित आइएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे को भी आरोपित बनाया है। प्रारंभिक जांच (पीई) में आरोपों की पुष्टि के बाद एसीबी ने मंत्रिमंडल निगरानी एवं सचिवालय विभाग से प्राथमिकी की अनुमति मांगी थी।विनय कुमार चौबे शराब घोटाला केस में बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद हैं।

राज्य ब्यूरो, रांची। Jharkhand News हजारीबाग में करीब 2.75 एकड़ खास महाल की जमीन की अवैध तरीके से खरीद-बिक्री मामले में दर्ज प्राथमिकी में एसीबी ने निलंबित आइएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे को भी आरोपित बनाया है।
इस मामले में एसीबी ने आठ अगस्त को दर्ज प्राथमिकी में तत्कालीन खास महाल पदाधिकारी विनोद चंद्र झा, बसंती सेठी, उमा सेठी, इंद्रजीत सेठी, राजेश सेठी, विजय प्रताप सिंह और सुजीत कुमार सिंह को आरोपित बनाया था।
प्रारंभिक जांच (पीई) में आरोपों की पुष्टि के बाद एसीबी ने मंत्रिमंडल निगरानी एवं सचिवालय विभाग से प्राथमिकी की अनुमति मांगी थी।
अनुमति मिलते ही एसीबी ने यह प्राथमिकी दर्ज की है। अब इस पूरे प्रकरण में भी हजारीबाग के तत्कालीन उपायुक्त आइएएस विनय कुमार चौबे की मुश्किलें बढ़ेंगी।
वर्तमान में विनय कुमार चौबे Liquor Scam Case में रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद हैं। उन्हें एसीबी ने 20 मई को शराब घोटाला केस में गिरफ्तार किया था।
उनपर उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के पूर्व प्रधान सचिव रहते हुए पद का दुरुपयोग कर निजी स्वार्थ के लिए अपने चहेते मैनपावर एजेंसी को ठेका देने का आरोप है।
यह है हजारीबाग की जमीन का पूरा मामला
हजारीबाग के खासमहाल की जमीन से संबंधित पूरा मामला वर्ष 2008 से 2010 के बीच का है। तब हजारीबाग के डीसी आइएएस विनय कुमार चौबे थे।
हजारीबाग में खासमहाल की 2.75 एकड़ जमीन का फर्जी दस्तावेज तैयार कर 23 निजी लोगों को निबंधित किया गया था। इस मामले में वर्ष 2015 में एसीबी ने प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की थी।
इसकी जांच में फर्जीवाड़ा उजागर हुआ था। जांच में यह खुलासा हुआ था कि उक्त जमीन 1948 में सेवायत ट्रस्ट को 30 वर्षों की लीज पर दिया गया था, जिसका लीज 1978 में समाप्त हुआ था।
इसके बाद जमीन जस की तस पड़ी थी। 2008 से 2010 के बीच प्रशासनिक साजिश के तहत उक्त जमीन को 23 निजी लोगों को निबंधित किया गया था।
इसके लिए फर्जी दस्तावेज तैयार कर जमीन की प्रकृति बदली गई थी। जांच में यह भी सामने आया है कि हजारीबाग के तत्कालीन डीसी आइएएस विनय कुमार चौबे लीज नवीनीकरण के आवेदन से सेवायत ट्रस्ट जानबूझकर हटवाया। वर्तमान में इस जमीन पर बड़ी बड़ी इमारतें हैं।
विनय चौबे ने एसीबी की कार्रवाई को दी है चुनौती
हाई कोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत में शराब घोटाले के आरोपित आइएएस विनय चौबे की याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई, जो पूरी नहीं हो सकी।
अदालत ने मामले में अगली सुनवाई 14 अगस्त को निर्धारित की है। इस संबंध में आइएएस विनय चौबे ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता देवेश आजमानी ने अदालत को बताया कि प्रार्थी की गिरफ्तारी के पहले जो प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए थी।
उसका पालन एसीबी ने नहीं किया है। आरोपित को गिरफ्तारी का कारण बताना होता है, लेकिन एसीबी ने ऐसा नहीं किया। उनकी गिरफ्तारी में सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन का भी पालन नहीं हुआ है, इसलिए गिरफ्तारी को निरस्त किया जाए।
एसीबी ने 20 मई को विनय चौबे और तत्कालीन संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह को शराब घोटाला मामले में गिरफ्तार किया था। छत्तीसगढ़ में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद रांची एसीबी ने मामले में वर्ष 2024 में प्रारंभिक जांच (पीई) की थी। आरोप सही पाए जाने पर उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई।
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