Jharkhand: निलंबित IAS अधिकारी विनय कुमार चौबे की बढ़ेंगी मुश्किलें, अब इस फर्जीवाड़े में सामने आया नाम
रांची में शराब घोटाला मामले में जेल में बंद पूर्व उत्पाद आयुक्त विनय कुमार चौबे की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। हजारीबाग में खासमहाल की जमीन के फर्जी दस्तावेज मामले में एसीबी ने जांच तेज कर दी है। एसीबी ने सरकार से चौबे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति मांगी है।

राज्य ब्यूरो, रांची। राज्य में शराब घोटाला मामले में रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद पूर्व उत्पाद आयुक्त आईएएस विनय कुमार चौबे की मुश्किलें अभी और बढ़ेंगी।
वे अब हजारीबाग के खासमहाल की 2.75 एकड़ जमीन का फर्जी दस्तावेज के आधार पर निबंधन मामले में भी फंस सकते हैं। इसकी तैयारी चल रही है।
पूरे मामले की जांच कर रही भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने अब चौबे के विरुद्ध पूर्व में चल रही सभी जांच की फाइलों को खोलनी शुरू कर दी है। इन्हीं फाइलों में एक फाइल उनके हजारीबाग के उपायुक्त के कार्यकाल से संबंधित फाइल भी है, जो फर्जीवाड़ा से संबंधित है।
पूरा मामला वर्ष 2008 से 2010 के बीच हजारीबाग में खासमहाल की 2.75 एकड़ जमीन का फर्जी दस्तावेज तैयार कर 23 निजी लोगों को निबंधित करने से जुड़ा है। तब हजारीबाग के डीसी विनय कुमार चौबे थे।
इस मामले में वर्ष 2015 में हुई प्रारंभिक जांच (पीई) में पुष्टि के बाद एसीबी ने अब प्राथमिकी दर्ज करने के लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी है। एसीबी ने अनुमति मांगने संबंधित फाइल मंत्रिमंडल निगरानी एवं सचिवालय विभाग को भेजी है।
पीई में जो हुई थी पुष्टि
खासमहाल की 2.75 एकड़ जमीन का फर्जीवाड़ा मामले में एसीबी ने वर्ष 2015 में जो प्रारंभिक जांच (पीई) की थी, उसमें यह खुलासा हुआ था कि उक्त जमीन 1948 में सेवायत ट्रस्ट को 30 वर्षों की लीज पर दिया गया था।
1978 में लीज समाप्त हुआ था। इसके बाद जमीन जस की तस पड़ी थी। 2008 से 2010 के बीच प्रशासनिक साजिश के तहत उक्त जमीन को 23 निजी लोगों को निबंधित किया गया था। इसके लिए फर्जी दस्तावेज तैयार कर जमीन की प्रकृति बदल दी गई थी।
निलंबित आईएएस विनय कुमार चौबे पर आरोप है कि उनके तत्कालीन उपायुक्त रहते यह सब हुआ। उन्होंने लीज नवीनीकरण के आवेदन से सेवायत ट्रस्ट जानबूझकर हटवाया। जिसके बाद 23 निजी लोगों में उक्त करोड़ों रुपये की जमीन निबंधित हुई। वर्तमान में इस जमीन पर बहुमंजिली इमारतें खड़ी हैं।
इस जमीन की खरीद-बिक्री में झारखंड उच्च न्यायालय के उस आदेश की भी अवहेलना हुई है, जिसमें अदालत ने 26 जुलाई 2005 को एक आदेश जारी किया था कि हीरालाल सेठी और पन्नालाल सेठी अथवा उनके उत्तराधिकारी ट्रस्ट सेवायत की भूमि को किसी अन्य को हस्तांतरित नहीं कर सकते।
इसके बावजूद फर्जीवाड़ा हुआ। एसीबी अब प्राथमिकी दर्ज कर विनय चौबे के अन्य सहयोगी पदाधिकारियों के बारे में भी जानकारी जुटाएगी।
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