सुप्रीम कोर्ट ने सहायक आचार्य नियुक्ति में झारखंड सरकार को 14 अगस्त तक दिया समय, नहीं होने पर मुख्य सचिव को लगानी पड़ेगी हाजिरी
सहायक आचार्य नियुक्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने राज्य सरकार के जवाब पर नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर 14 अगस्त तक सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया तो 18 अगस्त को मुख्य सचिव शिक्षा सचिव और जेपीएससी सचिव को कोर्ट में सशरीर उपस्थित होना होगा।

राज्य ब्यूरो, रांची। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केवी विश्वनाथ और जस्टिस विजय विश्नोई की खंडपीठ में सहायक आचार्य नियुक्ति को लेकर दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि हर हाल में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए 14 अगस्त तक परिणाम जारी किया जाए।
अदालत ने कहा कि यदि उक्त तिथि तक सभी श्रेणियों का परिणाम जारी नहीं किया गया तो 18 अगस्त को मुख्य सचिव, शिक्षा सचिव और जेपीएससी सचिव को कोर्ट में सशरीर उपस्थित होना होगा। इस संबंध में परिमल कुमार एवं अन्य की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की गई है।
सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायण और अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने अदालत को बताया कि कक्षा छह से आठ के लिए गणित और विज्ञान में 5008 रिक्तियां होने के बावजूद केवल 1661 परिणाम घोषित किए गए हैं। जबकि 2734 उम्मीदवारों को दस्तावेज सत्यापन के लिए बुलाया गया था।
उनमें से 400 के दस्तावेजों में कोई त्रुटि नहीं थी। कट आफ मार्क्स से अधिक अंक पाने वाले कई उम्मीदवारों को दस्तावेज सत्यापन के लिए नहीं बुलाया गया। कक्षा एक से पांच तक सामाजिक विज्ञान के परिणाम अभी तक जारी नहीं किए गए हैं।
राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि इससे संबंधित झारखंड हाई कोर्ट के आदेश के बाद उर्दू सहित अन्य विषयों की परीक्षा रद कर दी गई थी। इसलिए परिणाम जारी करने में देरी हो रही है।
सुप्रीम कोर्ट सरकार के तर्क से संतुष्ट नहीं हुआ। सुप्रीम ने कहा कि क्या उनका आदेश हाई कोर्ट के आदेश से ओवर लूक किया जा सकता है। यह आदेश कोर्ट में प्रस्तुत नहीं करें। अदालत ने स्पष्ट किया कि 14 अगस्त तक मामले में परिणाम जारी किया जाए।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 30 जनवरी को झारखंड सरकार को सहायक आचार्य की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर एक महीने के भीतर अनुपालन रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि अगर रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई तो अवमानना की कार्यवाही की जाएगी।
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