21 साल से सुनील गावस्कर हर महीने भेंगरा के परिवार को भेजते थे पैसे, इसी से होता था गुजारा
पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हॉकी गोपाल भेंगरा के निधन से खेल जगत में शोक की लहर है। भेंगरा का जीवन बेहद मुश्किल दौर से गुजरा।खिलाड़ी को पत्थर तोड़ने का काम करना पड़ा। महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर को इसकी जानकारी हुई। वह उन्हें हर महीने उन्हें आर्थिक मदद देने लगे।

रांची, जासं। पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी हॉकी गोपाल भेंगरा के निधन से खेल जगत में शोक की लहर है। झारखंड के खूंटी जिले के रहने वाले भेंगरा का जीवन बेहद मुश्किल दौर से गुजरा। परिवार चलाने के लिए इस खिलाड़ी को पत्थर तोड़ने का काम करना पड़ा। यह खबर एक पत्रिका में छपने के बाद महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर को इसकी जानकारी हुई। वह उन्हें हर महीने उन्हें आर्थिक मदद देने लगे। जीवन के अंतिम समय तक हर महीने गावस्कर उन्हें 15 हजार रुपये भेजते थे। गोपाल कहते थे कि हॉकी ने तो उन्हें पूरी तरह ठुकरा दिया, लेकिन महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने उन्हें अपना लिया।
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भारत-आस्ट्रेलिया मैच में कॉमेंट्री करने सुनील गावस्कर जब रांची आए थे, तब उन्होंने उनसे मिलकर उनके प्रति आभार जताया था। पिछले 21 वर्ष से निरंतर भेंगरा के परिवार को यह सहयोग मिलता रहा। रांची में मुलाकात के दौरान दोनों की आंखों से आंसू छलक पड़े। हालांकि इस आर्थिक सहयोग के बारे में सुनील गावस्कर ने कभी किसी से कुछ नहीं कहा। वह निरंतर पूर्व हॉकी खिलाड़ी से बातचीत कर कुशल पूछते रहते। हॉकी के क्षेत्र से मिली उपेक्षा से वह इतने त्रस्त हो गए थे कि खेल का नाम लेते ही नाराज हो जाते थे। खूंटी जिले के तोरपा प्रखंड के उयुर गांव के रहने वाले भेंगरा के जीवन का अंतिम समय खेती में गुजर रहा था। वह अपने पुश्तैनी खपरैल के मकान में परिवार के साथ रहते थे।
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हॉकी अकादमी के कोच की निभाई जिम्मेदारी
गोपाल भेंगरा दो वर्षों तक खूंटी के एसएस हाई स्कूल की हॉकी अकादमी के कोच रहे। कोच के रूप में उन्हें एक हजार रुपये का भत्ता मिलता था। गोपाल भेंगरा कहत थे कि हॉकी में जबतक आपके सितारे बुलंद हैं, तबतक ही आपकी पूछ है। खेल छोड़ने के बाद कोई पूछने वाला नहीं है। भले ही आप कितने बड़े खिलाड़ी ही क्यों न हो, जबकि दूसरे खेलों में ऐसी बात नहीं है।
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