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    प्राइवेट स्कूलों पर शिक्षा विभाग ने एक वजह से जताई नाराजगी, अब मंडरा रहा एक्शन का खतरा; सामने आई लिस्ट

    रांची के निजी स्कूलों में अपार आइडी कार्ड बनाने का काम बेहद धीमी गति से चल रहा है। 13 फरवरी तक अधिकांश स्कूलों में कार्ड बनाने का प्रतिशत 40 से कम रहा। जिला शिक्षा पदाधिकारी ने नाराजगी जताई है और निजी स्कूलों के सहयोग की कमी पर चिंता व्यक्त की है। जिले में करीब 4 लाख से अधिक बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ रहे हैं।

    By kumar Gaurav Edited By: Mukul Kumar Updated: Sun, 16 Feb 2025 06:54 PM (IST)
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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

    कुमार गौरव, रांची। एक ओर जहां जिले के सरकारी विद्यालयों में अपार आइडी बनाने का कार्य धीमी गति से चल रही है तो शहर के निजी स्कूल भी कम नहीं हैं। यहां भी अपार कार्ड बनाने का कार्य बेहद धीमी गति से चल रहा है।

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    जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय द्वारा 15 फरवरी को जारी लिस्ट में इंगित किया गया है कि किस तरह शहर के नामचीन स्कूल प्रबंधनों के द्वारा अपार आइडी बनाने में सहयोग नहीं किया जा रहा है।

    जारी लिस्ट में स्पष्ट उल्लेख है कि नामांकित छात्र छात्राओं की संख्या के सापेक्ष में अपार आइडी बनाने की प्रक्रिया बेहद धीमी है।

    जारी आंकड़े की बात करें तो 13 फरवरी तक शहर के अधिकांश निजी स्कूलों में कार्ड बनाने का प्रतिशत 40 से कम रहा।

    शहर में सीबीएसई से 250 से अधिक मान्यता और गैर मान्यता प्राप्त स्कूल संचालित हैं जहां करीब 4 लाख से अधिक बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं।

    इतनी बड़ी संख्या में बच्चों का अपार कार्ड बनना है लेकिन सरकारी महकमे के उच्च पदस्थों का कहना है कि निजी स्कूल प्रबंधनों से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि जिले के हरेक छात्र छात्रा का अपार कार्ड बनना आवश्यक है।

    ये है निजी स्कूलों का प्रतिशत

    • जेवीएम श्यामली : 0.18 प्रतिशत
    • कैरलि स्कूल धुर्वा : 13.65 प्रतिशत
    • डीपीएस रांची : 39.14 प्रतिशत
    • संत माइकल्स स्कूल : 2.92 प्रतिशत
    • बिशप वेस्टकाट गर्ल्स स्कूल : 43.90 प्रतिशत
    • संत अन्ना इंटरमीडिएट कॉलेज : 5.59 प्रतिशत
    • एस्काट इंटरनेशनल स्कूल : 6.71 प्रतिशत
    • संत जान्स इंटर कालेज रांची : 41.10 प्रतिशत
    • संत जेवियर्स स्कूल डोरंडा : 73.20 प्रतिशत
    • प्रभाततारा इंग्लिश मीडियम स्कूल : 44.33 प्रतिशत
    • मेटास एडवेंटिस्ट स्कूल : 52.66 प्रतिशत
    • मारवाड़ी ब्वायज कॉलेज : जीरो प्रतिशत
    • ज्योति शिखर हाईस्कूल : 5.25 प्रतिशत
    • संत एंथोनी स्कूल : 35.54 प्रतिशत
    • आरटीसी इंटर कालेज : 57.12 प्रतिशत
    • लोएला स्कूल : 8.84 प्रतिशत
    • संत फ्रांसिस स्कूल : 76.98 प्रतिशत
    • सेंट्रल एकेडमी : 8.01 प्रतिशत
    • सेवन स्टार्स एकेडमी : 62.34 प्रतिशत
    • रांची पब्लिक स्कूल : जीरो प्रतिशत
    • मारवाड़ी वीमेंस कॉलेज : जीरो प्रतिशत
    • पाम इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल बरियातू : 1.51 प्रतिशत

    बरती जा रही लापरवाही

    निजी स्कूलों के द्वारा लापरवाही बरती जा रही है। बता दें कि निजी स्कूलों में सिर्फ सिलेबस पूरा करने की चिंता रहती है और सरकारी दिशा निर्देश को दरकिनार किया जा रहा है।

    आलम यह है कि शहर के कई नामचीन स्कूलों में अपार कार्ड बनाने का स्तर शून्य है। धीमी गति से चल रहे अपार कार्ड निर्माण पर शिक्षा विभाग के उच्च पदस्थों ने नाराजगी भी जताई है।

    यही कारण है कि जिला शिक्षा पदाधिकारी रांची विनय कुमार ने जिले के सभी निजी स्कूल प्रबंधनों के साथ आनलाइन और आफलाइन माध्यम से बैठक किए जाने का निर्णय लिया।

    इन बैठकों में सभी निजी स्कूलों को अपार कार्ड बनाने को गंभीरता से लेने की बात कही गई है। उन्होंने कहा तय समय सीमा में अपार कार्ड बनाने का कार्य पूरा कर लें अन्यथा कार्रवाई होगी।

    जिले में आरटीई अंतर्गत मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों की संख्या करीब 250 से अधिक है। यहां नामांकित बच्चों की संख्या 4 लाख से अधिक है। बार बार दिशा निर्देश देने के बाद भी अपार कार्ड बनाने की गति बहुत धीमी है।

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