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    Sita Soren: सीता सोरेन के साथ दुमका में हो गया खेला! अस्तित्व बचाने के लिए अब क्या करेंगी?

    झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन (Sita Soren) की भाजपा में एंट्री फलदायी नहीं रही। बहुत तैयारी के साथ सीता सोरेन ने चुनाव में मोर्चा को झटका देने की कोशिश की लेकिन चुनाव परिणाम ने उन्हें ही झटका दे दिया। भाजपा ने जिस रणनीति के तहत सीता सोरेन को दुमका से लोकसभा चुनाव लड़ाया उसमें वह विफल हो गईं।

    By Pradeep singh Edited By: Mohit Tripathi Updated: Wed, 05 Jun 2024 10:15 PM (IST)
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    दुमका से हारने के बाद सीता सोरेन के राजनीतिक करियर पर संकट। (फाइल फोटो)

    प्रदीप सिंह, रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के अध्यक्ष शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन की भाजपा में एंट्री फलदायी नहीं रही। बहुत तैयारी के साथ उन्होंने चुनाव के दौरान मोर्चा को झटका देने की कोशिश की, लेकिन चुनाव परिणाम ने उन्हें ही झटका दे दिया। भाजपा ने जिस रणनीति के तहत सीता सोरेन को दुमका से चुनाव लड़ाया, उसमें वह विफल हो गईं।

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    भाजपा ने घोषित प्रत्याशी सुनील सोरेन को हटाकर सीता सोरेन को इसी मंशा के तहत टिकट थमाया था कि वह सत्तारूढ़ क्षेत्रीय दल झामुमो के खिलाफ तगड़ी मोर्चाबंदी कर सके। सीता सोरेन दुमका में ही घिरकर रह गईं। अन्य संसदीय क्षेत्रों में उन्हें प्रचार अभियान का मौका नहीं मिला।

    अपने चुनाव अभियान की शुरूआत में उनके तेवर नरम थे, लेकिन जैसे-जैसे उन्हें जमीनी सच्चाई का आभास हुआ, उनके तेवर कड़े होते चले गए। उन्होंने सीधे शिबू सोरेन परिवार को निशाने पर लिया।

    पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन पर आरोपों की बौछार की। यहां तक कह डाला कि उनसे उनकी बेटियों की जान को खतरा है।

    उन्होंने अपने दिवंगत पति दुर्गा सोरेन की मौत को लेकर भी सवाल उठाते हुए जांच की मांग उठाई। उनकी दो बेटियों के निशाने पर भी झामुमो का कुनबा रहा।

    इससे इतर झामुमो की तरफ से सीता सोरेन के प्रति कड़वे बोल से परहेज किया गया। कल्पना सोरेन ने कभी उनके आरोपों का जवाब नहीं दिया।

    पार्टी के रणनीतिकारों ने यहां तक कहा कि वह चाहें तो वापस लौट सकती हैं। हालांकि सीता सोरेन ने जिस प्रकार के तेवर दिखाए हैं, उससे उनकी झामुमो में वापसी की राह मुश्किल है। शिबू परिवार के खिलाफ मोर्चा खोलकर उन्होंने अपनी वापसी की राह बंद कर ली है।

    लोकसभा चुनाव में हार का सामना करने के बाद अब अगले विधानसभा चुनाव में उनके समक्ष दावेदारी का विकल्प है। भाजपा इसी मुताबिक उनका उपयोग कर सकती है। सीता सोरेन जामा से विधायक हैं।

    सीता सोरेन के इस्तीफे पर अभी तक निर्णय नहीं

    भाजपा में शामिल होने के बाद सीता सोरेन ने विधायकी से इस्तीफा संबंधी पत्र विधानसभा अध्यक्ष को प्रेषित किया था। अभी तक इसपर कोई निर्णय नहीं हुआ है। उधर झामुमो ने एक्शन लेते हुए सीता सोरेन को संगठन से निष्कासित कर दिया है।

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