झारखंड का सबसे बड़ा 'राजनीतिक परिवार, आंदोलन से मिली संजीवनी; जानिए शिबू सोरेन के शून्य से सत्ता तक की कहानी
Shibu Soren political career शिबू सोरेन का विवाह 1962 में रूपी किस्कू से हुआ। रूपी सोरेन ने शिबू सोरेन के संघर्षों में परिवार को संभाला और अपने बच्चों में मजबूत संस्कार डाले। उनके बेटे दुर्गा सोरेन दो बार विधायक रहे जबकि हेमंत सोरेन वर्तमान में झारखंड के मुख्यमंत्री हैं। बसंत सोरेन भी विधायक हैं। हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन गांडेय से विधायक हैं।

राजीव रंजन, रांची। Shibu Soren family background जब शिबू सोरेन 18 साल के हुए, तो 1 जनवरी 1962 को उनका विवाह रूपी किस्कू से हुआ। रूपी सोरेन जमशेदपुर के चांडिल की निवासी हैं। विवाह के बाद, शिबू सोरेन तीन पुत्रों - स्वर्गीय दुर्गा सोरेन, हेमंत सोरेन, बसंत सोरेन और एक पुत्री अंजनी सोरेन के पिता बने।
बता दें कि एक मां के रूप में रूपी सोरेन ने न केवल शिबू सोरेन के संघर्ष और आंदोलन की तपिश में पूरे परिवार को संभाला, बल्कि उनमें संघर्ष के मजबूत संस्कार भी डाले। उन्हें यह शक्ति अपनी सास सोनामनी सोरेन से विरासत में मिली थी।
वहीं, आज पूरी दुनिया रूपी सोरेन और शिबू सोरेन के पालन-पोषण और दिए गए संस्कारों को देख रही है। बड़े पुत्र स्वर्गीय दुर्गा सोरेन दुमका के जामा से दो बार विधायक रहे। स्वर्गीय दुर्गा वर्ष 1995 और 2000 में जामा से विधायक रहे। उन्हें झामुमो का केंद्रीय महासचिव भी बनाया गया था। उनका जन्म वर्ष 1970 में हुआ था और 24 मई 2009 को अचानक उनकी मृत्यु हो गई।
बाद में उनकी पत्नी सीता सोरेन उनकी विरासत को आगे बढ़ाते हुए इस सीट से तीन बार विधायक चुनी गईं। सीता सोरेन लगातार 2009, 2014 और 2019 में जामा से विधायक चुनी गईं। उन्हें संगठन में केंद्रीय महासचिव भी बनाया गया था। हालांकि उन्होंने वर्ष 2024 में झामुमो छोड़ दिया है और भाजपा में शामिल हो गई हैं, लेकिन गुरुजी के प्रति उनकी भावनाएं अभी भी बहुत गंभीर हैं।
स्वर्गीय दुर्गा सोरेन और सीता सोरेन की तीन बेटियां हैं जिनके नाम जयश्री सोरेन, राजश्री सोरेन और विजयश्री सोरेन हैं। वर्तमान में दूसरे बेटे हेमंत सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री हैं। हेमंत झारखंड में लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं, जबकि वे एक बार उपमुख्यमंत्री भी रहे।
पार्टी संगठन में वे झारखंड छात्र मोर्चा, युवा मोर्चा, केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष और अब अध्यक्ष की भूमिका में हैं हेमंत वहां से लगातार दूसरी बार विधायक बने हैं, जबकि हेमंत सोरेन ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत दुमका विधानसभा सीट से की थी।
वर्ष 2005 में उन्होंने दुमका सीट से झामुमो के टिकट पर पार्टी के दिग्गज नेता प्रो स्टीफन मरांडी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। फिर बदली परिस्थितियों में प्रो स्टीफन ने झामुमो छोड़ दिया और निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
हालांकि, 2009 के चुनाव में हेमंत सोरेन झामुमो के टिकट पर दुमका से चुनाव जीतने में सफल रहे। इसी दौरान हेमंत सोरेन 24 जून 2009 से 7 जुलाई 2010 तक राज्यसभा के सदस्य भी रहे। इसके ठीक बाद वर्ष 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन भाजपा की डॉ लुईस मरांडी से चुनाव हार गए।
फिर वर्ष 2019 में उन्होंने दुमका और बरहेट सीट से चुनाव लड़ा और दोनों सीटों पर जीत हासिल की इसके बाद, बसंत सोरेन वर्ष 2024 में चुनाव जीतकर विधायक भी बन गए हैं। बसंत सोरेन को पथ निर्माण मंत्री बनने का भी अवसर मिला है। बसंत झारखंड छात्र मोर्चा और युवा मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन गांडेय से विधायक हैं। हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन के दो बेटे हैं, बड़े बेटे का नाम नितिल सोरेन और छोटे बेटे का नाम विश्वजीत सोरेन है। जबकि शिबू सोरेन की बेटी अंजनी सोरेन की शादी ओडिशा में हुई है। हालाँकि, उनके पति देबानंद मरांडी का 2017 में निधन हो गया था। उनके एक बेटा साहेब मरांडी और एक बेटी प्रीति मरांडी हैं।
अंजनी भी झामुमो की राजनीति में शामिल हो गई हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में, उन्होंने ओडिशा की मयूरभंज सीट से भाजपा के नव चरण मांझी के खिलाफ चुनाव लड़ा। इससे पहले वर्ष 2024 में, उन्होंने ओडिशा के सरसकाना विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
वर्ष 2019 में उन्होंने ओडिशा के मयूरभंज निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। वहीं वर्ष 2017 में अंजनी सोरेन पहली बार जिला परिषद का चुनाव भी लड़ चुकी हैं। उन्हें ओडिशा झामुमो का अध्यक्ष भी बनाया गया है।
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