Jharkhand Politics: लालू यादव ने सत्यानंद भोक्ता पर क्यों जताया भरोसा? BJP से RJD तक हर पार्टी की रहे लाइफलाइन
राजद ने सत्यानंद भोक्ता को झारखंड का प्रधान महासचिव बनाया है। सत्यानंद भोक्ता पहले भाजपा में थे और 2000 में चतरा से विधायक बने थे। वे अर्जुन मुंडा सरकार में मंत्री भी रहे। 2019 में राजद में शामिल हुए और चतरा से विधायक बने। हेमंत सोरेन सरकार में मंत्री भी रहे। उन्होंने अपनी बहू को भी चुनाव लड़ाया पर वे हार गईं।

राज्य ब्यूरो, रांची। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) झारखंड के प्रधान महासचिव बनाए गए सत्यानंद भोक्ता राजनीति के क्षेत्र में एक कद्दावर नेता के रूप में जाने जाते हैं। भाजपा से लेकर राजद तक उन्होंने जिस पार्टी का दामन थामा, उसके साथ मजबूती से डटे रहे।
उन्हें हाल ही में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने राजद झारखंड प्रदेश के प्रधान महासचिव की कमान सौंपी है, ताकि पार्टी को राज्य में मजबूती से आगे बढ़ाया जा सके। मूल रूप से चतरा जिले के कारी गांव निवासी सत्यानंद भोक्ता का जन्म दो मई 1972 को हुआ था।
उनके पिता स्वर्गीय जगरनाथ भोक्ता व मां रमनी देवी तथा पत्नी परमा देवी हैं। महज इंटर तक की पढ़ाई करने वाले सत्यानंद भोक्ता चार बेटों के पिता हैं।
शानदार रहा है सत्यानंद भोक्ता का राजनीति करियर
चतरा विधानसभा सीट पर सत्यानंद भोक्ता सबसे पहले वर्ष 2000 में भाजपा के टिकट से चुनाव लड़े और अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी राजद के जनार्दन पासवान को चुनाव में हराया। वर्ष 2003 में ये पहली बार पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री बने थे।
एक साल बाद ही तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के कार्यकाल में इनका मंत्रालय बदला और ये कृषि एवं गन्ना विकास मंत्री बने। वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव में भी इन्होंने भाजपा के टिकट पर चतरा से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। तब वे सरकार में फिर से पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री बने।
वर्ष 2009 में ये सिमरिया विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और वहां जेवीएम के जयप्रकाश सिंह भोक्ता से चुनाव हार गए। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो वे पार्टी बदलकर झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) में शामिल हो गए।
वे झाविमो के टिकट पर चतरा में चुनाव मैदान में उतरे। जब जेवीएम के जयप्रकाश सिंह भोक्ता भाजपा में शामिल हो गए थे और वे भी चतरा से भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे। इस चुनाव में भी सत्यानंद भोक्ता को हार का सामना करना पड़ा। वे भाजपा प्रत्याशी जयप्रकाश भोक्ता से चुनाव हार गए।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के पूर्व वे झाविमो छोड़कर राजद में शामिल हो गए। इसी वर्ष विधानसभा चुनाव में राजद ने उन्हें चतरा विधानसभा सीट पर अपना प्रत्याशी बनाया। उन्होंने यहां भाजपा के प्रत्याशी जनार्दन पासवान को हराया।
सत्यानंद भोक्ता वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में राजद कोटे के इकलौते विधायक बनकर विधानसभा में पहुंचे थे। हेमंत सोरेन की सरकार ने उन्हें अपने कैबिनेट में जगह दी और वे श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण मंत्री बने।
बहू को लड़ाया चुनाव
वर्ष 2022 में भोक्ता जाति एसटी में शामिल हो गई। चूंकि चतरा एससी सीट थी, इसलिए सत्यानंद भोक्ता चाहकर भी वहां से चुनाव नहीं लड़ सकते थे। उन्होंने इसका भी हल निकाला और अपने बेटे की शादी वर्ष 2023 में एससी जाति की लड़की रश्मि प्रकाश से कर दी।
उन्होंने वर्ष 2024 में अपनी बहू रश्मि प्रकाश को चतरा विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ाया, लेकिन वे जीत हासिल नहीं करा सके। इस सीट पर एनडीए प्रत्याशी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रत्याशी जनार्दन पासवान ने जीत हासिल की है।
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