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    रिम्स में इमरजेंसी दवाओं की सीधी खरीदारी कर मरीजों को दी जाएगी

    रिम्स के ट्रॉमा सेंटर में मरीजों को दवाओं की कमी से जूझना पड़ रहा है। इस समस्या को दूर करने के लिए रिम्स प्रबंधन ने इमरजेंसी दवाओं की सीधी खरीदारी करने का निर्णय लिया है। दवाओं का स्टॉक कम होते ही खरीदारी का आर्डर दिया जाएगा। इमरजेंसी में एक उप-स्टोर भी बनेगा। वर्तमान में रिम्स हर साल लगभग 15 करोड़ की दवा खरीदता है।

    By Jagran News Edited By: Suprabha Saxena Updated: Fri, 09 May 2025 01:25 PM (IST)
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    रांची नें स्थित राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान (फाइल फोटो)

    जागरण संवाददाता, रांची। रिम्स इमरजेंसी ट्रॉमा सेंटर में मरीजों को दवा उपलब्ध नहीं हो पा रही है, यहां हर मरीज को बाहर से दवा खरीदकर लानी पड़ रही है। प्रबंधन ने इसे गंभीरता से लिया है।

    ट्रॉमा सेंटर में ऐसी व्यवस्था की जा रही है जिसमें आपातकालीन सामग्री और दवाओं की सीधी खरीदारी की जा सकेगी। इससे मरीजों को बाहर दवा दुकान से दवा की खरीदारी नहीं करनी होगी।

    सीधी खरीदारी के प्रस्ताव पर निदेशक ने दी सहमति

    रिम्स निदेशक ने बताया कि मरीजों को दवा उपलब्ध नहीं हो पा रही है, इसमें जो व्यवस्था बनायी गई थी वो ही ध्वस्त हो चुकी है। उन्होंने बताया कि कुछ दिनों तक वे रिम्स में नहीं रहें और पूरी व्यवस्था ही खराब हो गई है। अब एक नई व्यवस्था के तहत काम किया जाएगा। सीधी खरीदारी के प्रस्ताव पर उन्होंने अपनी सहमति दे दी है।

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    इस नई व्यवस्था के तहत जैसे ही दवाओं का स्टॉक समाप्त होने की ओर होगा, दवाओं की खरीदारी का ऑर्डर दिया जाएगा। जबकि जिन दवाओं को जल्द खरीदनी होगी उनकी कांट्रेक्ट रेट पर ही सीधी खरीदारी होगी, इसके लिए लंबे कागजी प्रक्रिया से मुक्ति मिलेगी और मरीजों को लाभ मिलेगा।

    इमरजेंसी में बनेगा उप स्टोर

    ट्रॉमा सेंटर के अंदर स्टोर, फार्मेसी और क्रय संचालन के प्रबंधन के लिए दो अतिरिक्त कंप्यूटर आपरेटर की नियुक्ति की जाएगी, ताकि वे इमरजेंसी में दवाओं की स्थिति पर नजर बनाए रखेंगे और इमरजेंसी दवाओं की कमी होने के पहले ही दवाओं का आर्डर दिया जाएगा। साथ ही ट्रामा सेंटर में सेवाओं को व्यवस्थित करने की पहल को और मजबूत करते हुए ट्रामा सेंटर में एक अलग से उप-स्टोर बनाया जाएगा।

    करोड़ों खर्च, स्थिति दयनीय

    मालूम हो कि अभी रिम्स हर वर्ष करीब 15 करोड़ की दवा खरीदता है, फिर भी व्यवस्था इतनी लचर है कि मरीजों को बाहर से दवा खरीदनी पड़ रही है। उदाहरण के तौर पर कई ऐसी एंटीबायोटिक दवा रिम्स में हैं, जो बेहतर माने जाते हैं फिर भी कई डॉक्टर महंगी ब्रांडेड दवा लिखते हैं, जो सिर्फ बाहर दवाखाना में ही उपलब्घ है।

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