RIMS Director ने कहा-स्वास्थ्य मंत्री ने मेडिकल उपकरण खरीदने पर लगा रखी है पाबंदी, हाई कोर्ट ने मांगा जवाब
रिम्स निदेशक की ओर से हाई कोर्ट को बताया गया कि झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने पत्र जारी किया है जिसके अनुसार वे सिर्फ दैनिक कार्य और रोजाना इस्तेमाल होने वाली दवा सहित अन्य सामान ही खरीद सकते हैं। जांच मशीन भारी मशीन आदि बड़े सामान की खरीद करनी हो तो उन्हें मंत्री से अनुमित लेनी होगी।

राज्य ब्यूरो, रांची। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में रिम्स की लचर व्यवस्था सुधारने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई।
इस दौरान कोर्ट में उपस्थित रिम्स निदेशक से अदालत ने पूछा कि रिम्स की स्थिति सुधारने में क्या कठिनाई हो रही है। उनकी ओर से कोर्ट को बताया कि झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी ने रिम्स निदेशक को एक पत्र जारी किया है।
पत्र के अनुसार वे सिर्फ दैनिक कार्य और रोजाना इस्तेमाल होने वाली दवा सहित अन्य सामान ही खरीद सकते हैं। जांच मशीन, भारी मशीन आदि बड़े सामान की खरीद करनी हो तो उन्हें मंत्री से अनुमित लेनी होगी। बिना अनुमति के कोई सामान नहीं खरीदा जाएगा।
इसपर अदालत ने कहा कि पिछली सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने कहा था कि निदेशक पर किसी तरह की पाबंदी नहीं है। वह सब कुछ कर सकते हैं। लेकिन दूसरी ओर निदेशक को पत्र लिखकर पाबंदी लगा दी गई है। अदालत ने महाधिवक्ता को इस पर पक्ष रखने की बात कही है।
निदेशक की ओर से यह भी बताया गया कि उनके कार्यकाल में मात्र दो बार ही जीबी की बैठक हुई है। सुनवाई के बाद अदालत ने मामले में महाधिवक्ता राजीव रंजन को पक्ष रखने का निर्देश देते हुए अगली सुनवाई 13 अगस्त को निर्धारित की है।
अदालत ने रिम्स की हालत पर गंभीर चिंता जताते हुए संस्थान के अधिवक्ता से सुझाव मांगा है। अदालत ने उनसे पूछा कि रिम्स को सुधारने के लिए क्या-क्या कदम उठाए जा सकते हैं।
रिम्स की बदहाली पर ज्योति कुमार ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है। प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता दीपक कुमार दुबे ने कहा कि रिम्स निदेशक ने अभी तक जरूरी उपकरण नहीं खरीदे हैं, सिर्फ खरीदे जाने की बात कही है।
भवन निर्माण विभाग की ओर से कहा गया कि रिम्स के बेसमेंट में पानी और जर्जर भवन का मुआयना करने के लिए आइएसएम, धनबाद को पत्र लिखा गया था।
वहां की टीम ने इस कार्य के लिए 22.42 लाख रुपये की मांग की है। इसे लेकर निदेशक को पत्र लिखा गया है, लेकिन उन्होंने अभी तक जवाब नहीं दिया है।
पूर्व में सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार की ओर से रिम्स निदेशक को कोई भी सामान खरीदने या कुछ करने पर कोई रोक नहीं है, वह स्वतंत्र है और रिम्स की स्थिति सुधार के लिए सामान खरीदने को स्वतंत्र है।
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