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    Jharkhand News: नए कांग्रेस प्रभारी के लिए आसान नहीं झारखंड की राह, कई चुनौतियों से होगा निपटना; जल्द होंगे बदलाव

    Jharkhand Congress रांची कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में गुलाम अहमद मीर को प्रदेश प्रभारी पद से हटाते हुए के. राजू की इस पद पर नियुक्ति की है। झारखंड कांग्रेस में जल्द ही बड़े बदलाव होने के कयास लगाए जा रहे हैं ऐसे में नए प्रदेश प्रभारी के. राजू के सामने कई नई चुनौतियां हैं।

    By Ashish Jha Edited By: Piyush Pandey Updated: Sat, 15 Feb 2025 08:36 PM (IST)
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    के. राजू को बनाया गया है झारखंड कांग्रेस का नया प्रभारी। (सांकेतिक फोटो)

    राज्य ब्यूरो, रांची। कुछ दिन पहले दिल्ली में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने झारखंड कांग्रेस के नेताओं और मंत्रियों से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के कुछ दिन बाद ही झारखंड में बड़ा बदलाव हुआ।

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    कांग्रेस ने के. राजू को झारखंड का नया प्रभारी बनाया है। झारखंड में प्रदेश कांग्रेस के नए प्रभारी के. राजू के सामने बड़ी चुनौती पार्टी में अनुशासन को बनाए रखने की है।

    नए प्रभारी के. राजू के सामने कई चुनौतियां

    प्रदेश मुख्यालय से लेकर जिलों तक में बड़े पैमाने पर बदलाव होने हैं और जाहिर सी बात है कि ऐसे बदलावों से कई प्रकार के विरोध जन्म लेते हैं। ऐसे में झारखंड के नए कांग्रेस प्रभारी के. राजू के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी।

    संगठन में पहले भी ऐसी परिस्थितियों पर नियंत्रण के लिए शीर्ष नेतृत्व को खुद आगे आना पड़ा है। इस बार सवाल उठ रहे हैं कि आखिर महज सवा साल में प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर को क्यों बदला गया।

    आंकड़ों के हिसाब से उन्हें जितने विधायकों के साथ पार्टी की जिम्मेदारी मिली थी, उतने विधायक अभी भी पार्टी में ही हैं। सूत्र बताते हैं कि उन्हें गृह राज्य में अधिक जिम्मेदारी दी जा रही है।

    के. राजू की गिनती दक्षिण भारत के एक अनुशासित कांग्रेसी के तौर पर होती है। उनके नेतृत्व में पार्टी में अनुशासन बढ़ने की बातें की जा रही हैं। इस बीच, झारखंड से कुछ लोगों को केंद्रीय टीम में भी रखने का काम होना है। पार्टी इसके लिए भी चेहरे की तलाश में जुटी है।

    दागदार चेहरों के कारण पार्टी की छवि हुई धूमिल

    पिछले कार्यकाल में दागदार रहे नेताओं के कारण पार्टी की छवि धूमिल हुई और ऐसे नेताओं को इस बार भी सत्ता के केंद्र में शामिल करने के हिमायती प्रदेश कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर की कमजोरी मानी गई।

    पार्टी ने भले ही पुरानी सूची में से दो मंत्रियों को हटा दिया और नए नामों को शामिल कराया, लेकिन इसका गाज किसी पर नहीं गिरा था। अब तय माना जा रहा है कि मीर की सज्जनता का फायदा कुछ गलत लोग उठा ले गए।

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