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    रांची में शुक्रवार से वित्त रहित शिक्षकों की हड़ताल, इन मांगों को लेकर राजभवन-विधायकों के आवास का करेंगे घेराव

    By Neeraj AmbasthaEdited By: Shashank Shekhar
    Updated: Thu, 28 Sep 2023 10:28 PM (IST)

    वित्त रहित शिक्षकों ने अपनी मांगों को लेकर शुक्रवार से हड़ताल पर रहने का फैसला किया है। इस दौरान वित्त रहित इंटर कॉलेजों स्कूलों और मदरसों में शैक्षणिक कार्य ठप रहेगा। वहीं यह हड़ताल 30 सितंबर एवं एक अक्टूबर को पूरे राज्य के वित्त रहित शिक्षक कर्मी करेंगे और अपने क्षेत्र के विधायकों के आवास का घेराव करेंगे। संघर्ष मोर्चा ने राजभवन के सामने महाधरना का भी निर्णय लिया है।

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    रांची में शुक्रवार से वित्त रहित शिक्षकों की हड़ताल

    राज्य ब्यूरो, रांची: झारखंड में अनुदान राशि को बढ़ाकर चौगुना करने तथा वित्त रहित शिक्षा नीति समाप्त करने की मांग को लेकर आंदोलनरत वित्त रहित शिक्षा कर्मी शुक्रवार को शैक्षणिक हड़ताल रहेगी। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के कारण वित्त रहित इंटर कॉलेजों, स्कूलों और मदरसों में पठन-पाठन ठप रहेगा।

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    30 सितंबर एवं एक अक्टूबर को पूरे राज्य के वित्त रहित शिक्षक कर्मी अपने-अपने क्षेत्र के विधायकों के आवास का घेराव कर अधिग्रहण या घाटा अनुदान देने की मांग पत्र लिखवाएंगे। वित्त रहित शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने दो अक्टूबर को राजभवन के समक्ष महाधरना का भी निर्णय लिया है।

    शिक्षा सचिव ने प्रस्ताव से किया इनकार  

    संघर्ष मोर्चा ने वित्त रहित इंटर कॉलेजों के प्लस टू स्कूलों में विलय के प्रस्ताव का भी भारी विरोध किया है। हालांकि, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव के. रवि कुमार ने इस तरह के प्रस्ताव से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में हमें कोई जानकारी नहीं है।

    जानकारी के मुताबिक, वित्त रहित स्कूलों एवं कॉलेजों को राज्य सरकार विधानसभा से पारित एक्ट तथा कैबिनेट से स्वीकृत नियमावली के तहत अनुदान प्रदान करती है।

    इन स्कूल और कॉलेजों की स्थापना अनुमति तथा मान्यता से संबंधित नियमावली भी लागू है। संबंधित एक्ट तथा नियमावली में संशोधन के बिना वित्त रहित इंटर कॉलेजों को सरकारी प्लस टू स्कूलों में विलय नहीं किया जा सकता।

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    गुरुवार को संघर्ष मोर्चा की हुई थी बैठक 

    इधर, गुरुवार को संघर्ष मोर्चा की हुई बैठक में कहा गया कि इंटर कॉलेजों के विलय का निर्णय विधि सम्मत नहीं है। इंटर कॉलेज 25-30 सालों से चल रहे हें, जिसमें तीन लाख से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं और पांच हजार से अधिक शिक्षक-कर्मी कार्यरत हैं।

    मोर्चा का कहना है कि जब छात्रों की शिफ्टिंग प्लस टू स्कूलों में हो जाएगी तो ये सभी सड़क पर आ जाएंगे। मोर्चा ने तय किया कि कोई भी इंटर कॉलेज परियोजना द्वारा मांगी गई सूचना प्रदान नहीं करेगा।

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