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    शराब घोटाला: जिस छत्तीसगढ़ के कारोबारियों पर 450 करोड़ का बकाया, उसके होलसेलरों को किया 11 करोड़ का भुगतान

    Updated: Sat, 24 May 2025 06:17 PM (IST)

    शराब घोटाले की जांच में एसीबी के प्रवेश के बाद कई खुलासे हुए हैं। पता चला है कि उत्पाद विभाग के कुछ अधिकारियों ने छत्तीसगढ़ की कंपनियों को नियमों के विरुद्ध जाकर भुगतान किया जबकि उन पर पहले से ही करोड़ों रुपये का बकाया था। मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं और दोषियों को नहीं बख्शने की बात कही है।

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    खबर की प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)

    राज्य ब्यूरो, रांची। जब शराब घोटाले की जांच में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की एंट्री हुई तो राज्य में शराब घोटाले की परत दर परत खुलती जा रही है।

    मिली नई जानकारियों के अनुसार उत्पाद एवं मद्य निषेध के पूर्व प्रधान सचिव सह झारखंड विबरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड के पूर्व महाप्रबंधक विनय कुमार चौबे इकलौते बड़े अधिकारी नहीं हैं जो छत्तीसगढ़ के शराब कारोबारियों पर मेहरबान रहे हैं।

    उत्पाद विभाग झारखंड के अधिकारियों का छत्तीसगढ़ प्रेम विनय कुमार चौबे के बाद भी सामने आया है। उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के मंत्री योगेंद्र प्रसाद के शपथ ग्रहण व योगदान के कुछ ही दिनों के भीतर उन्हें बताए बगैर झारखंड में वर्ष 2022 में थोक शराब आपूर्ति करने वाली छत्तीसगढ़ की दो कंपनियों को नवंबर 2024 में करीब 11 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया भुगतान कर दिया गया था।

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    इन कंपनियों में मेसर्स दीशिता वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड व मेसर्स ओम साईं विबरेजेज प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं। भुगतान उस स्थिति में किया गया, जब छत्तीसगढ़ सिंडिकेट की ही झारखंड में ब्लैकलिस्ट की गईं चारों प्लेसमेंट एजेंसियों पर करीब 450 करोड़ रुपये झारखंड का बकाया है।

    छत्तीसगढ़ की इन चारों प्लेसमेंट एजेंसियों में मेसर्स ए टू जेड इंफ्रा सविर्सस लिमिटेड, मेसर्स इगल हंटर सोल्यूशंस लिमिटेड, मेसर्स प्राइम वन वर्क फोर्स प्राइवेट लिमिटेड व मेसर्स सुमित फैसिलिटिज शामिल हैं।

    झारखंड अपने 450 करोड़ रुपये के बकाया के लिए सुप्रीम कोर्ट के शरण में है। मामला न्यायालय में विचाराधीन है।

    पूर्व आयुक्त फैज अक अहमद के हटने के बाद सेवानिवृत्ति के पूर्व अमित प्रकाश ने किया है भुगतान

    छानबीन में पता चला कि छत्तीसगढ़ की दोनों थोक शराब आपूर्ति करने वाली कंपनियां मेसर्स दीशिता वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड व मेसर्स ओम साईं विबरेजेज प्राइवेट लिमिटेड के प्रतिनिधि जेएसबीसीएल के पूर्व आयुक्त सह महाप्रबंधक फैज अक अहमद के पास भी आई थी।

    लेकिन उन्होंने वहां की प्लेसमेंट एजेंसियों पर 450 करोड़ रुपये का हवाला देकर दोनों थोक विक्रेताओं का भी भुगतान रोके रखा। उनके बाद अमित प्रकाश जेएसबीसीएल के आयुक्त बने और उन्होंने दोनों कंपनियों के अनुरोध पर उन्हें 11 करोड़ से अधिक का भुगतान किया। इन कंपनियों का विभाग पर करीब 18 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया था।

    झारखंड के शराब कारोबारी योगेंद्र तिवारी के विभाग पर अब भी है 14 करोड़ रुपये का बकाया

    राज्य में मई 2022 में उत्पाद नीति लागू हुई थी और शराब की थोक व खुदरा बिक्री राज्य सरकार ने अपने हाथों में लिया था। इससे पूर्व शराब कारोबारी योगेंद्र तिवारी के पास राज्य में शराब की थोक बिक्री का ठेका था।

    नई नीति लागू होते ही एक मई 2022 को उन्होंने अपने सभी थोक शराब व गोदाम झारखंड राज्य विबरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड को हैंडओवर कर दिया था। उनका तब राज्य सरकार पर 14 करोड़ रुपये का बकाया था, जो अब तक उन्हें नहीं मिला है।

    एक मई 2022 से शराब की थोक बिक्री छत्तीसगढ़ की दो कंपनियों मेसर्स दीशिता वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड व मेसर्स ओम साईं विबरेजेज प्राइवेट लिमिटेड को दी गई थी। इस नीति के तहत छत्तीसगढ़ की चारों प्लेसमेंट एजेंसियां राज्य की खुदरा शराब दुकानों में मैनपावर सप्लाई कर शराब बेच रही थी।

    जेएसबीसीएल की नोटिस के बावजूद शराब बिक्री के करीब 150 करोड़ से अधिक रुपये सरकार के खाते में जमा नहीं हुए जो जेएसबीसीएल के तत्कालीन आयुक्त कमलेश्वर प्रसाद ने उन कंपनियों का बैंक गारंटी जब्त करते हुए उन्हें ब्लैकलिस्ट कर दिया था और प्लेसमेंट एजेंसियों पर जुर्माना सहित करीब 450 करोड़ रुपये का बकाया ठोका।

    उसी वक्त यानी 31 दिसंबर 2022 को छत्तीसगढ़ की दोनों थोक शराब आपूर्ति कंपनियों को भी भगाया। जिनके बकाया का तीन साल के बाद नवंबर 2024 में भुगतान हुआ है।

    अब योगेंद्र तिवारी ने दो दिन पहले ही विभाग के अधिकारियों पर दबाव बनाया है कि उनका पहले से 14 करोड़ रुपये का बकाया था, तो भुगतान नहीं हुआ, छत्तीसगढ़ वालों ने क्या घुट्टी पिलाई कि उनके बाद के बकाया का भुगतान हो गया।

    अमूमन भुगतान के मामले में मंत्री को जानकारी देने का प्रविधान नहीं है, लेकिन तीन साल पुराने मामले में अचानक भुगतान किया गया तो यह संदेह पैदा करता है। निश्चित ही जांच का विषय है और इसपर विभागीय अधिकारियों से जानकारी ली जाएगी। विभाग में किसी भी तरह की गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दोषी बख्से नहीं जाएंगे। -योगेंद्र प्रसाद, मंत्री, उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग, झारखंड।