Jharkhand Politics: 'भाजपा को झारखंड की बात करने की हिम्मत नहीं', "मन की बात" सुनने के बाद भड़के लोग
झारखंड में भाजपा नेताओं ने मन की बात सुनी पर स्थानीय मुद्दों पर चुप्पी साधे रखी। सतीश पाल मुंजनी ने आरोप लगाया कि कोई भी भाजपा नेता झारखंड की बात नहीं करता। जनता अब जागरूक है और जनप्रतिनिधियों से उनकी बात सुनने की अपेक्षा रखती है। देश में बेरोजगारी महंगाई और अपराध बढ़ रहे हैं पर प्रधानमंत्री ने मन की बात में इन चिंताओं को अनदेखा किया।

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में भाजपा नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "मन की बात" के 124वें एपिसोड को बड़े उत्साह से सुना। लेकिन, किसी भी भाजपा सांसद या विधायक में झारखंड की जमीनी हक़ीक़त, बेरोज़गारी, महंगाई, आदिवासियों के अधिकार, कोयला क्षेत्र की समस्याओं, किसानों की दुर्दशा और केंद्रीय योजनाओं में भेदभाव पर एक शब्द भी बोलने की हिम्मत नहीं है।
झारखंड प्रदेश मीडिया विभाग के अध्यक्ष सतीश पाल मुंजनी ने आरोप लगाया कि भाजपा से जुड़ा कोई भी जनप्रतिनिधि झारखंड की बात नहीं करता।
ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या भाजपा के जनप्रतिनिधियों में झारखंड की बात करने की हिम्मत नहीं है? अगर वे झारखंड के मुद्दों पर चुप हैं, तो वे किसके प्रतिनिधि हैं? जनता के या सरकार के?
झारखंड की जनता अब सचेत हो गई है। सतीश ने कहा कि जनता सिर्फ़ "मन की बात" ही नहीं, बल्कि "जनता की बात" भी सुनना चाहती है। अब समय आ गया है कि हमारे जनप्रतिनिधि नाटकबाज़ी छोड़कर संविधान और विवेक के अनुसार काम करें।
एक तरफ़ देश भर में बेरोजगारी चरम पर है, महंगाई आम आदमी की कमर तोड़ रही है, किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं, महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध लगातार बढ़ रहे हैं और आर्थिक असमानता दिन-ब-दिन गहरी होती जा रही है।
वहीं, दूसरी तरफ कश्मीर घाटी के पहलगाम में आतंकवादी हमले हो रहे हैं और दोषियों की अभी तक गिरफ़्तारी नहीं हुई है। "मन की बात" में प्रधानमंत्री ने एक बार फिर उन मुद्दों को नज़रअंदाज़ कर दिया जो आम नागरिकों की प्राथमिक चिंता का विषय हैं।
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