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    रामगढ़ में बापू की मूर्ति पर हमला, शरारती तत्वों ने किया क्षतिग्रस्त, सीसीटीवी खंगालने में जुटी पुलिस

    Updated: Sun, 12 Oct 2025 11:00 PM (IST)

    राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आदमकद प्रतिमा को कुछ शरारती तत्वों ने क्षतिग्रस्त कर दिया। इस घटना से लोगों में गुस्सा है। पुलिस मामले की जांच कर रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात कही है।

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    राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आदमकद प्रतिमा को शरारती तत्वों ने किया क्षतिग्रस्त। फोटो जागरण

    संवाद सहयेागी, रामगढ़। जिले में रविवार की सुबह शर्मसार करने वाली घटना सामने आई। रामगढ़ थाना से महज दो सौ मीटर की दूरी पर थाना चौक गांधी चौक पर स्थापित राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आदमकद प्रतिमा को शरारती तत्वों ने क्षतिग्रस्त कर दिया।

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    प्रतिमा के दोनों हाथ को क्षतिग्रस्त करने के साथ-साथ गोलंबर में लगे गेट को भी उखाड़ कर साथ ले गए। मूर्ति का दाहिना हाथ एवं लाठी का एक टुकड़ा टूट कर जमीन पर गिर गया है और बायां हाथ टूट कर लटक रहा है।

    सूचना पाकर लोगों की भीड़ जुट गई और तत्काल इसकी सूचना रामगढ़ थाना प्रभारी को दी। इसके बाद सर्वधर्म समन्वय परिषद के सदस्यों, गांधी वादियों ने भी थाने जाकर इसकी शिकायत की।

    इसके बाद पुलिस हरकत में आई और आसपास स्थित दुकानों में लगे सीसीटीवी फुटेज को खंगालने लगी। देर शाम तक शरारती तत्वों की पहचान नहीं हो पाई है।

    वैसे पुलिस अधिकारियों का दावा है कि शीघ्र ही इस घृणित कार्य को अंजाम देने वाले उनकी गिरफ्त में होंगे। ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

    इधर विभिन्न राजनीतिक दल के पदाधिकारियों, कई संगठनों के लोगों ने भी इस घटना के विरोध में अपनी-अपनी शिकायत दर्ज कराई है और इस घटना की कड़ी भर्त्सना की है।

    उल्लेखनीय है कि 1940 में बापू का रामगढ़ में आगमन हुआ था। उनकी की मृत्यु के बाद उनकी अस्थियां देश के अन्य स्थानों के साथ रामगढ़ भी लाई गई थीं, जो दामोदर नदी के तट पर बने गांधी स्मारक में भी स्थित है।

    गांधी वादी सुशील स्वतंत्र ने कहा कि रामगढ़ ऐतिहासिक शहर रहा है। गांधी जी के आगमन से लेकर उनकी अस्थियां आज भी हमें उनका अहसास कराती है।

    ऐसे में गांधी जी की प्रतिमा का खंडित किया जाना रामगढ़ वासियों के लिए बेहद शर्म और शोक का विषय है। थाना प्रभारी से मिलने वाले शिष्टमंडल में बलराम सिंह, जगदीश राम केवट, अशोक विश्वराय, आशुतोष कुमार सिंह, अनिल विश्वराय, पन्ना लाल राम, अनिल, शहजादा मुस्तफा, मजीद आलम व सतीश गुप्ता शामिल थे।