पूर्व सीएम रघुवर दास का पेसा नियमावली पर तीखा हमला: आदिवासी परंपरा कमजोर करने की कोशिश, मूल भावना के विपरीत
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्य की पेसा नियमावली को पेसा कानून की मूल भावना के विपरीत बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह नियमावली आदिव ...और पढ़ें

नियमावली पेसा कानून की मूल भावना के विपरीत: पूर्व सीएम रघुवर दास। फोटो जागरण
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पेसा (पंचायत विस्तार अनुसूचित क्षेत्र) नियमावली को पेसा कानून की मूल भावना के विपरीत बताया है। मंगलवार को हरमू स्थित भाजपा प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा तैयार की गई पेसा नियमावली आदिवासी समाज की पारंपरिक व्यवस्था को कमजोर करने का प्रयास भी है।
रघुवर दास ने कहा कि कैबिनेट द्वारा स्वीकृत नियमावली में अबतक जो भी बातें सामने आई हैं, उनके अनुसार राज्य सरकार ने ग्राम सभा की परिभाषा में परंपरागत जनजातीय नेतृत्व और सामाजिक संरचना को सीमित कर दिया है जबकि पेसा अधिनियम स्पष्ट रूप से कहता है कि अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा का गठन और संचालन स्थानीय परंपराओं, रीति-रिवाजों और सामाजिक-धार्मिक व्यवस्थाओं के अनुरूप होना चाहिए।
उन्होंने संथाल, हो, मुंडा, उरांव, खड़िया और भूमिज समुदायों की पारंपरिक ग्राम नेतृत्व प्रणाली का उल्लेख करते हुए कहा कि इन व्यवस्थाओं को सदियों से सामाजिक मान्यता प्राप्त है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि पेसा अधिनियम की धारा 4(क) से 4(घ) तक में दिए गए प्रविधानों को नियमावली में नजरअंदाज किया गया है। सवाल उठाया कि क्या नई नियमावली के तहत ग्राम सभा की अध्यक्षता ऐसे लोगों को दी जाएगी, जो परंपरागत जनजातीय व्यवस्था से जुड़े नहीं हैं। यह स्थिति गंभीर चिंता का विषय है।
उन्होंने यह भी सवाल किया कि लघु खनिज, बालू घाट, वन उत्पाद और जल स्रोत जैसे सामूहिक संसाधनों पर वास्तव में ग्राम सभा को अधिकार मिलेगा या फिर सरकार का नियंत्रण पूर्व की तरह बना रहेगा।
उन्होंने स्वीकृत नियमावली को शीघ्र सार्वजनिक करने की भी मांग की। इस मौके पर पूर्व विधायक रामकुमार पाहन, योगेन्द्र प्रताप सिंह, अशोक बड़ाईक और रवि मुंडा भी उपस्थित थे।

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