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    Jharkhand News: झारखंड में देसी चिकित्सा को बढ़ावा दे रही हेमंत सरकार, बहाली को लेकर भी लिया गया अहम फैसला

    Jharkhand News झारखंड में देसी चिकित्सा यानि आयुष को बढ़ावा देने के लिए 35 हेल्थ कॉटेज बनाए जाएंगे। यहां पंचकर्म और अन्य देसी चिकित्सा पद्धतियों से मरीजों का इलाज होगा। इसके लिए आयुष चिकित्सक अनुबंध पर बहाल किए जाएंगे। राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत राज्य सरकार ने 167.83 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार किया है जिसका उद्देश्य देसी चिकित्सा को बढ़ावा देने है।

    By Neeraj Ambastha Edited By: Mukul Kumar Updated: Sat, 12 Apr 2025 07:22 PM (IST)
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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

    राज्य ब्यूरो, रांची। राज्य में देसी चिकित्सा अर्थात आयुष को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न जिलों में 35 हेल्थ कॉटेजों का निर्माण किया जाएगा।

    यहां पंचकर्म के अलावा अन्य देसी चिकित्सा पद्धतियों से मरीजों का इलाज किया जाएगा। इसके लिए अनुबंध पर आयुष के चिकित्सक बहाल किए जाएंगे। स्वास्थ्य विभाग ने इसे लेकर प्रस्ताव तैयार किया है।

    स्वास्थ्य विभाग द्वारा तैयार प्रस्ताव के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2025-26 में पहले चरण के तहत कुल 35 हेल्थ कॉटेजों का निर्माण किया जाएगा।

    राज्य में स्थापित किए गए 10 पंचकर्म केंद्रों को हेल्थ काटेज के रूप में विकसित किया जाएगा। वहीं, 25 अन्य हेल्थ कॉटेजों का निर्माण किया जाएगा।

    इन हेल्थ कॉटेजों के लिए एक-एक आयुष चिकित्सकों की नियुक्ति अनुबंध पर होगी। इनमें पंचकर्म, योगा, आयुर्वेद आदि से मरीजों का इलाज होगा।

    वहीं, राष्ट्रीय आयुष मिशन के कार्यक्रम नेशनल प्रोग्राम फार प्रीवेंशन एंड मैनेजमेंट ऑफ अर्थराइटिस एंड अदर मस्कुलोस्केलटल डिजार्डर के तहत भी 258 आयुष चिकित्सक बहाल किए जाएंगे।

    इनमें से कई हेल्थ कॉटेजों में पदस्थापित किए जाएंगे। बताते चलें कि पंचकर्म आयुष की एक चिकित्सा पद्धति है, जिसके तहत शरीर को डिटाक्सिफ़ाई किया जाता है तथा विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाला जाता है।

    पंचकर्म शब्द का मतलब है 'पांच क्रियाएं'। इन पांच क्रियाओं के ज़रिए शरीर की गहराई से सफ़ाई की जाती है।

    राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत 167.83 करोड़ का प्रस्ताव

    राज्य सरकार ने राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत कुल 167.83 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार किया है। केंद्र की स्वीकृति मिलने के बाद इसके माध्यम से देसी चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम संचालित किए जाएंगे।

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    इसके तहत 100.6 करोड़ रुपये भारत सरकार केंद्रांश के रूप में देगी, जबकि 67.77 करोड़ रुपये राज्य सरकार को वहन करना होगा।

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