High Court: सरकारी कर्मचारी की पेंशन व ग्रेच्युटी मामले में झारखंड हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, सरकार के रवैये को बताया अनुचित
झारखंड हाई कोर्ट ने कहा है कि पेंशन सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी का संवैधानिक अधिकार है जिसे केवल दोष सिद्ध होने के बाद ही रोका जा सकता है। अदालत ने कहा कि प्रार्थी के खिलाफ राज्य सरकार की संशोधित पेंशन नियमावली लागू होने से पहले ही विभागीय कार्रवाई चल रही थी।

राज्य ब्यूरो, रांची । Jharkhand High Court के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ ने सेवानिवृत्ति रेंजर आनंद कुमार की पेंशन और ग्रैच्युटी रोकने के फैसले को असंवैधानिक करार दिया है।
अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि पेंशन कोई बख्शीश नहीं बल्कि सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी का संवैधानिक अधिकार है, जिसे केवल दोष सिद्ध होने के बाद ही रोका जा सकता है।
अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि राज्य सरकार को आनंद कुमार की पेंशन और ग्रैच्युटी सहित सभी लाभ छह सप्ताह के भीतर भुगतान किया जाए।
अदालत ने कहा कि प्रार्थी के खिलाफ राज्य सरकार की संशोधित पेंशन नियमावली लागू होने से पहले ही विभागीय कार्रवाई चल रही थी।
ऐसे में उक्त नियमावली का हवाला देकर पेंशन सहित अन्य लाभ को रोका नहीं जा सकता है। कोर्ट ने इस मामले में राज्य के रवैये को अनुचित और नियमों के विपरीत बताया।
इस संबंध में पूर्व रेंजर आनंद कुमार ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सुनवाई के दौरान उन्होंने बताया कि 31 मार्च 2023 को सेवानिवृत्त हुए।
लेकिन उनकी की पेंशन व ग्रैच्युटी सहित संबंधित लाभ विभागीय जांच लंबित रहने के कारण रोक दिया गया। सरकार ने इसके लिए झारखंड पेंशन नियमावली 2000 में संशोधित नियम का हवाला दिया।
लेकिन अदालत ने स्पष्ट किया कि यह नियम 23 जुलाई 2018 को लागू हुआ था और इसका कोई प्रतिपूरक प्रभाव नहीं है। अदालत ने विभागीय रिकार्ड की विस्तार से समीक्षा की।
कोर्ट ने पाया कि आनंद कुमार के खिलाफ अधिकतर विभागीय जांच 2017 से पहले ही शुरू हो चुकी थीं। ऐसा कोई स्पष्ट आदेश नहीं था जिसमें जांच 2018 के बाद शुरू हुई मानी जा सकती है।
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