दुर्लभ कल्पतरु के रांची में सिर्फ तीन पेड़... संख्या बढ़ाने के लिए युवक ने बनाई नर्सरी... जानिए, कैसे चला रहे अभियान
Kalpataru Trees In Ranchi कल्पतरु वृक्ष अपने कई गुणों के लिए आयुर्वेद में जाना जाता है लेकिन देश में इसकी संख्या निरंतर कम होती जा रही है। यह चिंता का विषय बन गया है। रांची कालेज के एक छात्र ने इसे बचाने की बीड़ा उठाई है।

रांची, जागरण संवाददाता। धरती से कल्पतरु वृक्ष अब पूरी तरह से गायब होता जा रहा है। आलम यह है कि देश में जहां महज 600-700 पेड़ बचे हैं, वहीं झारखंड की राजधानी रांची में सिर्फ तीन पेड़ ही बचे हैं। अब इस पेड़ को बचाने के लिए निखिल मेहुल अभियान चला रहे हैं। उन्होंने अपने बूते एक नर्सरी बनाई है, जहां कल्पतरु उगाने की कवायद जारी है। निखिल मेहुल चाहते हैं कि झारखंड के जंगलों में इस पेड़ को अधिक से अधिक संख्या में लगाया जाए। ताकि आने वाली पीढ़ी इसके बारे में ठीक तरह से जान सके। पर्यावरण संरक्षण में इस पेड़ की भूमिका भी सुनिश्चित होती रहे।
वर्ष 2019 में मिली निखिल को जानकारी
रामगढ़ जिले के होन्हा गांव रहने वाले निखिल मेहुल को वर्ष 2019 में मनीष रंजन की पुस्तक के माध्यम से पता चला कि झारखंड मे कल्पतरु की संख्या मात्र तीन है। कोरोना महामारी के बाद निखिल मेहुल को कल्पतरु पेड़ की संख्या में इजाफा करने की इच्छा जागी। इसके बाद उन्होंने रांची के डोरंडा स्थित कल्पतरू पेड़ के फल को इकट्ठा करना शुरू कर दिया। यही नहीं इससे कल्पतरु पौधे उगाने का संकल्प लिया। अपने पहले प्रयास में निखिल मेहुल ने 51 बीजों को बोया, जिसमें मात्र 1 पौधा जीवित हुआ।
रांची के इन इलाकों में लगा चुके हैं पौधा
अध्ययन के बाद निखिल मेहुल को कोकोपीट के बारे में पता चला। दूसरे प्रयास में निखिल मेहुल ने मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए कोकोपीट (नारियल के छिलके) का इस्तेमाल किया। फिर 42 बीजों को बोया। इसमें 16 पौधे तैयार हुए। इन 16 पौधों में 2 पौधों को उन्होंने रांची के ठाकुरगांव और 10 पौधों को रामगढ़ के अलग अलग इलाकों में लगा दिया। उनकी मानें तो होन्हे गांव में 7, महामाया मंदिर में 2 और कृष्णन बल्लभ उच्च विद्यालय लारो में 1 पौधा लगाया गया है।
इस वर्ष जीवित है 46 पौधे
वर्ष 2022 में निखिल ने 126 बीजों को बोया है। वर्तमान में उनके पास 46 पौधे जीवित रूप में तैयार हैं। निखिल का कहना है की सरकार यदि दुर्लभ विरासत पेड़ कल्पतरु के लिए घेराव व्यवस्था उपलब्ध कराए तो ज्यादा से ज्यादा पेड़ संरक्षित किया जा सकता है।
बचपन से ही पर्यावरण में रुचि
बचपन से ही पर्यावरण में रुचि रखने वाले निखिल मेहुल 2 साल के अंदर कल्पतरु सहित 372 अन्य पौधे लगा चुके हैं। पर्यावरण दिवस पर उन्होंने मोराबादी के गांधी समारक स्थल में 2, चिल्ड्रेन पार्क में 1 और रांची विश्वविद्यालय के पीजी हॉस्टल नंबर-2 में 1 पेड़ लगाने वाले हैं। इन पेड़ों का वह संरक्षण भी करेंगे। पर्यावरण दिवस पर निखिल मेहुल ने कल्पतरु के 4 पौधों का रोपण किया। निखिल मेहुल ने भौतिक विज्ञान विषय में बीएससी किया है। वर्तमान में वह रांची कालेज के पीजी हास्टल में रहकर प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी कर रहे हैं। उन्हें लोग 'कल्पतरु मित्र' के नाम से पुकारते हैं।
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