Jharkhand News: अब वर्ष में दो बार होगा स्कूलों का सर्टिफिकेशन और शिक्षकों का मूल्यांकन, आ गया ऊपर से नया फरमान
समग्र शिक्षा अभियान के तहत सरकारी स्कूलों का सर्टिफिकेशन और शिक्षकों का आवश्यकता आधारित प्रशिक्षण के लिए मूल्यांकन अब वर्ष में दो बार होगा। इसके लिए झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने निजी एजेंसी को जिम्मेदारी सौंपी है जो पांच वर्ष तक इस कार्यक्रम को संचालित करेगी। स्कूल सर्टिफिकेशन कार्यक्रम के तहत पांच वर्ष में सात हजार सरकारी स्कूलों का प्रमाणीकरण होगा।

नीरज अम्बष्ठ, रांची। समग्र शिक्षा अभियान के तहत सरकारी स्कूलों का सर्टिफिकेशन और शिक्षकों का आवश्यकता आधारित प्रशिक्षण के लिए मूल्यांकन अब वर्ष में दो बार होगा। साथ ही पहली बार इसकी जिम्मेदारी निजी एजेंसी को दी जाएगी, जिसके लिए झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है। निजी एजेंसी को दोनों कार्यक्रमों की जिम्मेदारी पांच वर्ष के लिए दी जाएगी।
दोनों कार्यक्रम प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक स्कूलों तथा उनके शिक्षकों के लिए संचालित किए जाएंगे।
दोनों कार्यक्रमों का उद्देश्य सरकारी स्कूलों की भौतिक स्थिति तथा बच्चों को दी जा रही शिक्षा की गुणवत्ता का आकलन करना तथा शिक्षकों का मूल्यांकन कर इसकी पहचान करना है कि उन्हें किस प्रकार के प्रशिक्षण की आवश्यकता है।
स्कूल सर्टिफिकेशन कार्यक्रम के तहत पांच वर्ष में कुल सात हजार सरकारी स्कूलों का दो बड़े मानकाें पर प्रमाणीकरण किया जाएगा। इनमें पहला स्कूलों में पढ़नेवाले बच्चों के लर्निंग आउटकम तथा दूसरा स्कूलों में उपलब्ध संसाधानों, साफ-सफाई तथा अनुशासन आदि सम्मिलित हैं।
स्कूलों का प्रमाणीकरण छमाही मूल्यांकन अर्थात वर्ष में दो बार मूल्यांकन कर किया जाएगा, जिसके तहत स्कूलों को स्वर्ण, रजत एवं कांस्य प्रमाणपत्र प्रदान किए जाएंगे। स्कूलों के प्रदर्शन के आधार पर ही संबंधित प्रखंड संसाधन केंद्रों (बीआरसी) का प्रमाणीकरण होगा।
प्रत्येक वर्ष 1,400 (प्रत्येक राउंड में 700 स्कूल) स्कूलों का प्रमाणीकरण होगा। इसके तहत 60 प्रतिशत वेटेज बच्चों के लर्निंग आउटकम तथा 40 प्रतिशत वेटेज संस्थागत गुणवत्ता मानकों पर दिया जाएगा।
इसी तरह, शिक्षकों का आवश्यक आधारित मूल्यांकन किया जाएगा ताकि पता चल सके कि उन्हें किस प्रकार के प्रशिक्षण की आवश्यकता है। प्रत्येक वर्ष 1.35 लाख शिक्षकों के मूल्यांकन का लक्ष्य रखा गया है। यह मूल्यांकन भी छमाही होगा।
स्कूलों के मूल्यांकन का यह होगा आधार
- स्वर्ण : प्रत्येक विषय और ग्रेड में 75 प्रतिशत बच्चों का 75 प्रतिशत से अधिक अंक पर तथा संस्थागत गुणवत्ता में न्यूनतम 80 प्रतिशत स्कोर पर।
- सिल्वर : प्रत्येक विषय और ग्रेड में 75 प्रतिशत बच्चों का 55 से 75 प्रतिशत अंक
- पर तथा संस्थागत गुणवत्ता में न्यूनतम 65 प्रतिशत स्कोर पर।
- कांस्य : प्रत्येक विषय और ग्रेड में 75 प्रतिशत बच्चों का 35 से 55 प्रतिशत अंक पर तथा संस्थागत गुणवत्ता में न्यूनतम 50 प्रतिशत स्कोर पर।
निजी एजेंसी करेगी यह भी काम
- डाटा विश्लेषण का प्लेटफार्म तैयार करना।
- रीयल टाइम फीडबैक मैकेनिज्म तैयार करना।
- एनालिटिकल टूल्स विकसित करना।
- आटोमेटेड रिपोर्टिंग टूल्स व सिस्टम विकसित करना।
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