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    NH-33 के डिवाइडर पर बैरिकेडिंग नहीं होने से बढ़ रहा हादसों का खतरा, मवेशियों के कारण जा चुकी हैं कई जानें

    Updated: Sat, 27 Dec 2025 02:18 PM (IST)

    राष्ट्रीय राजमार्ग-33 पर डिवाइडर में बैरिकेडिंग न होने से दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है। मवेशियों के सड़क पर आने से कई गंभीर हादसे हुए हैं, जिनमें लोग ...और पढ़ें

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    NH-33 के डिवाइडर पर बैरिकेडिंग नहीं होने से बढ़ रहा हादसों का खतरा

    संवाद सूत्र, मांडू (रामगढ़)। राष्ट्रीय राजमार्ग-33 के 4/6 लेन सड़क निर्माण के बाद जहां यातायात सुगम हुआ है, वहीं सड़क के बीचों बीच बनाए गए डिवाइडर में बैरिकेडिंग नहीं होने से दुर्घटनाओं का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। 

    बीते कुछ महीनों में इस मार्ग पर कई गंभीर सड़क हादसे हो चुके हैं, जिनमें मवेशियों के साथ-साथ लोगों की भी जान जा चुकी है। इसके बावजूद अब तक इस गंभीर समस्या के समाधान की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। 

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    जानवर चरने के लिए डिवाइडर पर चले आते हैं

    एनएच-33 के निर्माण के दौरान सड़क के मध्य डिवाइडर बनाए गए, जिनमें छोटे-बड़े फूलों के पौधे लगाई गई। देखने में यह डिवाइडर सुंदर जरूर लगते हैं, लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से यह जानलेवा साबित हो रहे हैं। डिवाइडर में बैरिकेडिंग या फेंसिंग नहीं होने के कारण आसपास के इलाकों से मवेशी आसानी से सड़क के बीच पहुंच जाते हैं। 

    हरी घास और पौधों को देखकर जानवर चरने के लिए डिवाइडर पर चले आते हैं, जिससे तेज रफ्तार वाहनों के अचानक सामने आने पर चालक संतुलन खो बैठते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि रात के समय और कोहरे के दौरान स्थिति और भी भयावह हो जाती है। 

    दोपहिया वाहन सवार सबसे अधिक प्रभावित 

    कई बार जानवर अचानक सड़क पर आ जाते हैं, जिससे वाहन उनसे टकरा जाते हैं या उन्हें बचाने के प्रयास में दूसरी गाड़ियों से भिड़ जाते हैं। ऐसे हादसों में दोपहिया वाहन सवार सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। कुछ मामलों में भारी वाहनों के पलटने की घटनाएं भी सामने आई हैं। 

    ग्रामीणों और वाहन चालकों ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से डिवाइडर में अविलंब बैरिकेटिंग कराने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि डिवाइडर में मजबूत फेंसिंग लगा दी जाए और संवेदनशील स्थानों पर चेतावनी बोर्ड व रिफ्लेक्टर लगाए जाएं, तो दुर्घटनाओं में काफी हद तक कमी लाई जा सकती है। 

    प्रशासन और संबंधित विभागों की चुप्पी चिंताजनक

    इसके साथ ही आवारा पशुओं की समस्या के समाधान के लिए भी ठोस व्यवस्था की जरूरत है। लोगों का कहना है कि बार-बार दुर्घटनाओं के बावजूद प्रशासन और संबंधित विभागों की चुप्पी चिंताजनक है। 

    यदि समय रहते आवश्यक कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में और भी बड़े हादसे होने से इनकार नहीं किया जा सकता। अब देखना यह है कि जिम्मेदार विभाग कब तक इस गंभीर समस्या पर ध्यान देता है और आम लोगों की जान की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।