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    RSS के विजयादशमी उत्‍सव में मचेगी धूम: जाने-माने संगीतकार शंकर महादेवन होंगे चीफ गेस्‍ट, नागपुर में होगा आयोजन

    By Jagran NewsEdited By: Arijita Sen
    Updated: Thu, 05 Oct 2023 04:07 PM (IST)

    RSS के विभिन्‍न शाखाओं में इस साल के विजयादशमी पर्व को लेकर तैयारियां जोरो पर चल रही हैं। इस बार कार्यक्रम के मुख्‍य अतिथि मशहूर संगीतकार और गायक शंकर महादेवन होंगे। कार्यक्रम का आयोजन 24 अक्‍टूबर को नागपुर में होगा। इस बार यह और भी खास है कि विजयादशमी के दिन संघ की स्थापना के 98 वर्ष पूरे हो जाएंगे। 1925 में विजयादशमी के दिन ही संघ की स्थापना हुई थी।

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    शंकर महादेवन व मोहन भागवत की फाइल फोटो।

    जागरण संवाददाता, रांची। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सभी शाखाओं पर इस बार विजयादशमी उत्सव मनाने की तैयारी की गई है। इसके तहत संघ की शाखाओं पर अस्त्र-शस्त्र पूजन के साथ ही कन्या पूजन करने की तैयारी चल रही है।

    शंकर महादेवन होंगे कार्यक्रम के चीफ गेस्‍ट

    नवरात्र प्रारंभ होने के साथ ही सभी प्रांतों में स्थानीय परिस्थिति को देखते हुए शाखाओं पर समारोह प्रारंभ हो जाएंगे, परंतु मुख्य कार्यक्रम आरएसएस के मुख्यालय नागपुर में 24 अक्टूबर, मंगलवार को होगा।

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    रेश्मिबाग मैदान में सुबह 7.40 से आयोजित इस समारोह के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध गायक व संगीतकार पद्मश्री शंकर महादेवन होंगे। वहीं मुख्य वक्ता आरएसएस के सरसंघचालक डाक्टर मोहन भागवत होंगे।

    विजयादशमी के दिन संघ की स्थापना के 98 वर्ष पूरे हो जाएंगे, क्योंकि 1925 में विजयादशमी के दिन ही संघ की स्थापना हुई थी।

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    सरसंघचालक का संबोधन स्वयंसेवकों के लिए मार्गदर्शन 

    विजयादशमी उत्सव पर सरसंघचालक मोहन भागवत द्वारा दिए गए संबोधन का स्वयंसेवकों के साथ-साथ सरकार, शासन और विश्व के प्रमुख देशों को इंतजार रहता है।

    सरसंघचालक अपने संबोधन में जो कहते हैं वह वर्ष भर के लिए स्वयंसेवकों के मार्गदर्शन का काम करता है। संघ उन्हीं विषयों को ध्यान में रखकर अगले एक वर्ष तक काम करता है।

    इसके साथ ही संघ इस स्थिति में अब पहुंच चुका है कि भारत सरकार के साथ-साथ विश्व के प्रमुख देश भी उन विषयों पर चिंतन करता है।

    इस बार सरसंघचालक अपने संबोधन में कुछ लोगों द्वारा समाज में फैलाई जा रही वैमनस्यता पर प्रहार करते हुए लोगों से आपसी भेदभाव भुलाकर सामाजिक समरसता बनाए रखने की अपील कर सकते हैं।

    जी-20 और संसद से पारित महिला आरक्षण का आरएसएस ने जिस तरह स्वागत किया उसका भी उल्लेख मोहन भागवत कर सकते हैं। इंडिया और भारत शब्द पर भी अपनी बात रख सकते हैं।

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