RSS प्रमुख मोहन भागवत बोले- मुस्लिम भी हमारे हैं, संघ के लिए कोई पराया नहीं, यह देश जितना हमारा उतना ही उनका
सरसंघचालक डा.मोहन भागवत ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) संपूर्ण समाज को संगठित करना चाहता है। संघ के लिए कोई पराया नहीं है। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भी संघ प्रमुख का प्रवास काफी महत्वपूर्ण साबित होगा। उन्होंने लव जिहाद व मतांतरण सहित तमाम मुद्दों पर भारतीय जनता पार्टी को और संजीदा होकर काम करने की सलाह भी दी है।
लखनऊ, राज्य ब्यूरो: सरसंघचालक डा.मोहन भागवत ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ संपूर्ण समाज को संगठित करना चाहता है। संघ के लिए कोई पराया नहीं है। भागवत ने जोर देकर कहा कि मुस्लिम भी हमसे अलग नहीं हैं, वह भी हमारे हैं। यह देश जितना हमारा है उतना ही उनका है।
इस बात पर जरूर नजर रखी जाएगी कि किसी के विरोध से संघ का कोई नुकसान तो नहीं हो रहा है। अवध प्रांत के चार दिवसीय प्रवास के दौरान लखनऊ में उन्होंने अनुषांगिक संगठनों के साथ बैठक में कई मुद्दों पर भविष्य की रणनीति तैयार की। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भी संघ प्रमुख का प्रवास काफी महत्वपूर्ण साबित होगा। उन्होंने लव जिहाद व मतांतरण सहित तमाम मुद्दों पर भाजपा को और संजीदा होकर काम करने की सलाह भी दी है।
संघ सर्वे लोकयुकत भारत को मानने वाला है- भागवत
उन्होंने प्रवास के अंतिम दिन निराला नगर स्थित सरस्वती कुंज में प्रबुद्ध नागरिकों के साथ बैठक की। भागवत ने कहा कि संघ सर्व लोकयुक्त भारत को मानने वाला है। हमारा प्रयास रहता है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को संघ के साथ जोड़ कर उन्नत राष्ट्र की नींव को और मजबूत किया जाए। उन्होंने समाज के उत्थान के लिए स्वयंसेवकों के किए जा रहे कार्यों का हवाला देते हुए सभी को इसके साथ जुड़ने की अपील की।
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संघ प्रमुख ने कहा कि सामाजिक परिवर्तन एवं राष्ट्र को और आगे ले जाने के लिए सभी सक्रिय भूमिका निभाएं। समूचे राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने के लिए जरूरी है कि सभी मिलकर इस दिशा में काम करें। संघ चाहता है कि एक विकसित राष्ट्र के निर्माण में सभी का योगदान हो।
प्रबुद्धजन के साथ बैठक में भागवत ने कहा कि वह सरकार की विदेश नीति पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं, लेकिन भारत ने जिस तरह बंग्लादेश का सहयोग किया था उसी प्रकार पाकिस्तान का विरोध करने वाले अन्य देशों का भी हमें सहयोग करना चाहिए
बच्चों में संस्कारों की कमी पर चिंता जताई
संघ प्रमुख से बच्चों में संस्कारों की हो रही कमी पर चिंता जताई है। कहा, मोबाइल के कारण हमारे बच्चे संस्कारों से दूर हो रहे हैं। उनका बचपन खराब हो रहा है। अभिभावक, अध्यापक व चिकित्सक इस गंभीर समस्या के समाधान का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में नैतिक शिक्षा को शामिल करने की सलाह दी गई है। उन्होंने कहा कि शिक्षा में तीन भाषा की नीति लागू होनी चाहिए। मातृ भाषा, भारतीय भाषा के साथ एक अन्य भाषा को इसमें शामिल किया जा सकता है।
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