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    '...तो गद्दी से उतारने में भी परहेज नहीं करेंगे', मुस्लिम संगठन के नेता ने हेमंत सरकार को दी चेतावनी

    ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के जिला संयोजक एमएन खान ने हेमंत सोरेन सरकार को चेतावनी दी है। प्राथमिक शिक्षा निदेशालय ने उर्दू शिक्षकों का पद खत्म किए जाने का फैसला लेकर कहा कि उर्दू बोलने वाले लोगों के साथ घोर अन्याय है। उन्होंने आगे यह भी कहा कि हेमंत सरकार उर्दू की उपेक्षा करना बंद करे नहीं तो यह फैसला भारी पड़ सकती है।

    By Sandeep Keshri Edited By: Shashank ShekharUpdated: Mon, 22 Jan 2024 05:27 PM (IST)
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    '...तो गद्दी से उतारने में भी परहेज नहीं करेंगे', मुस्लिम संगठन के नेता ने हेमंत सरकार को दी चेतावनी

    संवाद सहयोगी, गढ़वा। हेमंत सरकार उर्दू की उपेक्षा करना बंद करे अन्यथा यह निर्णय सरकार को भारी पड़ सकती है। अल्पसंख्यक यदि सरकार को गद्दी पर बैठाना जानते हैं तो उतारने से भी परहेज नहीं करेंगे। यदि राज्य सरकार उर्दू शिक्षकों की बहाली सुनिश्चित नहीं करती है तो आंदोलन किया जाएगा। विधानसभा का घेराव किया जाएगा।

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    उक्त बातें आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के जिला संयोजक एमएन खान ने कही। उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार के प्राथमिक शिक्षा निदेशालय ने उर्दू शिक्षकों का पद समाप्त किए जाने का फैसला लेकर उर्दू बोलने वाले लोगों के साथ घोर अन्याय है। इस फैसले को जितनी भी निंदा की जाए कम है। इस फैसले से हेमंत सरकार की मानसिकता कितनी घिनौनी है यह दर्शाती है।

    उर्दू शिक्षकों के 4401 पद में से 689 पदों पर ही हुई नियुक्ति 

    राज्य गठन के बाद राज्य के अंदर उर्दू शिक्षकों के 4401 पद थे, जिसमें अब तक 689 पदों पर ही नियुक्ति हुई है। सरकार खाली पड़े 3712 पदों पर नियुक्ति करने के बदले पदो को ही समाप्त कर देना चाहती है। यह अल्पसंख्यको के साथ घिनौना मजाक है।

    वहीं, बिहार राज्य में उर्दू दूसरी भाषा का दर्जा रहा है और राज्य अलग होने के बाद भी इसकी पुष्टि की गई है। फिर भी इस तरह का फैसला लेना काफी दुर्भाग्य है। हेमंत सोरेन की सरकार तुरंत इस फैसले को वापस ले अन्यथा अल्पसंख्यक समाज राजगद्दी से उतार देगी।

    मौके पर जिला अध्यक्ष सत्येंद्र कुमार रजक, अवध किशोर मेहता, कामेश कुमार रवि, सुदामा रवि, हाजी नसीरुद्दीन, इफ्तिखार अहमद आदि उपस्थित थे।

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