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    Land Scam Case: कमलेश के विरुद्ध जांच में ईडी ने पकड़ा जमीन घोटाले में अधिकारी-दलाल का बड़ा सिंडिकेट

    Updated: Fri, 15 Nov 2024 09:16 PM (IST)

    जमीन माफिया कमलेश के विरुद्ध मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच करते हुए ईडी ने कई और बड़े खुलासे किए हैं। कमलेश के मोबाइल फोन की जांच में परत-दर-परत कई जमीन घोटाले सामने आए हैं। वाट्सएप चैट से घोटाले के सबूत मिले हैं। इसके साथ ही पैसों के लेन-देन के भी कई सबूत मौजूद हैं। इसके साथ ही छापेमारी में पैसे और कारतूस भी बरामद हुए हैं।

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    कमलेश के विरुद्ध जांच में ED के हाथ लगे ये अहम सबूत

    राज्य ब्यूरो, रांची। जमीन माफिया कमलेश के विरुद्ध मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच के क्रम में ईडी ने अधिकारियों व दलालों के बड़े सिंडिकेट को पकड़ा है। पीएमएलए कोर्ट में सौंपे गए सबूत में ईडी ने इस बारे में जानकारी दी है। यह भी बताया है कि पूर्व में गिरफ्तार जमीन माफिया शेखर कुशवाहा के मोबाइल विश्लेषण से ईडी कमलेश तक पहुंची थी। जांच में घोटाले की परत-दर-परत खुलती चली गई। कमलेश के मोबाइल के सीडीआर, वाट्सएप चैट से घोटाले के सबूत तो मिले ही, कुछ ऐसे फोटो भी मिले हैं, जिसमें अधिकारियों के साथ करोड़ों के लेन-देन के सबूत हैं।

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    ईडी के अनुसार जमीन घोटाले में पूर्व में गिरफ्तार जमीन माफिया शेखर प्रसाद कुशवाहा के मोबाइल से एक पंजी टू का पीडीएफ मिला था। वह कांके अंचल के चामा मौजा की 11.42 एकड़ जमीन से संबंधित था। उक्त जमीन भवानी शंकर साहू के बेटे महावीर साहू के नाम पर था।

    शेखर कुशवाहा ने ईडी को बताया था कि कमलेश कुमार उर्फ कमलेश कुमार सिंह ने उससे उक्त जमीन के खरीददारों को जुटाने के लिए कहा था। इसके बदले में उसे कमीशन देता। उसने यह भी स्वीकारा कि कमलेश कुमार ने उक्त जमीन से संबंधित फर्जी निलामी दस्तावेज तैयार किया है जिसे रिकॉर्ड रूम में भी उसे लगा रखा है।

    छापे में रुपये व कारतूस हुए बरामद

    शेखर कुशवाहा से जानकारी मिलने के बाद ईडी ने 21 जून 2024 को कमलेश कुमार के ठिकानों पर छापेमारी की थी। इसमें उसके कांके रोड, एस्टर ग्रीन अपार्टमंट में ब्लाक सी के फ्लैट नंबर 603 सी से फर्जी दस्तावेज के अलावा एक करोड़ दो लाख 18 हजार रुपये नकदी व 100 कारतूस बरामद हुए थे।

    बरामद दस्तावेज से पता चला कि इस फर्जीवाड़े में कमलेश कुमार के अलावा इसमें उसकी सहयोगी रेखा देवी, अरविंद कुमार साहू व अन्य हैं। हथियार बरामदगी में कांके थाने में केस हुआ। छानबीन में पता चला कि गोंदा थाने में भी 10 दिसंबर 2022 को कमलेश कुमार, अमरेंद्र दुबे पर धोखाधड़ी व फर्जीवाड़ा का केस हुआ था। इसमें आरोपितों ने शिकायतकर्ता मिनाती राउत से गलत तरीके से पांच डिसमिल जमीन दिलाने के नाम पर 24 लाख रुपये की ठगी की थी। मिनाती राउत दीपक सिंह की पत्नी हैं।

    कांके के पूर्व अंचलाधिकारी सह वर्तमान डीटीओ

    कांके सीओ जय कुमार राम

    जमीन दलाल अमरेंद्र कुमार दुबे

    सहयोगी अरविंद कुमार साहू

    सहयोगी रेखा देवी

    19 अक्टूबर 2020 को उक्त जमीन का एकरारनामा मिनाती राउत व अमरेंद्र कुमार दुबे के बीच हुआ था। उक्त जमीन की रजिस्ट्री कमलेश कुमार ने 11 नवंबर 2020 को किया था। अमरेंद्र कुमार दुबे बालाजी डेवलपर के संचालक हैं। अनुसंधान में पता चला कि उक्त जमीन पूर्व में अनिल जायसवाल की पुत्री शिवांगी को बेची जा चुकी थी। उसे नुरुल अंसारी ने बेचा था। कमलेश कुमार ने फर्जीवाड़ा कर उक्त जमीन को मिनाती राउत को बेच दिया था। इन दोनों ही प्राथमिकियों के आधार पर ईडी ने एक जुलाई 2024 को ईसीआइआर किया था।

    इसके बाद ईडी ने अपने केस में कांके थाने में चार अप्रैल 2024 को कमलेश कुमार पर दर्ज एक केस को भी ईडी ने जोड़ा। इसमें खाता नंबर 89 के प्लाट नंबर 972 पर 96 एकड़, खाता नंबर 46 के प्लाट नंबर 996 पर 37 एकड़ जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा करने व चारदीवारी करवाने का आरोप था। इसमें कमलेश पर अंचल के कर्मियों व 40-50 महिला-पुरुष सहयोगियों की मदद से हथियार के बल पर ग्रामीणों की जमीन पर अवेध कब्जा का आरोप है।

    कांके थाने में 27 नवंबर 2020 को कमलेश कुमार पर कांके के राजस्व उप निरीक्षक रंजीत कुमार ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उनका आरोप था कि जुमार नदी की जमीन को भरकर जमीन माफिया बेच रहे हैं। उसका सत्यापन करने के लिए अंचल अमीन रामलाल महतो, अंचलाधिकारी कांके व वे स्वयं पहुंचे थे।

    जांच में पता चला कि रिवर व्यू गार्डेन के प्रोपराइटर कमलेश कुमार जुमार नदी की गैर मजरूआ व बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की जमीन की घेराबंदी कर उसकी खरीद-बिक्री करने जा रहा है।

    ईडी की छानबीन में पता चला कि कमलेश कुमार फर्जी कागजात तैयार कर अवैध तरीके से जमीन पर कब्जा करने में सक्रिय था। इसमें उसे कांके के अंचलाधिकारी जय कुमार राम, पूर्व अंचलाधिकारी दीवाकर प्रसाद द्विवेदी, अरविंद साहू, रेखा देवी आदि का सहयोग मिला।

    छानबीन में यह भी पता चला कि फर्जीवाड़ा कर कमलेश ने बहुत से जमीन की खरीद-बिक्री की। कई करोड़ रुपये कमाए जो बैंक व नकदी के रूप में लिया। बरामद एक करोड़ दो लाख 18 हजार रुपये उसी के पार्ट थे। अनुसंधान के क्रम में 26 जुलाई को कमलेश गिरफ्तार हुआ था। उसे 27 जुलाई को ईडी ने पीएमएलए कोर्ट में पेश किया था। 13 अगस्त से वह न्यायिक हिरासत में है।

    जमीन दलाल अमरेंद्र कुमार दुबे के सहयोग से कमलेश ने किया 20 एकड़ भूमि पर कब्जा

    ईडी को जांच में यह जानकारी मिली कि आरोपित कमलेश कुमार ने अपने सहयोगी अमरेंद्र कुमार दुबे की मदद से ला विश्वविद्यालय के के पीछे नगड़ी गांव कांके में 20 एकड़ भूमि पर कब्जा किया था। वहां वह बालाजी डेवलपर के माध्यम से मान सरोवर सिटी डेवलप कर रहा था।

    बालाजी डेवलपर के प्रोपराइटर अमरेंद्र कुमार दुबे हैं। 21 जून को जब ईडी कमलेश के ठिकानों पर छापेमारी कर रही थी, उस वक्त तत्कालीन कांके अंचलाधिकारी जयकुमार राम ने कांके अंचल क्षेत्र के खटंगा मौजा, नगड़ी मौजा, चामा मौजा, बुकरू व पतरातू मौजा के 16 जमाबंदी रिकार्ड को झारभूमि से मिटाया था, जिसे ईडी ने आइटी सेल के माध्यम से रिकवर किया था।

    कमलेश कुमार ने सहयोगी अंचलाधिकारी दीवाकर प्रसाद द्विवेदी व जय कुमार राम के सहयोग से कई प्लॉट का फर्जी निलामी पेपर तैयार करवा लिया था। ये जमीन 65 प्लॉट के 38 एकड़ 87.996 डिसमिल से संबंधित थे।

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