Ranchi News: रांची एयरपोर्ट के विस्तार के लिए चिह्नित जमीन दलालों ने बेची, बन गए 110 भवन
रांची एयरपोर्ट के विस्तार के लिए 400 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था। जांच में पता चला कि एयरपोर्ट के लिए अधिग्रहित ज्यादातर जमीन दलालों द्वारा बेची गई थी और लोगों ने तेजी से निर्माण कर लिया था। आरआरडीए ने बिना स्वीकृति के निर्माण पर रोक लगाई थी फिर भी 110 मकान बन गए। अब केंद्रीय एजेंसी एयरपोर्ट की जमीन की खरीद-बिक्री की जांच कर रही है।

अमित सिंह, रांची। झारखंड गठन के बाद से ही रांची एयरपोर्ट के विस्तारीकरण का काम शुरू हो गया था। राजधानी होने के कारण रांची एयरपोर्ट पर यात्रियों का दबाव बढ़ रहा था।
इसे देखते हुए भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने एयरपोर्ट के विस्तारिकरण की योजना से राज्य सरकार को अवगत कराया। वर्ष 2004 में अधिग्रहित जमीन को चिह्नित करने काम शुरू हुआ।
राज्य सरकार ने एयरपोर्ट विस्तारीकरण के लिए करीब 400 एकड़ जमीन अधिग्रहण करने का निर्णय लिया। नामकुम अंचल द्वारा एयरपोर्ट के नजदीक हेथू मौजा और आसपास की जमीन का लोकेशन लिया गया। जिसमें पता चला कि एयरपोर्ट के लिए अधिग्रहित ज्यादातर जमीन दूसरों के कब्जे में है।
कुछ दिनों के बाद प्रशासन ने हेथू मौजा, थाना नं-298 के खाता नं-30 के सभी 13 लोगों से जमीन लेने की प्रक्रिया शुरू की। 12 रैयतों को मुआवजा दे दिया गया। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण और जिला प्रशासन की संयुक्त टीम को अधिग्रहित जमीन को चिह्नित करने की जिम्मेवारी सौंपी गई।
लैंड सर्वे में जमीन बेचने की बात सामने आई
स्टेट कार्यालय, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया और जिला प्रशासन के लैंड सर्वे में पता चला कि ज्यादातर जमीनों को दलालों ने बेच दी थी। लोग अपनी-अपनी जमीन पर तेजी से निर्माण कर रहे थे। आरआरडीए ने 2006 में एयरपोर्ट के आसपास बिना स्वीकृति के निर्माण पर रोक लगा दी थी।
इसके बाद भी 110 मकान बन गए। जिला प्रशासन को कई बार बन रहे भवनों के निर्माण को रोकने के लिए पत्राचार किया गया, पर ठोस कार्रवाई कभी नहीं हुई। एयरपोर्ट के लिए अधिग्रहित होने वाली जमीन पर 150 से ज्यादा भवन हैं।
जमीन पर मंदिर, श्मशान घाट, मैरिज हॉल का निर्माण
मंदिर, श्मशान घाट व मैरेज हॉल आदि का निर्माण हो चुका है। एक बार फिर से जमीन पर बसे लोगों को मुआवजा देकर दूसरे स्थान पर बसाने की तैयारी चल रही है। चिह्नित 128 घरों के पुनर्वास के लिए 67 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। एयरपोर्ट के लिए 1520 एकड़ जमीन का अधिग्रहण हुआ था।
जिला प्रशासन और अंचल कार्यालय के तत्कालीन अफसरों की मिलीभगत से एयरपोर्ट की जमीन की दोबारा खरीद-बिक्री हुई। वर्तमान में केंद्रीय एजेंसी एयरपोर्ट के लिए अधिग्रहित जमीन के खरीद बिक्री की जांच गहनता से कर रही है।
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