Shibu Soren: जानिए झारखंड बनने से पहले की कहानी, जैक पर राजेश पायलट के दिल्ली आवास पर बनी थी सहमति, शिबू बने थे अध्यक्ष
झारखंड गठन के पूर्व के इतिहास पर थोड़ी नजर डालनी चाहिए। जब झारखंड आंदोलन चरम पर था तब केंद्र सरकार ने अलग झारखंड राज्य की जगह झारखंड के विकास और झारखंडियों की अस्मिता की रक्षा के लिए झारखंड क्षेत्र स्वशासी परिषद यानी जैक का गठन किया था। शिबू सोरेन जैक के अध्यक्ष तथा सूरज मंडल उपाध्यक्ष बनाए गए थे।

राज्य ब्यूरो, रांची । जब झारखंड आंदोलन चरम पर था, तब केंद्र सरकार ने अलग झारखंड राज्य की जगह झारखंड के विकास और झारखंडियों की अस्मिता की रक्षा के लिए झारखंड क्षेत्र स्वशासी परिषद यानी जैक का गठन किया था।
शिबू सोरेन जैक के अध्यक्ष तथा सूरज मंडल उपाध्यक्ष बनाए गए थे। इसका कार्यालय वर्तमान आड्रे हाउस के बगल में स्थित एक कार्यालय में बनाया गया था जो उस समय मिनी सचिवालय कहलाता था।
संताल परगना और छोटानागपुर के 18 जिलों को मिलाकर इस परिषद का गठन नौ अगस्त 1995 को झारखंड क्षेत्र स्वशासी परिषद अधिनियम, 1994 के तहत किया गया था।
बाद में अलग झारखंंड राज्य बनने के बाद 20 अप्रैल 2001 को झारखंड क्षेत्र स्वशासी परिषद (विघटन) अधिनियम, 2001 लागू कर इस जैक का विघटन किया गया।
इसमें कहा गया कि अलग राज्य बनने के बाद जैक का कोई औचित्य नहीं रह गया है। इससे पहले जैक के गठन को लेकर विधेयक लाने से पहले तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री राजेश पायलट के आवास पर उच्च स्तरीय बैठक हुई थी, जिसमें बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में लालू प्रसाद यादव भी थे।
झारखंड से शिबू सोरेन, सूरज मंडल, सूर्य सिंह बेसरा, डा. राम दयाल मुंडा सहित कई झारखंड आंदोलनकारी उस बैठक में सम्मिलित हुए थे।
केंद्र सरकार से वार्ता कराने की जिम्मेदारी डा. रामदयाल मुंडा ने निभाई थी। जैक के गठन होने पर यदुनाथ बास्के ने इसके अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सदस्यों को शपथ दिलाई थी।
शुरू में सूरज मंडल एवं अन्य सदस्यों को शपथ दिलाया गया था, क्योंकि उस समय शिबू सोरेन जेल में थे। जमानत मिलने के बाद उन्हें अध्यक्ष पद की शपथ दिलाई गई थी।
इन जिलों को मिलाकर किया गया था जैक का गठन
लोहरदगा, गुमला, पश्चिमी सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम, पलामू, गढ़वा, हजारीबाग, कोडरमा, चतरा, रांची, पाकुड़, साहिबगंज, गोड्डा, धनबाद, दुमका, देवघर तथा गिरिडीह
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