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    अगर ऐसा हुआ तो बिहार में भी बाजी मार लेगी BJP! दिल्ली चुनाव के बाद झारखंड से सामने आया नया समीकरण; तेज हुई सियासत

    Updated: Sun, 09 Feb 2025 08:01 PM (IST)

    झारखंड में भाजपा विरोधी गठबंधन की सफलता ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि विपक्षी दलों की एकता ही भाजपा को हराने का मूलमंत्र है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेतृत्व में कांग्रेस राजद और वाम दलों के गठबंधन ने 2019 और 2022 के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की। यह गठबंधन भाजपा को पीछे धकेलने में सफल रहा है।

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    पीएम मोदी के साथ बिहार के सीएम नीतीश कुमार। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, रांची। दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम ने एक दफा फिर स्पष्ट कर दिया है कि भाजपा विरोधी गठबंधन की एकजुटता में ही सफलता का मंत्र छिपा है।

    हालांकि क्षेत्रीय दलों की बाध्यता के कारण ज्यादातर राज्य में गठबंधन की राह में अड़चन अधिक है। बिहार में भी चुनाव से पहले क्षेत्रीय दल राजद और कांग्रेस के बीच प्रतिद्वंद्विता दिख रही है।

    एक मायने में भाजपा विरोधी गठबंधन की सफल प्रयोगशाला के तौर पर झारखंड को नजीर के तौर पर पेश किया जा सकता है।

    राज्य में हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेतृत्व में आइएनडीआइए के घटक दलों कांग्रेस, राजद और वाम पार्टियों ने तालमेल कर चुनाव लड़ा।

    इसकी शुरूआत वर्ष 2019 में बतौर राजनीतिक सबक हुई थी, क्योंकि वर्ष 2014 में अलग-अलग लड़ने का खामियाजा भाजपा विरोधी दलों को उठाना पड़ा था।

    2014 के विधानसभा चुनाव के बाद तालमेल की कमी को शिद्दत से महसूस किया गया। इसकी सफल शुरूआत 2019 के चुनाव में होने के बाद गठबंधन को भाजपा को पीछे धकेलने में सफलता मिली।

    हालांकि, चुनाव में सीटों के तालमेल पर भी तात्कालिक मतभेद उभरे, लेकिन अंतत: बात बन गई। कांग्रेस ने भी बड़ा दिल दिखाया।

    चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व में शानदार सफलता मिली और दोबारा गठबंधन ने सत्ता में वापसी की। एक मायने में भाजपा विरोधी दलों के गठबंधन का फार्मूला अगर पूरी तरह हिट रहा है तो वह झारखंड है।

    आगे भी गठबंधन में पेंच नहीं

    • झारखंड में झामुमोनीत गठबंधन के बीच आपसी रिश्तों में खटास नहीं आई। एक-दो मौके पर ऐसा लगा कि कांग्रेस की महत्वाकांक्षा बढ़ रही है, लेकिन जल्द ही इसपर स्थिति स्पष्ट की गई।
    • विधानसभा चुनाव के दौरान भी ऐसे मौके आए। राजद ने पहले एकतरफा सीटों की घोषणा को लेकर आपत्ति की। इसके बाद सीटों की संख्या पर भी दावेदारी का दौर चला।
    • दिल्ली चुनाव परिणाम के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस आगे भी मजबूती से गठबंधन को जारी रखने के पक्षधर हैं तो इसकी बड़ी वजह इसकी सफलता का पैमाना है।

    शिबू सोरेन के साथ दिल्ली गए हेमंत सोरेन

    मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन रविवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के अध्यक्ष शिबू सोरेन के साथ नई दिल्ली रवाना हुए।

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    झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने बताया कि रूटिन मेडिकल चेकअप के लिए शिबू सोरेन गए हैं। हर कुछ महीने पर डाक्टर उनके स्वास्थ्य की जांच करते हैं। स्वास्थ्य जांच होने के बाद वे रांची लौट आएंगे।

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