खलारी-पिपरवार सीमा बनी बालू माफिया का सेफ जोन, दामोदर का सीना चीर दुधमटिया जंगल में बनाया अवैध साम्राज्य
झारखंड के पिपरवार और खलारी थाना क्षेत्रों की सीमा पर बालू माफिया दामोदर नदी से बेखौफ होकर अवैध खनन कर रहे हैं। प्रशासनिक सुस्ती और सीमा विवाद का फायदा ...और पढ़ें

दुधमटिया क्षेत्र के 5 बड़े स्टॉक यार्डों में हजारों टन बालू।
जागरण संवाददाता, पिपरवार/खलारी। झारखंड में बालू का अवैध कारोबार रुकने का नाम नहीं ले रहा है। ताजा मामला पिपरवार थाना क्षेत्र के बेती पंचायत स्थित पहान टोंगरी का है, जहां दामोदर नदी से बालू माफिया बेखौफ होकर अवैध उत्खनन कर रहे हैं।
दिलचस्प और चिंताजनक बात यह है कि यह पूरा खेल पिपरवार और खलारी थाना की भौगोलिक सीमा का लाभ उठाकर खेला जा रहा है। प्रशासनिक सुस्ती और थाना क्षेत्रों के सीमा विवाद ने बालू तस्करों के लिए एक सुरक्षित गलियारा तैयार कर दिया है, जहाँ से हर दिन सरकारी राजस्व को लाखों का चूना लगाया जा रहा है।
सुनियोजित ढंग से हो रही है बालू की लूट
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह कोई छिटपुट चोरी नहीं बल्कि एक पूरी तरह से सुनियोजित सिंडिकेट है। माफिया पहले दामोदर नदी के घाटों से ट्रैक्टरों के माध्यम से बालू का उठाव करते हैं और फिर उसे सुरक्षित ठिकानों पर डंप करते हैं।
इन ट्रैक्टरों का काफिला दिन-रात सड़कों पर दौड़ रहा है, लेकिन इन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस संगठित लूट को कुछ सफेदपोश नेताओं और स्थानीय तंत्र का मूक समर्थन प्राप्त है, जिसके कारण माफियाओं के हौसले बुलंद हैं।
जंगल की बलि देकर बनाए गए अवैध स्टॉक यार्ड
नदी से बालू निकालने के बाद असली खेल खलारी थाना क्षेत्र के बीओसी स्थित दुधमटिया जंगल में शुरू होता है। यहां माफियाओं ने क्रूरता की सारी हदें पार करते हुए सैकड़ों हरे-भरे वृक्षों की कटाई कर दी है ताकि बालू जमा करने के लिए जगह बनाई जा सके।
वर्तमान में दुधमटिया जंगल के भीतर करीब पांच बड़े अवैध स्टॉक यार्ड सक्रिय हैं, जहाँ अनुमान के मुताबिक 10 से 15 हजार टन बालू का विशाल भंडार जमा किया गया है। यहां से रात के अंधेरे में बड़े हाईवा और डंपरों के जरिए बालू को रांची समेत राज्य के अन्य बड़े शहरों में ऊंचे दामों पर सप्लाई किया जा रहा है।
सीमा विवाद में उलझा प्रशासन, चुप्पी पर उठे सवाल
दामोदर नदी का यह इलाका खलारी और पिपरवार थाना क्षेत्र के मुहाने पर स्थित है। जब भी अवैध खनन की शिकायत होती है, तो जिम्मेदारी तय करने के बजाय दोनों क्षेत्रों के अधिकारी इसे एक-दूसरे का क्षेत्र बताकर पल्ला झाड़ लेते हैं।
पिपरवार पुलिस का कहना है कि संबंधित इलाका खलारी थाना में आता है, वहीं दूसरी ओर जब इस गंभीर विषय पर खलारी थाना प्रभारी से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने कॉल रिसीव करना तक मुनासिब नहीं समझा। अधिकारियों की यह उदासीनता सीधे तौर पर प्रशासनिक मिलीभगत की ओर इशारा कर रही है।
पर्यावरण और सड़क संरचना को भारी नुकसान
अवैध खनन का असर सिर्फ नदी तक सीमित नहीं है। जंगलों की कटाई से जहां पर्यावरण को अपूरणीय क्षति पहुंच रही है, वहीं भारी डंपरों और हाईवा की आवाजाही से वन क्षेत्र की सड़कें पूरी तरह जर्जर हो चुकी हैं। स्थानीय ग्रामीणों में इस स्थिति को लेकर गहरा आक्रोश है।
उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की है कि तत्काल प्रभाव से इन अवैध स्टॉक यार्डों की जांच कर उन्हें सील किया जाए और इस काले कारोबार में शामिल सफेदपोशों व माफियाओं के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।
जंगल काट कर बनाएदर्जनों अवैध स्टॉक यार्ड
- स्टॉक की मात्रा: दुधमटिया क्षेत्र के 5 बड़े स्टॉक यार्डों में करीब 10 से 15 हजार टन बालू जमा है।
- मोडस ऑपरेंडी: दिन भर ट्रैक्टरों से बालू ढोकर जंगल में डंप किया जाता है।
- रात का खेल: अंधेरा होते ही हाईवा और डंपरों के जरिए यह बालू रांची और आसपास के शहरों में मोटी कीमतों पर खपाया जा रहा है।

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