Jharkhand: सत्ता पक्ष के विधायकों ने ही हेमंत सरकार को घेर लिया, एक गड़बड़ी को लेकर जमकर हुई किरकिरी!
Jharkhand Politics News Hindi झारखंड में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अधीन स्वर्णरेखा परियोजना से करोड़ों रुपये की अवैध निकासी के मामले में सत्ता पक्ष के विधायकों ने अपनी ही सरकार को घेर लिया है। विधायकों ने जांच पर सवाल उठाते हुए कार्रवाई की मांग की है। इस मामले में अब तक चार पदाधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है।
राज्य ब्यूरो, रांची। फर्जी खाता खोलकर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अधीन स्वर्णरेखा परियोजना से करोड़ों रुपये की अवैध निकासी मामले में सत्ता पक्ष के विधायकों ने अपनी सरकार को घेरा, जांच पर सवाल उठाया और कार्रवाई की मांग की।
कांग्रेस से पोड़ैयाहाट के विधायक प्रदीप यादव ने अल्पसूचित प्रश्न के रूप में सदन में यह सवाल उठाया था। हालांकि, उनके प्रश्न के जवाब में विभागीय मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने सदन को संतुष्ट करने की पूरी कोशिश की।
इसके बावजूद मंत्री के जवाब से असंतुष्ट विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि खोदा पहाड़ और निकली चुहिया। सरकार केवल कार्रवाई का दिखावा कर रही है। सरकार भ्रष्टाचार के मामले में ब्रेक लगाये नहीं तो दूसरे पदाधिकारियों का भी इससे मनोबल बढ़ेगा।
विधायक के प्रश्न पर मंत्री ने सदन को बताया कि रांची में फर्जी खाते के माध्यम से राशि की निकासी कर स्वर्णरेखा शीर्षकार्य प्रमंडल रांची के रोकड़पाल संतोष कुमार के खाते में जमा किया गया था।
उक्त खाते को फ्रीज कराया जा चुका है। राशि की वापसी के लिए निलाम पत्र दायर किया जा चुका है। इसके अलावा महालेखाकार को विशेष आडिट के लिए अनुरोध किया गया है, ताकि वास्तविक राशि की गणना व राशि की वसूली हो सके।
मामला उजागर होते ही उच्च वर्गीय लिपिक सह रोकड़पाल संतोष कुमार को निलंबित कर दिया गया और उनके विरुद्ध रांची के सदर थाने में कांड संख्या 562/2023 दर्ज की गई। संतोष कुमार न्यायिक हिरासत में हैं।
विभाग ने जांच के बाद तत्कालीन कार्यपालक अभियंता प्रभात कुमार सिंह, कार्यपालक अभियंता चंद्रशेखर, तत्कालीन कार्यपालक अभियंता राधेश्याम रवि व निम्नवर्गीय लिपिक संजय कुमार के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही संचालित की गई है।
विधायक प्रदीप यादव ने एक ही स्थान पर लिपिक संतोष कुमार के 15 साल तक पदस्थापित रहने का मामला भी उठाया।
उन्होंने यह भी कहा कि रांची और लोहरदगा में एलएंडटी कंपनी को होने वाला बिल भुगतान कंपनी को न कर रकम फर्जी खाते के माध्यम से मुख्य अभियंता, कार्यपालक अभियंता एवं अन्य कर्मियों ने मिलकर आपस में ही बंदरबांट कर लिया।
उन्होंने सरकार से इस घोटाले में शामिल सभी अभियंताओं एवं कर्मचारियों से रकम वापसी कराते हुए ठोस दंडात्मक कार्रवाई एक निश्चित समय सीमा के अन्दर कराने की मांग की थी।
साथ ही उन्होंने दोषियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की भी मांग की थी। गत 05 मार्च को भी यह मामला सदन मेंं आया था। तब सरकार ने इस पर चालू सत्र में ही जवाब देने की बात कही थी।
उस दौरान हेमलाल मुर्मू, मथुरा प्रसाद महतो और रामेश्वर उरांव ने भी प्रदीप यादव का समर्थन करते हुए दोषियों पर प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की थी।
एसीबी से जांच के लिए मंत्रीमंडल सचिवालय व निगरानी विभाग से किया गया है अनुरोध
- मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने सदन को बताया कि वित्तीय अनियमितता मामले की विस्तृत जांच एसीबी से कराने के लिए मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग से अनुरोध किया गया है।
- जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी। मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने कहा कि इस मामले में पूर्व वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने भी इस मामले की जांच एसीबी व सीआइडी से कराने की अनुशंसा की थी।
- इसपर पूर्व वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि उन्होंने 28 साल तक पुलिस विभाग की सेवा की है। संयुक्त बिहार में वे सीआइडी के प्रमुख भी थे। सीआइडी का नाम बदनाम रहा है।
- इस विभाग में किसी केस में फंसा दो, या धंसा दो या दूध का दूध व पानी का पानी कर दो की नीति चलती है। निर्भर करता है कि इरादे क्या हैं और कैसे काम करना है।
चार पदाधिकारी किए गए हैं निलंबित : वित्त मंत्री
वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि इस पूरे प्रकरण में आरोपित रोकड़पाल संतोष कुमार पर केवल दो करोड़ 71 लाख रुपये की अवैध निकासी की प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
बाकी के 17 करोड़ रुपये कहां गए। इसकी जांच को लेकर वित्त विभाग ने विभागीय सात सदस्यीय समिति से जांच कराई। जांच समिति की अनुशंसा के बाद वित्त विभाग के चार पदाधिकारियों को निलंबित किया गया है।
इनमें मनोज कुमार सिन्हा, सुनील कुमार सिन्हा, सुबोध सिन्हा और मीरा कुमारी गुप्ता को निलंबित किया गया है। मीरा कुमार गुप्ता सेवानिवृत्त हो चुकी हैं। सबके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज होगी।
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