माले की दावेदारी छोड़ने से कांग्रेस को होगा फायदा, कैबिनेट में बढ़ जाएगी मंत्रियों की संख्या; ये है ताजा अपडेट
Jharkhand Politics News माले की दावेदारी छोड़ने से कांग्रेस को लाभ मिल सकता है। झारखंड में हेमंत सोरेन कैबिनेट के निर्माण को लेकर चल रही गतिविधियों के बीच कांग्रेस के लिए एक अच्छी खबर यह है कि पार्टी के चार विधायकों के मंत्री बनने के आसार दिखने लगे हैं। भाकपा माले के निर्णय से कांग्रेस की उम्मीदें बढ़ गई हैं।

राज्य ब्यूरो, रांची। हेमंत सोरेन कैबिनेट के निर्माण को लेकर चल रही गतिविधियों के बीच कांग्रेस के लिए एक अच्छी खबर यह है कि पार्टी के चार विधायकों के मंत्री बनने के आसार दिखने लगे हैं। ऐसा भाकपा माले के उस निर्णय से हुआ है जिसके तहत केंद्रीय नेतृत्व ने एक भी मंत्रीपद स्वीकार नहीं करने का निर्णय लिया है।
इस निर्णय से कांग्रेस की उम्मीदें बढ़ गई हैं। दरअसल, झामुमो की ओर से इस तरह के संकेत मिल रहे थे कि मंत्रिमंडल गठन में पांच विधायकों पर एक मंत्री पद का फार्मूला अपनाया जाएगा। इस फार्मूले से कांग्रेस को तीन ही मंत्री पद मिलते लेकिन बदली हुई परिस्थितियों में चार मंत्री पद मिलने के आसार बनते दिख रहे हैं।
कांग्रेस विधायकों की संख्या 16
हेमंत सोरेन चौथी बार झारखंड का मुख्यमंत्री बनने के बाद अपना मंत्रिमंडल बनाने की तैयारियों में जुट गए हैं। चुनाव में झामुमो को अधिक सीटें मिलने के आधार पर झामुमो के कुछ नेताओं की ओर से तर्क दिया जा रहा था कि पार्टी को अधिक मंत्री पद चाहिए।
राज्य में कांग्रेस विधायकों की संख्या 16 है और झामुमो विधायकों की संख्या 34 है (दोगुना से अधिक)। यह बड़ा आधार है झामुमो के मंत्रियों की संख्या बढ़ाने के लिए। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ज्यादा ताकतवर होकर उभरे हैं। ऐसे में कांग्रेस को चार मंत्री पद देने को झामुमो के कई नेता मुखर होकर विरोध कर रहे हैं।
पिछली बार भी कांग्रेस के 16 विधायक और चार मंत्री
- पिछली बार भी कांग्रेस के 16 विधायक और चार मंत्री थे।
- इस बार भी कांग्रेस के 16 विधायक हैं लेकिन मंत्री पद को लेकर भ्रम की स्थिति बन गई है।
- झामुमो के कई नेता कांग्रेस कोटे से मंत्रियों की संख्या में कटौती के लिए दबाव बनाए हुए हैं।
- इस मुद्दे पर कांग्रेस का स्टैंड स्पष्ट है और पार्टी का कहना है कि कोई भी निर्णय केंद्रीय स्तर पर होगा।
- केंद्रीय नेतृत्व से चार मंत्री पद मिलने को लेकर स्थानीय नेतृत्व का आश्वस्त भी किया गया है।
- झारखंड में नई सरकार में राजद के हिस्से एक बार फिर एक ही मंत्री पद होगा।
आलू पर राजनीति, ममता बनर्जी से बात करें सरकार, मरांडी की मांग
उधर, बंगाल से आलू की खेप रोकने पर राजनीति आरंभ हो गई है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने शनिवार को इसे लेकर राज्य सरकार को बातचीत का सुझाव दिया।
उन्होंने एक्स पर लिखा - आलू का ट्रक झारखंड आने से रोकने के निर्णय ने रोजमर्रा की जिंदगी में महंगाई की चिंता बढ़ा दी है। बंगाल से आलू लेकर झारखंड आ रहे सैकड़ों ट्रकों को वापस लौटाया जा रहा है। सब्जी मंडियों में भी महज कुछ दिनों का ही स्टॉक बचा हुआ है।
मरांडी ने आगे लिखा कि आवक कम होने के कारण आलू की कीमतें आसमान छूती जा रहीं हैं और आमजनों के रसोई से आलू गायब होती जा रही है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से निवेदन है कि तत्काल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से वार्ता कर इस समस्या का निदान करें और झारखंड में आलू की पर्याप्त अपूर्ति सुनिश्चित करें, ताकि राज्यवासियों को बढ़ती महंगाई से राहत मिल सके।
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